मालवी पहेलियाँ-4 -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

मालवी पहेलियाँ-4 -दिनेश मालवीय 1.   नानी सी छड़ी जमीन में गड़ी. रुमझुम करती मेल में चढ़ी. जुवार 2.   नानी सी डब्बी में रम्भा बाई नाचे (जीभ) 3.   नीचे फाटी ने ऊपर फाटली. बीच में जड्यो जड़ाव जी. (कंघी) 4.   नानी सी छोरी राजा ने रोवाड़े (मिर्ची) 5.   पत्थेर पतासा लगाओ जमई जी. हमने तोडया ने तमने चाख्या. (अआकाश) 6.   नानी सी डावड़ी, फूला बाई नाम. चडी गयी डंगरी मारी अई गाम. (बन्दूक) 7.   नाजुक नारी पिया संग सोये, अंग से अंग मिलाए पिय को बिछड़त जानि के संग सती हो जाय. (दीपक और बाती) 8.   धोली दाढ़ी को डोकरो, हाते हाट बिकाय (प्याज) 9.   परदे ओ सायबा वा चाली, अपना पियूजी का लार (म्यान, तलवार) 10.  फूलां भर्यो, छांटो दियो कुमलाय (बताशा) 11.  फूलां भर्यो वाटको, छांटो दे मुरझाय (आग) 12.  बाप पोलोने माँ पातली, बेटी घणी ख़राब (बन्दूक की गोली) 13.  बामण प्यासों क्यूँ, ने दादो उदासो क्यूँ. (लोटा नहीं था) 14.  बिन सुइजी के बिन तागो, पद्मणी गुंथे रूमाल ओ सजनियाँ (मकड़ी) 15.  बाप विचे, बेटा विचे, दोय विचे एक नर (छतरी) 16.  बीसों का सिर लिया, नामारा ना खून किया. (नाखून) 17.  भींत फोड़ी ने भेरू निकल्यो (नारियल) 18.  भरी तले मे हेल्यो लोटे (मक्खन) 19.  माँ बेटी को एक नाम (इमली) 20.  माँ जादी ने बेटी पतली, बेटो आग जंजाल (बन्दूक) 21.  माँ बोड़ी, बेटी झिंतरी, दोई को एक भरतार (आम) 22.  रातो चूड़ो ने राती काँचली, रातो मारुणी रो भेस (मिर्ची) 23.  रघु चाल्या राग पग, तीन माथा दस पग (हल चलाता किसान) 24.  रंग्यो चंग्यो केवड़ो, धर्यो हे तखत बाजार (चूड़ा) 25.  राते खई लापसी, हवेरे आयो हवाद (मेहन्दी)