पाकिस्तान की साजिश जम्मू-कश्मीर में सेना के लिए खतरा, 'पार्ट टाइम आतंकवादी' आईएसआई का नया हथियार
कश्मीर में एक बार फिर आतंकी गतिविधियां तेज हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ समय से ड्रोन देखे जा रहे हैं। तो अब पार्ट टाइम आतंकियों, जिन्हें हाइब्रिड टेररिस्ट भी कहा जाता है, का खतरा बढ़ गया है। पार्ट टाइम आतंकवादी सुरक्षा एजेंसियों की सूची में नहीं होते हैं, लेकिन आतंकवादी हमले को अंजाम देने के बाद गायब हो जाते हैं। पुलिस के पास इन आतंकवादियों का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
पार्ट टाइम आतंकवादियों पर नजर रखना मुश्किल
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, घाटी में पिछले कुछ दिनों में हुए आतंकवादी हमलों की जांच में पता चला है कि कुछ हमले पथभ्रष्ट युवकों द्वारा किए गए थे। हैरानी की बात यह है कि हमलों में शामिल लोगों के पास दहशत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इन घटनाओं ने सुरक्षाबलों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है, क्योंकि पार्ट टाइम आतंकियों पर नजर रखना आसान नहीं है।
पाकिस्तान ऐसे आतंकियों को स्लीपर सेल की तरह इस्तेमाल करता है
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की आईएसआई के इशारे पर नागरिकों पर हमले करने के लिए कश्मीर में पार्ट-टाइम या हाईब्रिड आतंकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह के हमलों का मकसद लोगों में डर पैदा करना है। पार्ट टाइम आतंकवादी हमले के बाद अपने सामान्य दिनचर्या में वापस चले जाते हैं। पाकिस्तान के स्लीपर सेल की तरह पार्ट टाइम आतंकियों का इस्तेमाल किया जाता है।
खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, पहुंचाने और हमला करने की जिम्मेदारी
यानी उनके कार्यों में सुरक्षा बलों से जुड़ी खुफिया जानकारी को सीमा तक पहुंचाना और जरूरत पड़ने पर खुद हमले करना शामिल है। जम्मू-कश्मीर पुलिस अब ऐसे आतंकियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। इसी क्रम में सभी पार्ट टाइम आतंकियों की कुंडली खंगाली जा रही है।