सतपुड़ा और अमरकंटक में 7 दिनों, सिंगाजी और बिरसिंहपुर में 3 दिन का कोयला शेष


स्टोरी हाइलाइट्स

सरप्लस बिजली उत्पादन के लिए अपनी पहचान बनाने वाले मप्र में पावर कट की नौबत फिर से बनती जा रही है. पूर्ववर्ती दिग्विजय....

सतपुड़ा और अमरकंटक में 7 दिनों, सिंगाजी और बिरसिंहपुर में 3 दिन का कोयला शेष एमपीपीजीसीएल पर डब्ल्यूसीएल का 500 करोड़ बकाया कोयला संकट ने बढ़ाई सरकार की मुश्किलें भोपाल। सरप्लस बिजली उत्पादन के लिए अपनी पहचान बनाने वाले मप्र में पावर कट की नौबत फिर से बनती जा रही है. पूर्ववर्ती दिग्विजय सरकार की तरह ही मौजूदा सरकार में भी अघोषित बिजली कटौती होने की संभावना बलवती होती जा रही है. वजह साफ है. कोयला संकट के चलते थर्मल पावर प्लांट धीरे-धीरे बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं. यानी कोयला संकट ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है. प्रदेश के चार में से दो बड़े पॉवर प्लांटों में महज 3-3 दिनों का कोयला शेष है. वह भी तब जब सिंगाजी प्लांट को सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी की दो इकाइयों का कोयला डेढ़ साल से लगातार भेजा जा रहा है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के बिजली घरों में कोयला संकट किस कदर गहरा गया है. जबकि दो प्लांटों के पास 7 दिनों का कोयला है.वर्ष 2020-21 में मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी की ज्यादातर इकाइयों के बंद रहने और फिर रबि के सीजन में अचानक कोयला संकट गहराना सरकार व उर्जा विभाग की नाकामी उजागर कर रहा है. एक साल पहले तक मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास 10 से 15 लाख मीट्रिक टन तक कोयले का भंडारण हुआ करता था। लेकिन अब यह स्थिति निर्मित हो गई है कि कोयले की कमी के चलते बिजली इकाइयां तक बंद रखनी पड़ रही है. *डब्ल्यूसीएल का 500 करोड़ रुपया बकाया* डब्ल्यूसीएल के सीएमडी मनोज कुमार बताते हैं कि मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी पर 500 करोड़ रुपए बकाए हैं. सूत्र बताते हैं कि श्री सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा और सतना पावर प्लांट सारणी डब्ल्यूसीएल का 500 करोड़ों का भुगतान बकाया है. आर्थिक संक्रमण काल से ग्रस्त मौजूदा सरकार इतनी बड़ी बकाया राशि का भुगतान नहीं कर पा रही है. *मुख्यमंत्री चौहान कर चुके हैं सत्याग्रह* केंद्र में जब यूपीए की सरकार और मप्र में भाजपा सरकार थी। तब मप्र सरकार द्वारा केंद्र से कोयला नहीं देने का आरोप लगाया जाता था. इतना ही नहीं, एक बार तो मप्र के मुख्यमंंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों के साथ कोयले की आपूर्ति बढ़ाने की मांग को लेकर पाथाखेड़ा पहुंच गए थे. यहां की सतपुड़ा-खदान परिसर से कोयला उठाकर शिवराज सिंह चौहान ने कोयला सत्याग्रह किया था. वर्तमान में राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है. फिर देश और प्रदेश में कोयला संकट गहराना सरकार की नाकामी नहीं तो क्या हो सकती है. *रोजाना 68 हजार मीट्रिक टन खपत है* मप्र के सभी सरकारी बिजली घरों की 16 इकाइयां पूरी क्षमता पर चलती है तो रोजाना 68 हजार मीट्रिक टन से अधिक कोयले की आवश्यकता होती है। मौजूदा स्थिति में 7 इकाइयां बंद है. 9 इकाइयों में लगभग 43 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है. शनिवार को 49 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हुई. जबकि आपूर्ति 43 हजार मीट्रिक टन ही हुई. वह भी तब जब सिंगाजी पॉवर प्लांट को एक साथ 7 रैक कोयला मिला. फिलहाल मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास 2 लाख 27 हजार 400 मीट्रिक टन कोयल स्टॉक है. *बंद है प्रदेश की 16 में 7 इकाइयां * मप्र में चार सरकारी बिजली घर है. जिनमें 16 विद्युत इकाइयां है। जिनकी कुल क्षमता 5400 मेगावाट है. कोयला संकट और तकनीकी कारणों से 16 में से 7 इकाइयां बंद है. जिनमें सतपुड़ा की 6,7,8 और 9 नंबर, बिरसिंहपुर की 1 और 4 नंबर व श्रीसिंगाजी पॉवर प्लांट की 4 नंबर इकाई शामिल है. जबकि सतपुड़ा की 2, अमरकंटक की 1 और सिंगाजी व बिरसिंहपुर की 3-3 इकाइयों से 2400 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन हो रहा है. यानी की मप्र के सरकारी बिजली घरों से आधे से भी कम उत्पादन हो रहा है. इनका कहना - मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी पर वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड का 500 करोड़ रुपया बकाया है. मनोज कुमार, सीएमडी, डब्ल्यूसीएल इनका कहना - सतपुड़ा पॉवर प्लांट में एक सप्ताह का कोयला है. यहां रोजाना 7 हजार मीट्रिक टन के आपसास कोयले की खपत हो रही है. स्टॉक 61 हजार 700 मीट्रिक टन के आसपास है. कोयले की आपूर्ति बढ़ाने डब्ल्यूसीएल और कोल इंडिया से मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारी सतत संपर्क में बने हैं. देवेन्द्र नागले, पीआरओ, सतपुड़ा पॉवर प्लांट, सारनी *पॉवर प्लांटों पर एक नजर* प्लांट - कोल स्टॉक सतपुड़ा - 61,700 सिंगाजी - 65,400 अमरकंटक - 22,400 बिरसिंहपुर - 77,900 (नोट :- कोल स्टॉक मीट्रिक टन में हैं.) *कहां रही कितनी डिमांड * पूर्व क्षेत्र - 3000 मध्य क्षेत्र - 3100 पश्चिम क्षेत्र - 2700 रेलवे - 269 (नोट : - बिजली की मांग सुबह 11:15 बजे इस तरह रही. ) कहां कितनी बन रही बिजली - सौर उर्जा - 1550 पवन उर्जा - 06 जल उर्जा - 400 थर्मल - 2400 (नोट :- उत्पादित बिजली मेगावाट )