निमाड़ की पहेलियाँ-4
-दिनेश मालवीय
काली गाय कांटे खाये. पानी को देख बिचक जाये.
(जूता)
जा रे जा मुझे दे तो जा
(दरवाजा)
सब लोग भाग गये और बूढ़े को लटका गये.
(ताला)
जा रे जा मेरी सूरत का आदमी ला
(दर्पण)
काला है पर कोयला नहीं, बोलता है पर मनुष्य नहीं.
(रिकार्ड) चूड़ी.
अनोखा फल, उसके तीस-तीस बीज. बारह बारह चीर.
(खरबूजा)
काली मुर्गी लाल बच्चे, जहाँ जाय मुर्गी वहाँ जाएँ बच्चे.
(रेल इंजन और डिब्बे)
एक बाई ऐसी जो सरकती नहीं.
(दीवार)
चार भाई चार प्रकार के, फूल गिरे एक रंग के
चार चरवे अमृत भरे. बिना ढक्कन के औंधे भरे.
(गाय के थन)
तू चल मैं आता हूँ.
(निवाला)
पिता बैठा रहे, बेटा उल-उल करे
(मटका, उलीचनी)
पोले बड के पेड़ में पाँच अंडे
(जूते में पैर की अंगुलियाँ)
अँधेरे घर में ऊँट बलबलाये
(कड़ाही के तेल में पूरी)
एक बाई रोज सुबह नंगे गुसाई को जगाये
सब लोग भाग गये और घुसाईं को छोड़ गये.
(चूल्हा)
देखने में काली, उठाने में भारी. मास्क दें तो चिल्ला उठे दारी
(पिस्तौल)
लाल गाय लकड़ी खाए. पानी पीये तो मर जाये
(अंगार)
इधा से गयी माँ बेटी, उधर आये ससुर जंवाई. कौन किसके गले मिले.
(बाप-बेटी)
हिरन चले, दूध गले
(चक्की और आटा)
सफ़ेद धरती, काले बीज, बोने वाला गाये गीत
(कागज, अक्षर, कवि और कविता)
एक जानवर ऐसा जो चलते-चलते रुक जाय. आओ चाकू काटो मुंडी फिर से चलने लग जाय.
(पेन्सिल)
एक घोडा उत्तर जाये, दक्षिण जाये, पानी पीये तो मर जाये
(पात्र)