मुरैना के इस मंदिर की नकल करके बना था संसद भवन


स्टोरी हाइलाइट्स

भारत मंदिरों का देश है। हम मूर्ति पूजा में विश्वास रखनेवाले लोग हैं। हम मानते हैं कि स्वयं ईश्वर ने भारतवर्ष की इस पावन धरती पर अवतार लिया है। भारतीय ज्योतिष और धर्म विज्ञान में तंत्र का बहुत महत्व है।

मुरैना के इस मंदिर की नकल करके बना था संसद भवन भारत मंदिरों का देश है। हम मूर्ति पूजा में विश्वास रखनेवाले लोग हैं। हम मानते हैं कि स्वयं ईश्वर ने भारतवर्ष की इस पावन धरती पर अवतार लिया है। भारतीय ज्योतिष और धर्म विज्ञान में तंत्र का बहुत महत्व है। आज आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जो न केवल तंत्र विद्या की यूनिवर्सिटी कहलाता है बल्कि देश के संसद भवन का निर्माण भी इसी की बनावट से प्रभावित होकर किया गया है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित है... इस मंदिर की तर्ज पर बना है संसद भवन, कभी यहां होती थी तंत्र धनामुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में मितावली गांव की एक पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर 9वीं सदी में परिहार प्रतिहार वंश के 10वें शासक सम्राट देवपाल परिहार ने बनवाया था। गोलाकार आकार के इस मंदिर मे 101 खंबे और 64 कमरों में एक एक शिवलिंग है।इन कमरों में कभी चौसठ योगिनीयों की प्रतिमाएँ भी स्थापित थी जो अब दिल्ली और ग्वालियर के संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। मुख्य मंदिर में 101 गोल दायरे में खड़े खंभों के बीच एक शिव मंदिर है। एक दृष्टि में ही संसद भवन के आकार पर इस मंदिर का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। ब्रिटिश वास्तुविद सर एडविन लुटियंस ने मुरैना के चौसठ योगिनी मंदिर से प्रभावित होकर ही भारत के संसद भवन को आकार दिया था। यही नहीं भारतीय शिल्प, स्थापत्य और संस्कृति ने अनेक अवसरों पर विदेशियों को प्रभावित किया किन्तु हम स्वयं अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के महत्व को नहीं समझ पाए। दुख तो इस बात का है कि हमें स्वयं अपने आप को पहचानने के लिये आयातित आयने में ही झाँक कर देखना पड़ता है। भारत में जो कुछ भी शोध कार्य हो रहा है वह हमारी पांच हज़ार साल पुरानी और व्यापक सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिये पर्याप्त नहीं है। चौसठ योगिनी मंदिर केवल एक मंदिर ही नहीं था वह तंत्र साधना का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था साथ ही ज्योतिष, अंक शास्त्र आदि विषयों पर शोध कार्य का संस्थान भी था, जिसकी विस्तृत जानकारी के लिए शोध की असीम सम्भावनाएं है। चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना- यह मंदिर कहलाता था तांत्रिक विश्वविद्यालय, होते थे तांत्रिक अनुष्ठान Chasuth Yogini Mandir Morena- History in Hindi  : भारत में चार प्रमुख चौसठ-योगिनी मंदिर हैं। दो ओडिशा में तथा दो मध्य प्रदेश में। लेकिन इन सब में मध्य प्रदेश के मुरैना स्तिथ चौसठ योगिनी मंदिर का विशेष महत्तव है। इस मंदिर को गुजरे ज़माने में तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था। उस दौर में इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करके तांत्रिक सिद्धियाँ हासिल करने के लिए तांत्रिकों का जमवाड़ लगा रहता था। मौजूदा समय में भी यहां कुछ लोग तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए यज्ञ करते हैं। चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना ग्राम पंचायत मितावली, थाना रिठौराकलां, ज़िला मुरैना (मध्य प्रदेश) में यह प्राचीन चौंसठ योगिनी शिव मंदिर है। इसे ‘इकंतेश्वर महादेव मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई भूमि तल से 300 फीट है। इसका निर्माण तत्कालीन प्रतिहार क्षत्रिय राजाओं ने किया था। यह मंदिर गोलाकार है। इसी गोलाई में बने चौंसठ कमरों में हर एक में एक शिवलिंग स्थापित है। इसके मुख्य परिसर में एक विशाल शिव मंदिर है।   भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक़, इस मंदिर को नवीं सदी में बनवाया गया था। कभी हर कमरे में भगवान शिव के साथ देवी योगिनी की मूर्तियां भी थीं, इसलिए इसे चौंसठ योगिनी शिवमंदिर भी कहा जाता है। देवी की कुछ मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। कुछ मूर्तियां देश के विभिन्न संग्रहालयों में भेजी गई हैं। तक़रीबन 200 सीढ़ियां चढ़ने के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। यह सौ से ज़्यादा पत्थर के खंभों पर टिका है। किसी ज़माने में इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान किया जाता था।   एडविन ने इसी तर्ज पर बनाया संसद भवन यह स्थान ग्वालियर से करीब 40 कि.मी. दूर है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए ग्वालियर से मुरैना रोड पर जाना पड़ेगा। मुरैना से पहले करह बाबा से या फिर मालनपुर रोड से पढ़ावली पहुंचा जा सकता है। पढ़ावली ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यही वह शिवमंदिर है, जिसको आधार मानकर ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन लुटियंस ने संसद भवन बनाया। चौंसठ योगिनी मंदिर एक दृष्टि में- निर्माण काल : नवीं सदी स्थान : मितावली, मुरैना (मध्य प्रदेश) निर्माता : प्रतिहार क्षत्रिय राजा ख़ासियत : प्राचीन समय में यहां तांत्रिक अनुष्ठान होते थे आकार : गोलाकार, 101 खंभे कतारबद्ध हैं। यहां 64 कमरे हैं, जहां शिवलिंग स्थापित है। ऊंचाई : भूमि तल से 300 फीट शानदार वास्तुकला और खूबसूरती से बनाए गए इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 200 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यह मंदिर एक वृत्तीय आधार पर निर्मित है और इसमें 64 कमरे हैं। हर कमरे में एक-एक शिवलिंग बना हुआ है। मंदिर के मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है, जिसमें एक विशाल शिवलिंग है। यह मंदिर 1323 ई में बना था। भारत में चार ऐसे मंदिर स्थित हैं, जिन्हें चौसठ योगिनी मंदिर कहा जाता है। इनमें से दो मंदिर उड़ीसा और दो मध्य प्रदेश में स्थित हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सबसे प्रमुख और प्राचीन मंदिर है। यह भारत के उन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है, जो अभी भी अच्छी दशा में बचे हैं। यह मंदिर तंत्र-मंत्र के लिए काफी प्रसिद्ध था इसलिए इस मंदिर को तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहा जाता था। शानदार वास्तुकला और बेहद खूबसूरती से बनाए गए इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 200 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यह मंदिर एक वृत्तीय आधार पर निर्मित है और इसमें 64 कमरे हैं। हर कमरे में एक-एक शिवलिंग बना हुआ है। मंदिर के मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है, जिसमें एक विशाल शिवलिंग है।