रिश्तों को लगी सोशल मीडिया की नज़र


स्टोरी हाइलाइट्स

जी हां आजकल का दौर पूरी तरह से सोशल मीडिया का हो चुका है या यूँ कहें की सिर्फ उसी का हो चुका है.

रिश्तों को लगी सोशल मीडिया की नज़र जी हां आजकल का दौर पूरी तरह से सोशल मीडिया का हो चुका है या यूँ कहें की सिर्फ उसी का हो चुका है. मतलब साफ़ है आजकल की युवा जनरेशन को प्यार तो है लेकिन सिर्फ वाट्सएप, फेसबुक, इन्स्टाग्राम और भी न जाने क्या क्या...ये दौर हमारे समाज को मानसिक रूप से स्मार्ट तो बना रहा है लेकिन कहीं न कहीं उन्हें अपने परिवार रिश्तेदारों से दूर दूर ले जा रहा है. फेसबुक और वाट्सएप्प में लोग इतना ज्यादा व्यस्त रहने लगे हैं कि लोग साथ में बैठ कर भी एक दुसरे से ठीक से बात नहीं करते. आज कल के बच्चे अपना ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया को ही देते हैं. देखा जाए हम सब खुद के रिश्ते नाते को भूलते से जा रहें हैं और वहीँ सोशल मीडिया में फ्रेंडलिस्ट में हजारों दोस्त बन जातें हैं और जिन्हें हमने कभी देखा नहीं जिनसे कभी मिले नहीं उनसे भी खूब बाते होती हैं. ये सब कुछ  ठीक है बात कीजिये नए मित्र बनाइये लेकिन जो रिश्ते हैं जिन्हें हम बखूबी जानते हैं जिनके साथ हमारा बचपन बिता है जिनकी छत्र छाया में हम बड़े हुए हैं उन्हें मत तोडिये क्योंकि ज्यादा अनमोल हैं. सोशल नेट्वोर्किंग का उपयोग कीजिए लेकिन दुरुपयोग मत कीजिये.आजकल के छोटे छोटे मासूम बच्चे सोशल मीडिया में लिप्त हैं जिस उम्र में एक दुसरे के साथ खेलना कूदना चाहिए उस उम्र में आजकल के बच्चे सोशल मीडिया में अपने आपको व्यस्त रखते हैं.मैं ये बिल्कुल नहीं कहती की सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल न किया जाए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कीजिये लेकिन जरा सोच समझ कर कीजिये.कई बार लोग कहते हैं कि जमाना नया हो रहा है लेकिन असलियत तो यह है कि जमाना नया हो रहा है लेकिन असलियत तो यह है जनाब कि इस नये ज़माने में लोगों का व्यहार बदल रहा है.पहले के समय में कम से कम ये तो था कि लोग एक दुसरे बात करते थे हंसी ठिठोली करते थे लेकिन आज तो सिर्फ हाय हैलो चलते बनो यही राह गया है. अब रिश्तों की बात चली है तो ये भी बात कर ही लेते हैं दोस्तों सच्चे रिश्ते ऐसे ही नहीं बन जाते उनके लिए मेहनत करनी पड़ती है आजकल के रिश्ते जरा जरा सी बातों में टूटने लगते हैं ऐसा क्यों? क्या हम एक दूसरे की गलतियों को माफ़ करके एक बार फिर नई शुरुआत नहीं कर सकते.किसी ने कहा है कि इस भागती दौड़ती जिन्दगी में कौन किसी का होता है, परछाई भी सह छोड़ देती हैं जब अँधेरा होता है.. कहीं न कहीं ये बात सच भी है.दोस्तों रिश्ते अनमोल होते हैं इन्हें मत तोडिये अगर गलती आप की नहीं भी हैं तो भूल जाइए और रिश्ते बना कर चलिए. Writen by- Prachi Gupta