मुक्तावास्था प्राप्त करने के कुछ नियम


स्टोरी हाइलाइट्स

मुक्तावास्था प्राप्त करने के कुछ नियम 1)सहज भोग करना, जो भोग आपको प्राप्त है या जो सहज ही प्राप्त हो रहा है उसे भोग लेना और उसमे संतुष्ट रहना। भोग का मन में चिंतन न करना। 2)क्रोध न करना,अर्थात ऐसा क्रोध न करना जिससे किसी दूसरे व्यक्ति को या स्वयं को हानि उठानी पड़े,सहज क्रोध किया जा सकता है अगर किसी का उसमें भला छिपा हुआ हो तो। 3)व्यर्थ का लोभ न करना,जितना आपको मिला है उसमें संतुष्ट रहना,जीवन को बेहतर बनाने के लिए सहज प्रयास करते रहना और सहज प्रयास से जितना प्राप्त हो रहा है उसे भी सहज स्वीकार करना,शिकायत भाव न रखना। 4)किसी से भी मोह न करना,मोह के कारण ही कई पाप हो जाया करते है,सबसे निष्वर्थ प्रेम करना,मोह दुख का कारण बनता है और प्रेम शांति का। 5)किसी से भी ईर्ष्या न करना,जिसको जो मिला है जितना मिला है वह उसके अपने कर्मो के अनुसार मिला है,सबके सुख में सुख अनुभव करने से ईर्ष्या समाप्त हो जाती है,ईर्ष्या करने से स्वयं का मानसिक संतुलन भी खराब होता है। 6)किसी से भी आशक्ति न रखना,मतलब किसी भी चीज से लगाव का नाम राग या आशक्ती है,लगाव होने के पीछे वहा से मिल रहे सुख या सुख मिलने की उम्मीद होती है,यह राग ही पुनर्जन्म का कारण बनता है। 7)अहिंसा का मार्ग अपनाना,सब जीवों के प्रति प्रेम, दया और करुणा का भाव रखना। 8)किसी भी प्रकार के व्यसन जैसे शराब,सिगरेट,तम्बाकू इत्यादि का सेवन न करना। 9)चोरी न करना। 10)असत्य न बोलना,ऐसा असत्य कभी नहीं बोलना जिससे किसी को हानि पहुंचे,किसी के लाभ के लिए असत्य बोला जा सकता है। 11)सदाचार और नैतिक जीवनशैली को अपनाना।