शक्तिशाली दुर्गा शप्तशती


स्टोरी हाइलाइट्स

जिस प्रकार योग साधकों के लिए "गीता" सर्वोत्तम ग्रन्थ है, वैसे ही शक्ति साधकों के लिए "दुर्गा सप्तशती" सर्वोत्तम ग्रन्थ है| जैसे अपने "महाभारत" ग्रन्थ ...

"दुर्गा सप्तशती" के बारे में कुछ शब्द  जिस प्रकार योग साधकों के लिए "गीता" सर्वोत्तम ग्रन्थ है, वैसे ही शक्ति साधकों के लिए "दुर्गा सप्तशती" सर्वोत्तम ग्रन्थ है| जैसे अपने "महाभारत" ग्रन्थ में वेदव्यास जी ने "गीता" के रहस्य मनुष्य जाति के कल्याण के लिए प्रस्तुत किये, वैसे ही उन्होंने 'मार्कण्डेय पुराण' में 'दुर्गा सप्तशती' के रहस्य भी मनुष्य जाति के कल्याण के लिए ही प्रस्तुत किये| ये दोनों ही ग्रन्थ वेदव्यास जी के माध्यम से प्रकट हुए हैं| "दुर्गा सप्तशती" में सात सौ श्लोक हैं जो जो तीन चरित्रों में विभाजित हैं| प्रथम चरित्र (महाकाली) में पहिला अध्याय, मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी) में दूसरा तीसरा व चौथा अध्याय, और उत्तर चरित्र (महासरस्वती) में शेष अन्य अध्याय आते हैं| प्रत्येक चरित्र में सात-सात देवियों (कुल २१ देवियों) का उल्लेख है| आचार्यों के अनुसार तंत्र शास्त्रों का उद्गम वेदों से है| ऋग्वेद से शाक्त तंत्र, यजुर्वेद से शैव तंत्र तथा सामवेद से वैष्णव तंत्र का आविर्भाव हुआ है| ये तीनों वेद तीनों महाशक्तियों (महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती) के स्वरूप हैं| ये तीनों तंत्र देवी के तीनों स्वरूपों की अभिव्यक्ति हैं| इनमें तीन बीजमंत्र हैं जिनका देव्याथर्वशीर्ष में विस्तार से वर्णन है| श्रीविद्या का रहस्य भी देव्याथर्वशीर्ष में दिया है| आचार्यों के मुख से सुना है कि श्रीविद्या की उपासना शक्ति की उच्चतम उपासना है, और श्रीविद्या की दीक्षा अंतिम दीक्षा है जिसके बाद अन्य कोई भी दीक्षा नहीं दी जा सकती| माँ भगवती ही परम कृपा कर के अपने रहस्य अपने भक्त के सम्मुख अनावृत करती हैं| उनकी कृपा के बिना इन को समझना असम्भव है| सभी पर भगवती की कृपा बनी रहे| जहाँ तक मेरा प्रश्न है, मेरे इस जीवन की यह संध्या है जिसमें जो भी अत्यल्प समय अवशिष्ट है वह परमात्मा के ध्यान और चिंतन में ही बीत जाए, कोई कामना नहीं है| कृपा शंकर