मुकेश अम्बानी को धमकी मामला- साधन नही, लक्ष्य और कनेक्शन की जाँच जरुरी: सरयूसुत मिश्रा
मुकेश अम्बानी को धमकी मामला- साधन नही, लक्ष्य और कनेक्शन की जाँच जरुरी: सरयूसुत मिश्रा
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई इन दिनों ऐसी विवाद में फस गई है जहां उसके पुलिस कमिश्नर रहे अधिकारी ने मुंबई में हफ्ता वसूली के लिए सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है| देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी मुंबई के गौरव हैं लेकिन उन्हें भी हफ्ता वसूली के लिए चुना जाना आर्थिक राजधानी को हिला कर रख दिया है मुंबई में लाखों की संख्या में उद्योगपति है जब सबसे बड़े उद्योगपति पर ही इस तरह की साजिश की गई तो फिर छोटे-मोटे उद्योगपतियों की तो बात ही क्या है पूर्व पुलिस कमिश्नर कह रहे हैं कि गृहमंत्री उनके अधीनस्थ अधिकारियों को बुलाकर सीधे निर्देश देते हैं और उन्हें हफ्ता वसूली का महीने का टारगेट भी देते हैं वह अधिकारी हमें गृह मंत्री के निर्देश बताते थे मैंने समय-समय पर मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता शरद पवार को ब्रीफिंग में यह सारे मामले बताता रहा हूं| मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के सामने स्कॉर्पियो खड़ी करना उस में विस्फोटक रखना उसकी जांच खुद अपने हाथ में लेना यह सब पुलिस इंस्पेक्टर सचिन बाजे की साजिश थी क्या यह साजिश वह अकेले कर सकता है लगता है कि यह संभव नहीं है और अब तो पूर्व कमिश्नर के पत्र से यह जाहिर हो गया है कि बड़ी राशि की हफ्ता वसूली के लिए यह कांड रचा गया था, इसमें आतंकवादी धमकी बताने के लिए एक पत्र रखा गया था जब इसकी जांच सचिन बाजे ने शुरू की| महाराष्ट्र एटीएस ने भी जांच की प्रक्रिया में हाथ बढ़ाया लेकिन पुलिस की अंदरूनी राजनीति में उन्हें रोकने की कोशिश की गई लेकिन एटीएस के ए.डी.जी. जगजीत सिंह नहीं माने और उन्होंने जांच जारी रखें ऐसी बात देता है कि किसी भी राज्य की एटीएस जब कोई जांच करती है तो उसकी सूचना एनआईए को भी देना होती है क्योंकि यह संगठित अपराध होता है जो कई राज्यों से जुड़ा होता है इसी प्रक्रिया में एनआईए जांच में शामिल हो गई और सचिन बाजे का सारा षड्यंत्र खुल गया| महाराष्ट्र एटीएस ने यह भी कहा है कि मनसुख हीरेन की मौत का मामला भी उन्होंने सुलझा लिया है|
एटीएस ने दो पुलिस वालों को गिरफ्तार किया है जो सचिन बाजे के साथ पहले काम करते रहें| इस पूरे मामले में साजिश का मुख्य लक्ष्य मुकेश अंबानी को धमका कर वसूली करना था उसके लिए जो घटनाक्रम रचा गया, उसमें स्कॉर्पियो के मालिक और बाद में उनकी हत्या यह सब तो मुख्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए किए गए प्रयास है यह जांच अगर अंतिम निष्कर्ष पर पहुंच भी जाती है कि सचिन बाजे ने सारा षड्यंत्र रचा वही इसके असली अपराधी हैं तब भी यह प्रश्न तो अनुत्तरित ही है कि मुकेश अंबानी को धमका कर वसूली करने के पीछे क्या साजिश थी उस में कौन कौन शामिल थे और यह भी प्रश्न खड़ा हो गया कि क्या महाराष्ट्र की पुलिस इस तरह के घटनाक्रम क्रिएट कर हफ्ता वसूली करते हैं प्रारंभिक रूप से पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने अपने पत्र के माध्यम से यह बात बता दी है कि गृह मंत्री के निर्देश पर हर महीने हफ्ता वसूली की जाती रही है पूर्व कमिश्नर की बात विश्वास न की जाए इसका कोई कारण नहीं है क्योंकि जो कुछ दिन पहले मुंबई का पुलिस कमिश्नर था और जो आज भी महाराष्ट्र के होम गार्ड्स का डीजी है उसकी बात पर भरोसा कैसे न किया जाए|
पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने अपने पत्र में जो आरोप लगाए थे उन पर अड़े हुए हैं और आज एक और कदम उठाते हुए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाई है कि अनिल देशमुख गृह मंत्री के विरुद्ध जांच सीबीआई से कराई जाए| एक सेवारत आईपीएस ऑफिसर इतनी दमदारी से अपनी बात रख रहा है फिर भी राजनेता सारे मामले पर लीपापोती करने की कोशिश कर रहे हैं पूर्व पुलिस कमिश्नर अपना सारा कैरियर दावं पर लगाए हुए हैं महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख को बचाने के लिए शरद पवार ने आज पत्रकार वार्ता की और यह कहा की पूर्व पुलिस कमिश्नर ने जो आरोप लगाया है वह गलत है उन्होंने नागपुर के अस्पताल का एक प्रमाण पत्र पत्रकारों को बताया कि अनिल देशमुख 5 फरवरी से 15 फरवरी तक नागपुर के अस्पताल में भर्ती थे और उसके बाद 15 दिनों तक मुंबई में घर पर आइसोलेट रहे शरद पवार का यह बचाव प्रेस कान्फ्रेंस चलते रहने के दौरान ही फुस्स हो गया| भाजपा की ओर से उसी दौरान एक वीडियो ट्वीट किया गया जिसमें यह दिखाया गया है कि अनिल देशमुख 15 फरवरी को मुंबई में एक पत्रकार वार्ता कर रहे हैं शरद पवार की बचाव की कोशिश वहीं पंचर हो गई|
यह पूरा घटनाक्रम अत्यंत गंभीर है देश और प्रदेश की शासन व्यवस्था पर सवाल उठा है जिनके ऊपर राज्य को और राज्य के लोगों को सुरक्षा और न्याय देने की जिम्मेदारी है अगर उसी तंत्र द्वारा वसूली के लिए साजिश रची जाए तो फिर लोग शासन व्यवस्था पर भरोसा क्यों करेंगे सवाल किसी सरकार का नहीं है सवाल जनता के विश्वास का है वैसे तो लोकतंत्र की असली मालिक जनता ही है मुकेश अंबानी को धमकी का यह मामला रोज नए नए मोड़ ले रहा है महाराष्ट्र की पूरी हिली हुई है विपक्ष के नाते भारतीय जनता पार्टी तो अपनी भूमिका निभा ही रही है लेकिन सत्ताधारी पार्टी के जितने घटक हैं उनमें जो असंतुष्ट लोग हैं वह भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं महाराष्ट्र में उलटफेर के लिए जमीन तैयार हो गई है महाराष्ट्र में सरकार बदले या नहीं बदले लेकिन सरकार की पुलिस में अंडरवर्ल्ड जैसा काम जो सामने आया है उसने इस सरकार के वजूद को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है इसका जवाब देना ही होगा भले ही उसके लिए महाराष्ट्र की लोकतांत्रिक सरकार को जाना ही पड़े|