शारदीय नवरात्र की समाप्ति के बाद विजय का प्रतीक 'विजयदशमी' का पर्व मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार विजयादशमी का यह पर्व भगवान राम की रावण पर विजय की याद में मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, विजयादशमी वर्ष की तीन सबसे शुभ तिथियों में से एक है। अन्य दो तिथियां चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा हैं। इसके अलावा इस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध भी किया था। आपको बता दें कि इस साल दशहरा का पर्व शुक्रवार 15 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा। विजय दशमी पूजा मुहूर्त विजय क्षण: 15 अक्टूबर दोपहर 1:38 से 2:24 बजे तक रहेगा। इस बीच आप कुछ भी कर अपनी जीत सुनिश्चित कर सकते हैं। दशहरे का महत्व त्योहार भगवान राम की कहानी बताता है, जिन्होंने 9 दिनों तक लंका में लगातार युद्ध के बाद अभिमानी रावण को मार डाला और मां सीता को अपनी कैद से मुक्त कर दिया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का भी वध किया था इसलिए इसे विजयदशमी के रूप में भी मनाया जाता है और मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने भी देवी दुर्गा की पूजा करके शक्ति का आह्वान किया था, भगवान राम की परीक्षा लेने के बाद पूजा के लिए रखे कमल के फूलों में से एक गायब हो गया था। चूँकि श्री राम को राजीवनयन यानि कमल की आँखों से कहा जाता है, इसलिए उन्होंने अपनी एक आँख अपनी माँ को अर्पित करने का निश्चय किया। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद भगवान राम ने दसवें दिन रावण का वध किया था। रावण पर भगवान राम और महिषासुर पर मां दुर्गा की जीत का यह त्योहार पूरे देश में बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है।