अब विज्ञान भी पुनर्जन्म को मानता है?


स्टोरी हाइलाइट्स

कुछ सदी पहले तक विज्ञान आत्मा और पुनर्जन्म को पूरी तरह से नकार रहा था लेकिन वीडियो कैमरे के प्रचलन में आने के बाद पुनर्जन्म की घटनाओं की तस्दीक ने विज्ञान की भी आंखें खोल दी| कैमरों ने ऐसे दृश्य रिकॉर्ड किए जो आत्मा का सबूत देते थे|  यूं तो पुनर्जन्म की हजारों घटनाएं अखबारों में छपती थी लेकिन अखबार की कटिंग विज्ञान के लिए सबूत नहीं थी| विज्ञान ने हमेशा पुनर्जन्म को कोरी कल्पना बताया लेकिन जब टेलीविजन चैनल पुनर्जन्म की घटनाओं तक पहुंचे और उनकी पड़ताल करके जो रिपोर्ट्स वैज्ञानिकों के सामने रखी उसका जवाब देने में वह नाकाम हो गए|  टीवी चैनल की बहस में पुनर्जन्म की पड़ताल करती कहानियों पर पर्दा डालने की कोशिश नाकाम हुई और इस दिशा में विज्ञान पुनर्विचार करने को मजबूर हुआ| ऐसा नहीं है कि विज्ञान ने पूरी तरह पुनर्जन्म और आत्मा के सिद्धांत को खारिज करने में सफलता हासिल कर ली हो| विज्ञान के एक समूह ने हमेशा इन बातों में कुछ ना कुछ सच्चाई महसूस की| मनोविज्ञान और परा मनोविज्ञान हजारों रिसर्च लिए बताया की पुनर्जन्म सच्चाई है|  विज्ञान की एक शाखा मनोविज्ञान है जिसे इतिहास के चर्चित डॉक्टर सिगमंड फ्रायड ने जन्म दिया इसके बाद क्षेत्र में अनेक लोग जुड़े और मनोविज्ञान आज अपने विकसित स्वरूप में सबके सामने है| आज मनोविज्ञान की एक और शाखा विकसित हो गई है जिसे परा मनोविज्ञान कहते हैं|  परा मनोविज्ञान के तहत आत्मा परमात्मा भूत प्रेत सूक्ष्म शरीर टेलीपैथी पुनर्जन्म पर आज ऐसे शोध हो रहे हैं जो प्राचीन धार्मिक मान्यताओं को मोहर लगा रहे हैं|  अब यह बात करना बेमानी है कि विज्ञान पुनर्जन्म को नहीं मानता| विज्ञान पुनर्जन्म को नहीं मानता यह सदियों पहले प्रचलन में था लेकिन आज नहीं है|पुनर्जन्म की धार्मिक मान्यताओं और व्यवहारिक उदाहरणों के बाद विज्ञान ने इस दिशा में अनेक प्रयोग किए हैं और अपनी रिपोर्ट्स  में अभौतिक सत्ता  को लेकर और अधिक रिसर्च किए जाने पर जोर दिया है| दरअसल विज्ञान के सामने पुनर्जन्म की थ्योरी को मान्यता न देने के पीछे एक बड़ी मजबूरी है, क्योंकि विज्ञान हर चीज को नजरों से देखना चाहता है लेकिन उसकी नजरें मरने के बाद के घटनाक्रम को देख नहीं पाती इसलिए वह इससे इनकार करता रहा है|  ब्रिटेन सोवियत संघ , अमेरिका जैसे देशो में परामनोविज्ञानिको ने कई प्रयोग किए|  हालांकि भारत में इस तरह के प्रयोग बड़े स्तर पर नहीं हो पाए| भारत में इस दिशा में कुछ लोगों ने रिसर्च करने की कोशिश की है इनमें डॉक्टर कीर्ति स्वरूप रावत बैंगलोर के डॉ न्यूटन, अहमदाबाद के डॉ . एच जाना का नाम सामने आता है|  उन्होंने माना कि लोगों में पूर्व जन्म की याददाश्त पाई जाती है| कैसे होती है पुनर्जन्म की पड़ताल   कुछ लोगो के साथ अजीब घटनाये होती है जैसे मृत्यु हो जाने के बाद , डाक्टरों के द्वारा मृत घोषित किये जाने के बाद पुन:  जीवित हो उठते है। ऐसे लोग मृत्यु के बाद होने वाली घटनाओ का वर्णन करते है। हालाकि ऐसी घटनाएं हजारो में एक के साथ होती है लेकिन रिसर्च के लिए बेहद महत्वपूर्ण ! ऐसी घटनाओ को वैज्ञानिक गहराई से व  तार्किक ढंग से विश्लेषण करते है। कभी कभी व्यक्ति कुछ दिनों में या उठने के तुरंत बाद भूलने लगता है , ऐसी स्थिति में वैज्ञानिक हिप्नोटिज्म का प्रयोग कर सब याद दिलाते है। यह पाया गया सभी लोग एक जैसा वर्णन करते है।   डॉ रेमंड  मूडी इस पद्धति के विश्व प्रसिद्द वैज्ञानिक माने जाते है। उन्होंने अपने निष्कर्षो को लाइफ आफटर डेथ नामक पुस्तक में संकलित किया है।   दूसरी पद्धति में में वैज्ञानिक व्यक्ति को सम्मोहन की अवस्था में धीरे धीरे बचपन  और फिर जन्म के दौरान , फिर पिछले जन्म की याद दिलाते है। इस तरह हासिल नतीजों  की छानबीन की जाती है।   वैज्ञानिकों ने पाया कि लगभग सभी ने जन्म के समय की बाते बताई , जन्म के तुरंत बाद अस्पताल डाक्टरो की बाते या वर्णन जो उसने किया वो सही पाया गया ! इसी तरह पिछले जन्मो के बारे में कही गयी बातो की छानबीन की गयी तो आश्चर्यजनक रूप से सही पायी गई।  डॉ  हेलेन वॉम्बेक इस तरह के प्रयोगो  में विश्वप्रसिद्ध हुई . उन्होंने करीब चार हजार लोगो को पिछले जन्म कि याद दिलाई  और अपने निष्कर्षो को "लाइफ बिफोर लाइफ "नामक किताब में संकलित किया। इस तरह के प्रयोग करने वाले अनेक वैज्ञानिक विदेशो में रिसर्च कर रहे  है। भारत में एक परामनोवैज्ञानिक डॉ प्रीती  जैन ने इमेजिन टी.वी पर राज पिछले जन्म का सीरियल के ज़रिये पुनर्जन्म को दिखने की कोशिश की हलाकी उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और अन्धविश्वास फैलाने के केस झेलने पड़े