अपनाइये माइंडफुलनेस मेडिटेशन तकनीक, बेहतर स्वास्थ्य के लिए,जीवन को बेहतर बनाने के लिए


स्टोरी हाइलाइट्स

माइंडफुलनेस मनुष्य की मूलभूत योग्यता है, वर्तमान में होने की, जागरूक रहने की | हमारे आस पास क्या हो रहा है ? हम क्या कर रहे हैं ? हमारे अंदर और बाहर हर तरफ जो भी  कुछ हो रहा है उसके प्रति जागरूकता |

माइंडफुलनेस मनुष्य की मूलभूत योग्यता है, वर्तमान में होने की, जागरूक रहने की | हमारे आस पास क्या हो रहा है ? हम क्या कर रहे हैं ? हमारे अंदर और बाहर हर तरफ जो भी  कुछ हो रहा है उसके प्रति जागरूकता | माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस कहीं भी की जा सकती है, आप जहां हैं, जैसे हैं, आप किसी खास स्थान पर बैठ सकते हैं, शांति से और अपने अंदर या बाहर की प्रत्येक गतिविधि पर जागरूक होकर नजर रख सकते हैं |   हम रहते हैं खोए खोए, गुमसुम, बिखरे हुए | लेकिन जब हम कोई भी काम करते हैं , और उस काम पर हमारी जागरूक निगाहें होती हैं, तो वहीं पर माइंडफुलनेस  होने लगता है |   अपनी पांचों इंद्रियों के विखंडन को रोकते हुए प्रत्येक क्षण के प्रति सजग हो जाना केंद्रित हो जाना ही माइंडफुलनेस  है|   हर दिन हर समय, चाहे घर का काम कर रहे हो या बाहर का, हम केंद्रित हो सकते हैं, जब हम प्रत्येक क्षण को स्वीकार करने लग जाते हैं, अपने विचार, भाव, परिस्थितियों, घटनाओं को ठीक उसी तरह जैसा वह है| सबको स्वीकार करते हुए, वर्तमान के प्रति सहयोग पूर्ण हो जाते हैं, तो हम हर क्षण का आनंद लेना सीख जाते हैं | माइंडफुलनेस  एक पद्धति है जो जीवन जीने का तरीका सिखाती है, जब हम ध्यान में बैठते हैं तो हमें एक निश्चित समय और स्थान की आवश्यकता होती है | लेकिन इस प्रक्रिया में हम जहां हैं जैसे हैं वैसे ही शामिल हो सकते हैं |   भारतीय सनातन परंपरा और योग हमें जीने का सही तरीका बताते रहे हैं, माइंडफुलनेस योग के बड़े  स्वरूप में से निकला एक छोटा सा तिनका मात्र है जिसे हमने पकड़ लिया तो योग की शुरुआत हो जाती है |   ध्यान किया नहीं जाता ध्यान होता है,ध्यान परिणाम है ध्यान कारण नहीं है, लेकिन ध्यान के वृहद स्वरूप को अनुभव किए बगैर भी व्यक्ति जीवन की सामान्य खुशियों के लिए माइंडफुलनेस  का अभ्यास कर सकता है| इससे जीवन और आसान व सुखद हो जाता है| यह प्रक्रिया हमें जीवन को स्वीकार करना सिखाती है, अक्सर हम परिस्थितियों को बदलना चाहते हैं, लेकिन कई बार हम उसे बदल नहीं पाते, जिसे हम बदल नहीं सकते उसके साथ हमें जीना सीखना चाहिए | हम चलते, फिरते, उठते, बैठते अपनी श्वास पर ध्यान देकर, जिससे हम बात कर रहे हैं उसे होश पूर्वक सुनकर, जहां देख रहे हैं वहां अच्छी तरह देख-कर, बोलते समय विचारों पर नजर रखकर, शरीर  की गतिविधियों पर नजर रखकर, अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनकर, वर्तमान के प्रति होश पूर्ण रहकर, माइंडफुलनेस  की प्रैक्टिस कर सकते हैं |   माइंडफुलनेस  से आपको कई तरह के तात्कालिक फायदे मिल सकते हैं, आपको तनाव से मुक्ति मिलेगी, आपकी याददाश्त, एकाग्रता, भावनात्मक संतुलन, शांति, खुशी, आनंद का अनुभव बढेगा|   ध्यान अपने आप में एक बहुत बड़ी  घटना है, लेकिन ध्यान हर व्यक्ति की जिंदगी में नहीं घट सकता, क्योंकि व्यक्ति अनेक तरह के झंझाबातों से घिरा हुआ है, मलिनताओं और विकारों से भरे हुए मन में ध्यान का उदय होना इतना आसान नहीं है, इसीलिए माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों के जरिए हम अपने आप को और अधिक सहज बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा बनाएं, धीरे-धीरे ध्यान अपने आप  जीवन में परिलक्षित होने लगेगा |   कैसे करें- आप जहां भी हैं माइंडफुलनेस कर सकते हैं, यदि आप अपने ऑफिस में चेयर पर बैठे हैं, तो कमर सीधी रखें, अपनी सांसो पर ध्यान देना शुरू करें, सांस के उतार-चढ़ाव को महसूस करें, पेट पर हाथ रखकर श्वास के आने जाने से नाभि केंद्र में हो रही हलचल पर ध्यान केंद्रित करें| अपनी नाक के नीचे हथेली लगाकर श्वास की ठंडक या गरमाहट को महसूस करें, मन इधर-उधर भटकेगा, लेकिन बार-बार अपने मन को उस गतिविधि पर एकाग्र करने का प्रयास करें | खाली हैं  तो आस-पास से आ रही अनेक आवाजों में से एक आवाज पर ध्यान केंद्रित करें, उस आवाज को चिन्हित करके उसे सुनने का प्रयास करें, यह अभ्यास आप 10 मिनट तक करें, इससे ज्यादा ना करें, एकाग्रता  का अधिक अभ्यास कई बार मस्तिष्क को गर्म कर देता है, जो नुकसान का कारण बन सकता है| अपने घर या दफ्तर के बाहर किसी अच्छे नजारे को गौर से देखने की कोशिश करें, देखें कि उस दृश्य में क्या खासियत है, वहां क्या-क्या घटित हो रहा है, कैंसे प्रकृति में गतिविधियां हो रही है, या कोई भी ऑब्जेक्ट को ध्यान से देख कर, उसकी बारीकियों को समझने की कोशिश करें| अपने विचारों पर ध्यान केंद्रित करें, यह देखें कि कौन कौन से विचार आपके दिमाग में लगातार आते हैं, उन विचारों के मूल में जाने की कोशिश करें| अपने शरीर की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें क्या आपके पैर हिलते हैं? आपके हाथ शांत स्थिति में किस तरह की गतिविधि करते हैं? शरीर में शांति की स्थिति में किस तरह की हलचल होती है? इस तरह की अनेक कोशिशों के जरिए आप सजगता का अभ्यास कर सकते हैं | जागरूकता, एकाग्रता, शांति यह सब आपको और हल्का बनाएंगे, सहज बनाएंगे, खुशनुमा बनाएंगे |