MP: शिवराज ने लंबे इंतजार के बाद मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंपे, अब राजनीतिक उठापटक हुई तेज..


स्टोरी हाइलाइट्स

भोपाल:  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बार बेहद लंबे इंतजार के बाद अपने मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंपे तो हैं लेकिन इसमें हुआ फ़ेरबदल

MP: शिवराज ने लंबे इंतजार के बाद मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंपे, अब राजनीतिक उठापटक हुई तेज.. भोपाल:  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बार बेहद लंबे इंतजार के बाद अपने मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंपे तो हैं लेकिन इसमें हुआ फ़ेरबदल काबिले गौर हो गया है। भोपाल के प्रभारी नरोत्तम मिश्रा को इंदौर भेजा जाना नया घटनाक्रम है। इंदौर बड़ा जिला तो है ही, यहां राजनीतिक उठापटक भोपाल से ज्यादा है। जबकि प्रशासनिक रूप से भोपाल महत्वपूर्ण जिला है। इसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को उन्हीं के प्रभाव वाले जिलों में तैनात करना अपेक्षित ही माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि मंत्रियों को प्रभार बांटे इसीलिये गये हैं क्योंकि सरकार ने आज से तबादलों पर से प्रतिबंध हटाया है, ऐसे में कई संवर्ग के तबादलों में जिला के प्रभारी मंत्री की अनुशंसा की दरकार होती है। वरना अब तक कोरोना-प्रभारी मंत्रियों से काम चल रहा था। प्रभार बांटने से पहले मुख्यमंत्री अज्ञातवास पर रहे। इस दौरान उनके साथ प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी थे। माना जा रहा है कि उन्होंने मंत्रालय से लेकर मैदानी स्तर पर प्रशासनिक  फेरबदल की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। सबसे महत्पूर्ण प्रभार गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का माना जा रहा है। उन्हें इंदौर में ताई-भाई से लेकर अन्य तमाम भाजपा नेताओं के साथ समन्वय भी बैठाना होगा। इंदौर में कांग्रेस के विधायकों की भी प्रभावी मौजूदगी है। सूत्र बताते हैं कि इंदौर का प्रभार देकर मुख्यमंत्री ने मिश्रा को ज्यादा व्यस्त करने की कोशिश की है। इसी तरह उन्होंने अपने पुराने विश्वस्त भूपेंद सिंह को भोपाल का प्रभार देकर प्रकारांतर से भोपाल के तमाम निर्णयों में अपनी मौजूदगी के भी संकेत दे दिये हैं। वे कई बार भोपाल के निर्माण कार्यों का औचक दौरा करते रहे हैं। इसके अलावा शिवराज ने अपने विदिशा जिले का जिम्मा भी भूपेंद्र सिंह को सौंपा है। उधर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव को जबलपुर निवाड़ी और तुलसीराम सिलावट को ग्वालियर के साथ हरदा का प्रभार सौंपा है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा उज्जैन और कटनी के प्रभारी होंगे। शिवराज ने कई मंत्रियों को 2-2 जिलों को जिम्मेदारी दी है। इसका कारण यह है कि मंत्रिमंडल में कुल 30 कैबिनेट राज्य मंत्री है जबकि प्रदेश में जिलों की संख्या 52 है। प्रभारी मंत्रियो की घोषणा के बाद अब नजरें निगम-मंडलों में होने वाली संभावित नियुक्तियों पर टिकी हैं। करीब 15 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार अब तक इन नियुक्ति पर फैसला नहीं कर पाई है। तबादला उत्सव आज से  इधर आज से मप्र में सरकारी कर्मचारियों के तबादलों का निलसिला प्रारंभ हो रहा है। तबादला नीति के तहत 31 जुलाई तक तबादले होंगे। जिला स्तर पर स्थानांतरण प्रभारी के अनुमोदन से होंगे। वहीं राज्य स्तरीय तबादले विभागीय मंत्री कर सकेंगे। कोरोना या गंभीर बीमारी से पीड़ित अधिकारी या कर्मचारी का स्थानांतरण उसकी स्वेछा से प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। मुख्यमंत्री समन्वय से हुए तबादलों में यदि कोई परिवर्तन करना है तो इसके लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री समन्वय भी भेजना होगा। मंत्री सीधे अपने स्तर से ऐसे तबादले नहीं कर सकेंगे।