आधुनिक चिकित्सा और कोरोना का महा-प्रकोप.. डॉ. राम गोपाल सोनी


स्टोरी हाइलाइट्स

कोरोना को पैदा कर दुनिया के सामने पेश करने वाले चीन ने एलोपैथिक इलाज के साथ पारंपरिक जड़ी बूटी से इलाज करने को भी प्राथमिकता दी| चीन की सरकार ने कहा

आधुनिक चिकित्सा और कोरोना का महा-प्रकोप.. डॉ. राम गोपाल सोनी कोरोना को पैदा कर दुनिया के सामने पेश करने वाले चीन ने एलोपैथिक इलाज के साथ पारंपरिक जड़ी बूटी से इलाज करने को भी प्राथमिकता दी| चीन की सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस में पारंपरिक जड़ी-बूटी चिकित्सा भी कारगर साबित हो रही है| इसी तरह से भारत की सरकार ने आयुष मंत्रालय के जरिए कोरोना वायरस के इलाज लिए अनेक तरह के प्रयोग किए| आयुष मंत्रालय ने इसके लिए बाकायदा एक दवा भी बनाई और इसे कोरोना के इलाज में प्रभावी बताया| एलोपैथी भले ही यह दावा करे कि कोरोनावायरस के लिए उसके पास बहुत कुछ है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि देश में अस्पतालों में भर्ती होने वालों से ज्यादा वह लोग थे जिन्होंने घर पर ही अपने तरीके से ट्रीटमेंट लिया| इनमें से कई लोग तो ऐसे थे जिन्होंने एलोपैथी का उपचार लिया ही नहीं इन्होंने काढ़े और अन्य देशी चिकित्सा पद्धतियों से इलाज लेकर अपने कोरोनावायरस को ठीक किया| बहुत ही आश्चर्य है कि एलोपैथी में कोरोना का कोई इलाज नहीं है ऐसा तमाम विद्वान डॉक्टर खुद कह रहे है । पिछली लहर में 750 के करीब और दूसरी लहर में 250 के करीब डॉक्टर कोरोना से काल कलवित हो गए । कोरोना ठीक होने के बाद काली फफूंद जान ले रही है । हार्ट अटैक , हड्डियों के गलने , लीवर और ब्रेन के डैमेज के अनेक प्रकरण आए है। हालांकि अभी भी कोविड-19 से निपटने के लिए देश के पारंपरिक ज्ञान का समुचित रूप से उपयोग शुरू नहीं हुआ है| इस बात की कोई रिसर्च नहीं की गई है कि देश में कितने प्रतिशत लोगों ने आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के दम पर कोरोना को ठीक किया है| जबकि आप अपने स्तर पर इस बात की तस्दीक करेंगे तो पाएंगे कि ज्यादातर लोगों का भरोसा एलोपैथी से ज्यादा आयुर्वेद पर रहा| पोस्ट कोविड-19 कॉम्प्लिकेशंस को ठीक करने में भी लोगों ने आयुर्वेद पर भरोसा जताया और कई तरह की बीमारियों से छुटकारा पाया| लोग भयभीत हैं कि कहीं तीसरी लहर न आ जाए । क्या हम एलोपैथी में इतने मुग्ध है की हमारी पुरानी विरासत, पूर्वजों के ज्ञान को संकट में भी नहीं आजमाना चाहते। जो समाज अपने पूर्वजों के ज्ञान का लाभ नहीं लेता उसका बर्बाद होना तय है| सरकारें अपने नियम कानून से चलती है । सर्वोच्च न्यायालय ने विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति को मान्यता दी है। कोई भी समाचार पत्र ऐसे समाचार छापने के लिए उत्सुक नहीं जहां पारंपरिक ज्ञान से लोग घर बैठे कोरोना से ठीक हुए हैं। क्या देश के गरीब लोगो के प्रति हम सबकी जिम्मेदारी नहीं है। मुझे इस कठोर अप्रिय शब्दों को जनता की भलाई के लिए कहने पर मुझे क्षमा करेंगे । कोरोना , वायरस निमोनिया पैदा करता है और हमारे पास ऐसी वनस्पतियां है जो एंटीवायरल है। कालमेघ अर्थात कडू चिरायता इसमें अग्रणी औषधि है। गिलोय इम्यूनिटी बूस्टर है। यह भी जानें : हमारे शरीर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर -दिनेश मालवीय दावा हैं कि यदि बुखार होते ही या कोई कोरोना के सिमटमस आते ही इन दोनो को मिलाकर काढ़ा पी ले सुबह शाम तो सात दिन में आराम मिल जायेगा। खांसी हो तो आप त्रिकुट पाउडर एक चुटकी शहद के साथ सुबह शाम सात दिन तक ले सकते हैं देश की सरकारों ने खुद त्रिकूट पाउडर घर घर तक पहुंचाया है। अधिक सुरक्षा के लिए बरगद का दूध एक चम्मच दो चम्मच सादे दूध के साथ दिन में दो बार ले सकते हैं। वैधों का दावा है कि कोरोना कितना भी गंभीर होगा सात दिन में घर बैठे ठीक हो जाएगा। बरगद हर जगह उपलब्ध है इसकी पतली डाली को अंतिम सिरे को तोड़ने से दूध निकलता है। सूर्योदय के पूर्व अधिक दूध निकलता है। इसकी 4 इंच पतली डाली को कूच कर एक कप पानी में उबालकर ठंडा कर उस पानी को ही पिला दे। तने में चाकू से कट करने से भी पर्याप्त दूध निकलता है। जब हमारे पास बरगद है तो कोरोना का डर कैसा। अकेला बरगद का दूध ही इसको ठीक कर सकता है। प्राचीन काल से बरगद के दूध को खांसी और निमोनिया में दिया जाता रहा है। इसके अलावा फिटकिरी भस्म एक चुटकी सुबह शाम शहद के साथ लेने से फेफड़ों के संक्रमण को दूर कर देती है। इतनी सरल दवाओं के रहते लोग परेशान है। यह भी जानें : पैनिक बीमारी (Panic Disorder) की पहचान : Panic attacks and panic disorder सही कहा है तुलसीदास ने सरल पदारथ हैं जग माही। कर्म हीन नर पावत नाही।। यदि दवा पता हो तो कोई क्यों डरेगा। फिर क्यों लॉकडाउन। हम आधुनिक चिकित्सा पद्धति के इतने आदी हो चुके है कि हम हर कस्बे में ऑक्सीजन प्लांट करोड़ों रुपए के लगाने को तैयार है| क्योंकि जनता जब ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड रही होगी तो सरकार को करना ही पड़ेगा। पर ईश्वर का बनाया यह शरीर कितना सुन्दर और वैज्ञानिक है कि इसके अंदर ही ऑक्सीजन प्लांट लगा हैं। हमारे फेफड़े जो प्रतिदिन 550 लीटर ऑक्सीजन , वातावरण से लेकर हमें दे रहे है। एक ऑक्सीजन सिलेंडर दो घंटे चलेगा। अब हमारे ऑक्सीजन प्लांट अर्थात फेफड़े में कचरा फंस गया है बस उसको साफ करना है। कचरा है कफ जो कोरोना के कारण निमोनिया पैदा कर रहा है। तो बरगद का दूध उपर बताए अनुसार पिला दो , कचरा साफ और हमारा बेहतरीन ऑक्सीजन प्लांट चालू। हां बरगद का दूध , कफ को दूर भी करता है और वायरस को भी मार देता है। हम मनुष्य कहा भटक रहे है। हमारी हालत उस कस्तूरी मृग की तरह है जिसके पेट में कस्तूरी है पर वह घास में ढूंढती फिरती है। कबीर दास जी ने इस पर लिखा या बोला " तेरा साई तुझ में ज्यों पुहुपन में बास, कस्तूरी के मृग जिमि फिरि फिरी ढूंढे घास "।। कबीर तो आने से रहे। होशंगाबाद के वैद गणेश राम चौहान ने गंभीर कोरोना मरीजों को निशुल्क परामर्श देकर ठीक किया और हर व्यक्ति के लाखों रुपए ही नहीं उनकी जान बचाई है। लोग उन्हें फोन कर धन्यवाद देते है। " डॉक्टर राम गोपाल सोनी पूर्व आईएफएस 9425819300 " यह भी जानें : जानें क्या है प्राण? जीवन उर्जा का महत्व और इससे life की चेतना को बढाने के उपाय