Gyanvapi Masjid : मिले शिव हिन्दू पक्ष उत्साहित, आखिर काशी में कब और कैसे बनी ज्ञानवापी मस्जिद ?


Image Credit : NewsPuran

16 मई २०२२ ... वो दिन जब बाबा विश्वेसर वजू खाने से निकल दर्शन के सामने आ गए| सच..कोर्ट के द्वारा दिए गए सर्वे आदेश के बाद जगज़ाहिर हुआ| सोशल मीडिया में ढेरों पोस्ट के माध्यम यह दावा किया जा रहा है कि वीडियों में दिखाई गई मूर्ति शिव लिंग है| हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज करते हुये वजू खाने का फौवारा करार दिया है| हालांकि एडवोकेट कमिश्नर की अधिकृत रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल नहीं हुई है| इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर ही असलियत खुलकर सामने होगी| खैर रिपोर्ट में क्या होगा ? और कोर्ट सत्यता की कसौटी पर कौन सा पक्ष खरा उतरेगा उसके लिए तो इंतज़ार करना होगा| लेकिन हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास, मान्यताएं और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर इससे जुड़ा विवाद? मान्यता है कि 1669 में औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर का एक हिस्सा तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तान ने मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। कुछ मान्यताओं के अनुसार अकबर ने 1585 में नए मजहब दीन-ए-इलाही के तहत विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है। इसी कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था। शिवजी ने यहीं अपनी पत्नी पार्वती को ज्ञान दिया था, इसलिए इस जगह का नाम ज्ञानवापी या ज्ञान का कुआं पड़ा। किंवदंतियों, आम जनमानस की मान्यताओं में यह कुआं सीधे पौराणिक काल से जुड़ता है। माना जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1699 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर कराया था। मस्जिद का आर्किटेक्चर ताजमहल जैसा ज्ञानवापी मस्जिद हिंदू और मुस्लिम आर्किटेक्चर का मिश्रण है। मस्जिद के गुंबद के नीचे मंदिर के स्ट्रक्चर जैसी दीवार नजर आती है। माना जाता है कि ये विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है, जिसे औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद का प्रवेश द्वार भी ताजमहल की तरह ही बनाया गया है। मस्जिद में तीन गुंबद हैं, जो मुगलकालीन छाप छोड़ते हैं। मस्जिद का मुख्य आकर्षण गंगा नदी के ऊपर की ओर उठी 71 मीटर ऊंची मीनारें हैं। ज्ञानवापी मस्जिद का एक टावर 1948 में आई बाढ़ के कारण ढह गया था।