पैकअप करें या बैकअप करें? अनिश्चितता के दौर में लाइफ को रिसेट करने का मौका


स्टोरी हाइलाइट्स

COVID-19 ने हमारी जिंदगी पर अभूतपूर्व प्रभाव डाला है| जिंदगी के हर पहलू कोरोनावायरस के चलते प्रभावित हुए हैं| भौतिक जीवन के केंद्र में पैसा है|

पैकअप करें या बैकअप करें? अनिश्चितता के दौर में लाइफ को रिसेट करने का मौका COVID-19 ने हमारी जिंदगी पर अभूतपूर्व प्रभाव डाला है| जिंदगी के हर पहलू कोरोनावायरस के चलते प्रभावित हुए हैं| भौतिक जीवन के केंद्र में पैसा है| पैसे की व्यवस्था इस दौर में सबसे ज्यादा गड़बड़ाई है| जब पैसा मूल में है तो इसके पीछे के सारे पहलू यानी रिश्ते नाते कार्य व्यवहार जीवन शैली हर जगह इसका इंपैक्ट नजर आ रहा है| इसका असर लंबे समय तक दिखाई देने वाला है| जीवन के कुछ पहलू ऐसे हैं जहां पर स्थाई प्रभाव पड़ा है| जो शायद कभी रिवर्स ना हो पाए| हमारी फाइनेंसियल कंडीशन पर जो असर आया है वह भी लंबे समय तक दिखाई देगा| लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है| हर दौर में, हर स्थिति में, हर हाल में, कहीं ना कहीं, आशा की कोई किरण होती है| उच्च वर्ग और मध्यम वर्ग शायद अपने आप को संभाल ले| लेकिन निम्न मध्यम वर्ग और अति निम्न आय वर्ग के लोग शायद इस का दंश लंबे समय तक भोगें| दुनिया की अर्थव्यवस्था भी कभी स्थाई नहीं रही है| कभी वह उछाल मारती है |और कभी जमीन पर गिर जाती है| कोरोना के दौर में भी कुछ ऐसा ही हुआ है| सरकारी बहुत दिन तक आम नागरिकों का बोझ नहीं सह पाएंगी| लोगों को खुद ही अपने आप को संभालना होगा| सबसे पहले तो अपनी जरूरतों को समेटना होगा| अपनी वित्तीय क्षमता के अनुसार अपने खर्चों को समायोजित करना होगा| अब वक्त फाइनेंसियल मैनेजमेंट का है| अध्यात्म वैसे ही जरूरतें कम करने की वकालत करता रहा है| लेकिन बाजारवाद ने लोगों की जरूरतों को बेतहाशा बढ़ा दिया है| क्रेडिट कार्ड और लोंस के कारण लोग कर्ज के तले दबे चले गए| हर क्षेत्र में जो झटका आया है वह चौंकाने वाला है| लोगों ने इस तरह की आपदा को लेकर कभी कोई रणनीति तैयार नहीं की थी| क्योंकि उन्हें अंदाजा ही नहीं था| लेकिन अब रणनीति बनाने की जरूरत है| अब सोचने की जरूरत है कि जनसंख्या नियंत्रण कितना जरूरी है| आज वो लोग पछता रहे होंगे जिन्होंने बिना सोचे समझे कई बच्चे पैदा कर लिए| लॉकडाउन में एक छोटे से घर में 8,10 लोगों के साथ महीनों गुजारना बहुत कठिन रहा होगा| आने वाले समय में लोगों को अपने परिवार को सीमित करने पर सोचना पड़ेगा| आज गांव में एक परिवार में 4 भाई है| तीन बाहर शहर में जाकर काम धंधा करके गुजारा कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन कारण वो तीन भाई भी गांव में अपने घर पहुंच गए| अब चारों भाई खेती पर डिपेंड हैं| यदि पिता ने सिर्फ एक बेटा पैदा किया होता तो इतनी कठिनाई नहीं होती| जैसे पिता का गुजारा उस जमीन से चल रहा था वैसे ही एक बेटे का भी चल जाता| हम सबको धैर्यवान होकर ठंडे दिमाग से सोचना होगा| परिवार के स्तर पर फाइनेंसियल मैनेजमेंट को बढ़ावा देना होगा| परिवार का हर सदस्य कैसे जिम्मेदारी की बजाए असेट बन सके, इस पर विचार करना होगा| अपवाद को छोड़कर कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे पर डिपेंड ना रहे| आत्मनिर्भर बने| कुछ ऐसा कार्य करे जिससे उसे थोड़ी बहुत आमदनी होती रहे तो घर का वित्तीय प्रबंधन सहजता से हो सकता है| तात्कालिक परिस्थिति के अनुसार लक्ष्य तय करने होंगे| खर्च पर ध्यान देना होगा जो अनावश्यक खर्चे हैं, उन पर तत्काल लगाम लगानी पड़ेगी| अपने शौक, विलासिता और बेफिजूल की आदतों में होने वाले खर्चों पर भी तुरंत रोक लगानी होगी| पेन कागज उठाईये और लिखिए कि आपको कहां-कहां खर्चे कम करने हैं और आमदनी कहां-कहां से कैसे कैसे बढ़ सकती है| कुछ खर्चे ऐसे हैं जिन पर आप पाबंदी नहीं लगा सकते जैसे बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, पानी और लोन| जो व्यापार चला रहे हैं उन्हें भी फिलहाल अनावश्यक विस्तार से बचना होगा| नई कार, नया ऑफिस, ऑफिस की सुविधाएं, नया एसी, इस तरह के बेफिजूल के इंवेस्टमेंट करने से फिलहाल अपने आप को रोकना होगा| हम सब समझ चुके हैं कि ये दुनिया अनिश्चितता का संसार है| यहां कुछ भी सुरक्षित नहीं है कभी भी कुछ भी हो सकता है| कभी भी कोई नई आपदा सर पर खड़ी हो सकती है| इसलिए अपनी आमदनी को सुरक्षित मानकर अनावश्यक बोझ पालना और यह सोच लेना कि समय आने पर आप उसका भुगतान कर देंगे यह गलती होगी| इसलिए सुनिश्चित निवेश करे, जिसकी भरपाई आप कर सकें, जिसका बैकअप प्लान आपके पास हो| हमेशा अपनी लायबिलिटी को बढ़ाते रहना हम सब की आदत बन गई है| जीवन में फक्कड़पन की आवश्यकता है| जीने के बिंदास अंदाज को सीखने की कोशिश कीजिए| एक बंजारा कैसे जीता है? एक फकीर कैसे जीता है? पशु, पक्षी किसके भरोसे जीते हैं? क्योंकि इनकी आवश्यकताएं बहुत सीमित होती हैं, इसलिए इनकी चिंताएं भी बहुत कम होती हैं| आपका डर सुविधाएं छीनने का डर है, कमाई कम होने का डर है| लेकिन चिंता मत कीजिए आप इस दुनिया में आए हैं तो दो वक्त का भोजन आपको जरूर मिलेगा| क्या फर्क पड़ता है यदि आपके बच्चे सामान्य स्कूल में पढ़ लेंगे? क्या फर्क पड़ता है कि आप लग्जरी घर की बजाय एक सामान्य घर में रह लेंगे?याद रखिए कम व्यवस्थाओं और छोटे स्कूलों में पढ़कर भी देश दुनिया में अनेक लोग महान और करोड़पति बने हैं| जिंदगी ज्यादा महत्वपूर्ण है संसाधन सामान और वस्तुएं कम| जहां जिंदगी का सवाल है वहां सुख सुविधाओं में कटौती करने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए| तीन चार घर खरीद रखे हैं लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होती चली जा रही है तो एक घर निकाल दीजिए| कुछ लोग जमीन जायदाद मकान दुकान बचाने के चक्कर में जिंदगी को दाव पर लगा देते हैं और संघर्ष करते-करते इतना टूट जाते हैं कि मौत को गले लगा लेते हैं| इससे पहले कि आप बहुत ज्यादा निराश और हताश हो जाए कुछ हटाइए, कुछ घटायिये, कुछ बेच डालिए| शांति सुकून प्रेम संबंध और जीवन से बड़ा कोई सामान नहीं है| यह वक्त भी गुजर जाएगा| उम्मीद का दामन थामें रखिये| ईश्वर पर भरोसा कीजिए| यदि आप जिंदा है तो ईश्वर ने जरूर आपके बारे में कुछ सोच रखा होगा|