यूपी चुनाव अति पिछड़े, भाजपा का बड़ा दांव : -सरयूसुत मिश्रा


स्टोरी हाइलाइट्स

यूपी में चुनाव की बिसात बिछ गई है. जातिगत समीकरणों को साधने के लिए भाजपा ने यूपी सरकार के मंत्रिपरिषद में विस्तार किया ....

यादव, मुस्लिम, जाटव में बिखराव से भाजपा को मिलेगा फायदा -सरयूसुत मिश्रा   यूपी में चुनाव की बिसात बिछ गई है. जातिगत समीकरणों को साधने के लिए भाजपा ने यूपी सरकार के मंत्रिपरिषद में विस्तार किया है. योगी आदित्यनाथ ने इस विस्तार में अति पिछड़ी जातियों को साधने की पूरी कोशिश की है. जो सात मंत्री बनाए गए हैं, उनमें केवल जितिन प्रसाद ब्राम्हण हैं. बाकी सभी छह मंत्री अति पिछड़ी जातियों के हैं. यूपी मे यादव, मुस्लिम और जाटों को मिलाकरवोटर लगभग 40% होते हैं. यह सभी जातियां भाजपा की परंपरागत वोटर नहीं है. मुस्लिम मतदाताओं का एकमात्र लक्ष्य भाजपा को हराना होता है. मुस्लिम हर विधानसभा क्षेत्र में जीतने वाले प्रत्याशी को मतदान करने का प्रयास करते हैं. यादव भी परंपरागत रूप से मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के साथ हैं. अनुसूचित जाति की जाटव जाति बसपा की प्रबल समर्थक है. यह तीनों जातियां अपने-अपने वर्गों में प्रभावशाली मानी जाती हैं. भाजपा ने इन जातियों में अपना आधार बढ़ाने की बजाय अति पिछड़े समाज में अपने जनाधार को बढ़ाने की सुनियोजित रणनीति पर काम किया है और इसका उन्हें लाभ भी मिला है. पहले 2014 और 19 के लोकसभा चुनाव में अति पिछड़े मतदाताओं को जोड़कर भाजपा ने अच्छी सीटें हासिल की थीं. आने वाले विधानसभा चुनाव में भी वह इसी रणनीति पर काम कर रही है और योगी आदित्यनाथ ने जो कैबिनेट विस्तार किया है, उसमें यह बात स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है.भाजपा अपनी वह पुरानी इमेज तोड़ने में सफल हुई है, जिसमें इसे अपर कास्ट और शहरी क्षेत्रों की पार्टी माना जाता रहा है. मंत्रिपरिषद के लिए निर्धारित पूरी संख्या के साथ योगी सरकार काम कर रही है. यूपी में 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं और मुख्यमंत्री सहित आज उत्तर प्रदेश में 60 मंत्रियों का मंत्रिमंडल है. इनमें से 24 मंत्री कैबिनेट स्तर के,नौ राज्य मंत्री( स्वतंत्र प्रभार) और 27 राज्य मंत्री हैं. जातिगत समीकरणों से देखा जाए तो मंत्रिमंडल में पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जाति की संख्या सबसे ज्यादा है. आज यूपी मंत्रिमंडल में 28 अपर कास्ट के मंत्री हैं, तो 29 पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति के हैं. उत्तर प्रदेश में शेड्यूल ट्राइब की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है, फिर भी संजीव गौड़ को मंत्री बनाया गया. बलदेव सिंह अलख, जो जाट हैं, सिख मिनिस्टर के रूप में शामिल किए गए. उत्तर प्रदेश की जातिगत राजनीति को ध्यान में रखते हुए कल्याण सिंह ने अति पिछड़े लोगों को पार्टी से जोड़ने की रणनीति पर अमल शुरू किया था और इसे भाजपा ने लगातार जारी रखा है. इस चुनाव में भी “अपना दल” के साथ भाजपा ने चुनावी समझौता कर लिया है . अपना दल का कुर्मी जाति में काफी प्रभाव है. कुर्मी जाति ओबीसी में यादवों के बाद दूसरी प्रभावशाली जाति है .भाजपा का “सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के” साथ गठबंधन टूट गया है. भाजपा ने “निषाद पार्टी” के साथ फिर से गठबंधन किया है और विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. यह पार्टी मल्लाह और मछुआरे तथा नाविक समुदाय की है. निषाद पार्टी से गठबंधन एसबीएसपी पार्टी से होने वाले नुकसान का संतुलन करेगी . वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ी थीं. तब ऐसा लग रहा था कि दोनों दल अपनी समर्थक जातियों के बल पर भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाएंगे. लेकिन अति पिछड़ों की भाजपा की राजनीति ने इस नुकसान को नियंत्रित कर लिया. पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति में अति पिछड़ी जातियां लगभग 8% के आसपास हैं, जो भाजपा के साथ जुड़ गई हैं. इसका भाजपा को बहुत अधिक लाभ पहुंच रहा है. हिंदुत्व की राजनीति के कारण भाजपा उच्च वर्गों में काफी पकड़ रखती है. हिंदुत्व के साथ अगर जातिगत बिखराव सीमित हो जाए तो भाजपा को सत्ता में आने से कोई भी रोक नहीं सकता .पिछड़े वर्गों की यादव और अनुसूचित जाति की जाटव सबसे प्रमुख जाति हैं. यह दोनों जातियां अपने समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं. इन दोनों जातियों की दबंगई से इन्हीं वर्गों की अति पिछड़ी जातियां पीड़ित होती हैं और उन्हीं जातियों पर भाजपा ने अपना फोकस किया है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भी योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. योगी मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा 10 मंत्री ब्राह्मण समाज से ही आते हैं. समाज का जो उच्च वर्ग है,वह जाति की बजाय हिंदुत्व को ज्यादा महत्व देता रहा है. राम मंदिर आंदोलन में भी इसी वर्ग ने भाजपा को पूरी ताकत से समर्थन किया था . राम मंदिर का तो निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है. लंबी लड़ाई के बाद यह उपलब्धि हिंदुओं के लिए गौरवपूर्ण है. इस गौरव को हासिल करने में भाजपा ने जो भूमिका निभाई है, वह आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को निश्चित ही लाभ पहुंचाएगी. ये भी पढ़ें: ऐसे शक्ति प्रदर्शनों से राजनीतिक लहर नहीं आती, विरासत की राजनीति मैं आता ही है ऐसा दौर.. सरयूसुत मिश्रा