मकड़ियों(spiders) के इन फायदों को जानकार हैरान हो जायेंगे आप.. 


स्टोरी हाइलाइट्स

लोग मकड़ियों(spiders) से बहुत डरते हैं और उन्हें मारकर ही दम लेते हैं। किन्तु वैज्ञानिक मकड़ियों (spiders) को तीन कारणों से बेहद मूल्यवान....

मकड़ियों(spiders) के इन फायदों को जानकार हैरान हो जायेंगे आप.. 
लोग मकड़ियों(spiders) से बहुत डरते हैं और उन्हें मारकर ही दम लेते हैं। किन्तु वैज्ञानिक मकड़ियों (spiders) को तीन कारणों से बेहद मूल्यवान समझते हैं। पहला कारण तो यह कि फसलों को चौपट करने वाले अनेक कीटों को मारकर उन्हें नियंत्रित करती हैं। दूसरा, मकड़ियों(spiders) में पाए जाने वाले विष के अनेक चिकित्सकीय उपयोग हो सकते हैं। और अब तीसरा कारण यह सामने आया है कि मकड़ियों(spiders) के जाले का धागा बहुत ही हल्का, लचीला किंतु उतना ही मजबूत होता है।


भले ही हम मकड़ियों(spiders) के जालों को हाथ या झाड़ से तोड़ दें, लेकिन जाले में इस्तेमाल होने वाले धागे को तोड़ना मुश्किल होता है। इसका इस्तेमाल चिकित्सा, एयरोस्पेस तथा वस्त्र उद्योगों में किया जा सकता है।

मकड़ियों(spiders) से रेशम का उत्पादन:-

वैसे तो मकड़ियों(spiders) की रेशम उत्पन्न करने वाली ग्रंथियां अनेक प्रकार के रेशमी धागे बना सकती हैं, लेकिन सबसे मजबूत रेशमी धागों को 'ड्रेगलाइन सिल्क' कहते हैं। यह मजबूत, लचीला, हल्का और बायोडिग्रेडेबल होता है। यह बायोकम्पैटिबल भी है, मतलब शरीर में प्रवेश कराने पर प्रतिरक्षा प्रणाली इसे स्वीकार कर लेती है। 

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अतः इस रेशम का उपयोग कैप्स्यूल बनाकर शरीर में दवा पहुंचाने, आंखों का लेंस टेन्डन और अन्य इम्प्लांट के निर्माण में, प्रयोगशाला में मानव अंग बनाने के लिए मोल्ड बनाने आदि में भी किया जा सकता है। मकड़ियों (spiders) के रेशम के इन गुणों के कारण ही वैज्ञानिक उसके रेशम का व्यापक तौर पर उपयोग करना चाहते हैं। किंतु मुश्किल यह है कि प्रत्येक मकड़ी अपने जीवनकाल में बहुत कम रेशम उत्पादित करती है। 

लाखों मकड़ियों(spiders) को रेशम उत्पादन के लिए पालने पर भी उतना उत्पादन नहीं होगा, जिससे कुछ खास बनाया जा सके और मकड़ियों(spiders) को पालने पर भी अधिक खर्चा होगा। हजारों मकड़ियों (spiders) को एक साथ पालना भी असाध्य कार्य है, क्योंकि मकड़ियां इलाके बनाकर रहती हैं और स्वजाति भक्षी भी होती हैं। इसलिए मकड़ियों(spiders) से रेशम प्राप्त करने के बजाय वैज्ञानिकों ने इसके रेशम बनाने वाले जीन्स को पौधों, यीस्ट और अन्य कीटों में डालकर रेशम उत्पादन के सफल प्रयोग किए हैं। हालांकि उन पर होने वाले भारी व्यय के कारण अब तक व्यावसायिक रूप से उत्पादन प्रारंभ नहीं किया जा सका।

नए शोध से उम्मीद जागी:-

हाल ही में जापान के रिकन सेंटर फॉर सस्टेनेबल रिसोर्स साइंस के वैज्ञानिकों ने समुद्री बैक्टीरिया 'रोडोवुलम सल्फिडोफिलम' में मकड़ी के रेशमी धागे उत्पन्न करने वाला जीन डालकर बैक्टीरिया को मकड़ी का रेशम उत्पादन करने वाली फैक्ट्री में बदल दिया। बैक्टीरिया को एक जैविक फैक्ट्री में बदलना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बैक्टीरिया के संवर्धन में प्रयोगशालाओं को अधिक व्यय नहीं करना पड़ता है। 

समुद्री जल में रहने वाले बैक्टीरिया वातावरण से कार्बन डायआक्साइंड व नाइट्रोजन सोखकर सौर ऊर्जा से स्वयं का भोजन बनाकर वृद्धि करते हैं। अक्सर फैक्ट्रियां लगाने पर ऊर्जा, पानी, ठोस अपशिष्ट पदार्थों का निराकरण व ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। लेकिन समुद्री बैक्टीरिया का फैक्ट्री के रूप में उपयोग बिना किसी व्यय के होगा।