भूत प्रेत भगाने के उपाय 


स्टोरी हाइलाइट्स

भूत प्रेत भगाने के उपाय  ऊपरी बाधा के लक्षण, भूत प्रेत भगाने के उपाय, भूत प्रेत बाधा हरण टोटके/मंत्र  प्रायः ईश्वर के प्रति आस्थावान व्यक्ति भी यह कहने में दो पल नहीं लगाते कि भूत-प्रेत कुछ नहीं होता है, सब मन का भ्रम है| परंतु यदि तर्क सम्मत तथ्य यह है कि यदि हम ईश्वर को मानते हैं तो पैशाचिक शक्ति को भी मानना ही पड़ेगा क्योंकि ये दोनों विपरीत गुण-धर्मों वाली शक्तियाँ अथवा ऊर्जा स्तोत्र हैं| सनातन धर्म दर्शन जिसे हम हिन्दू धर्म कहते हैं पुनर्जन्म के सिद्धान्त पर आधारित है| यहाँ आत्मा को अजर-अमर मानते हुए उसे कर्मों के अनुसार फलाफल प्राप्त होने की बात कही गई है| आत्मा एक शरीर का त्याग करती है तथा नूतन वस्त्र की तरह दूसरा देह धारण कर लेती है| परंतु मध्य में कहीं यह तार टूट जाए, तो आत्मा तुरंत जन्म नहीं लेती अपितु प्रेत योनि में चली जाती है| यह एक कैद की तरह होता है, यदि कर्म अच्छे हुए तो कुछ अंतराल बाद वह स्वयमेव मुक्त हो जाता है अन्यथा हजारो साल तक भटकता रहता है| इस कष्टप्रद योनि में कामनाएँ मानवीय ही होती हैं परंतु भोग के लिए शरीर नहीं होता है| इस तरह की आत्मा सदैव मानव शरीर की ताक में रहती है| पवित्र, मजबूत आत्म शक्ति वाले लोगों के पास भी यह नहीं फटकती, परंतु अशुचिता वाले स्थान पर, बच्चों, महिलाओं, किशोरों, युवकों को यह अक्सर चपेट में ले लेती है| ऐसे कई किस्से हैं जिसमे कहा जाता है कि अमुक शौच के लिए गया, वहाँ से लौटा तो उसका व्यवहार विचित्र हो गया अथवा किसी पुराने पेड़ के पास बच्चे ने सू सू कर दिया उसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई| यह सब ऊपरी बाधा के लक्षण है जिसके पीछे अशरीरी आत्माएँ होती हैं| रुद्राक्ष क्या है? माला पहनने के नियम ऊपरी बाधा के लक्षण अशरीरी आत्माओं को विभिन्न वर्ग में रखा जाता है, जैसे – भूत प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, चुड़ैल, राक्षस, पिशाच आदि| ये सभी आत्माओं की अलग-अलग अवस्थाएं हैं जिनसे प्रभावित होने पर अलग-अलग लक्षण दिखते हैं| कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं – भूत बाधा से ग्रस्त मनुष्य की आंखे लाल हो जाती हैं, शरीर काँपता है तथा उसका आचरण विक्षिप्तों के समान होता है| उसके जिस्म में अचानक इतनी ताकत आ जाती है कि वह किसी को भी उठाकर फेंक दें| विषय का ज्ञान न होने पर भी पंडितों की तरह बात कर सकता है| पिशाच से प्रभावित इंसान के शरीर से दुर्गंध आती है, वह अत्यधिक कठोर वचन बोलता है, उसे एकांत प्रिय होता है, किसी के भी सम्मुख नग्न हो सकता है| ऐसे लोगों को अत्यधिक भूख लगती है| यक्ष से त्रस्त व्यक्ति अचानक लाल रंग पसंद करने लगता है| बहुत कम या बहुत धीमे स्वर में बात करता है| प्रायः अपनी बात आंखो के इशारे से करता है| प्रेत बाधा ग्रस्त मनुष्य अक्सर ज़ोर-ज़ोर से साँसे लेता है, खूब चीखता है, इधर उधर भागता है| भोजन में रुचि कम हो जाती है| कठोर वचन बोलता है| यदि किसी पर चुड़ैल का साया पड़ जाए तो ऐसा व्यक्ति अचानक खूब हृष्ट-पुष्ट हो जाता है| बात-बात पर मुस्कुराता है| मांस भक्षण में रुचि बढ़ जाती है| शाकिनी का प्रभाव महिलाओं पर होता है| वह बेसुध हो जाती हैं, रोती हैं तथा उनके बदन में कंपन होता है| उपर्युक्त कुछ लक्षण हिस्टीरिया नामक रोग से मिलते जुलते हैं, अतएव सर्वप्रथम चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है| यदि दवाएं बेअसर साबित हो रही हों तथा लक्षण दिन प्रति दिन उग्र होते जा रहे हों तो निश्चित ही यह ऊपरी बाधा के संकेत हैं| प्रेत की कृपा से मिले तुलसीदास को श्रीराम -दिनेश मालवीय भूत प्रेत बाधा हरण टोटके/मंत्र शनिवार अथवा मंगलवार को श्वेत अपराजिता तथा जावित्री के पत्तों का रस नस्य के रूप में लें| इस से डाकिनी-शाकिनी का दुष्प्रभाव दूर होता है| पूस माह में कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को विशाखा नक्षत्र में सर्वप्रथम पीपल की जड़ को अपने यहाँ आने के लिए आमंत्रित करें| अगले दिन रात में पीपल की जड़ लेकर आएँ, निर्वसन स्नान करें, पुनः धूप दीप दिखाकर उसकी पूजा करें| फिर उस जड़ को पीड़ित व्यक्ति की भुजा में ताबीज की भांति बांध दें| ऐसा करने से प्रेत बाधा दूर होती है| घोड़े के खुर की नख अश्विनी नक्षत्र में लेकर आएँ, पुनः उसे आग में जलाकर धुनी दें| इस से भूत-प्रेत की बाधा दूर होती है| शनिवार के दिन काले धतूरे की जड़ पीड़ित व्यक्ति के दाहिनी बांह पर बांध दें| यदि वह स्त्री है तो धतूरे की जड़ उसकी बाईं बांह पर बांधे| चाँदी की छोटी सी गुड़ियाँ बनवाएँ, रात के समय एक किग्रा चावल, पाव भर चीनी, लाल कपड़ा तथा एक नारियल सभी वस्तुएँ(गुड़िया सहित) पीड़ित के ऊपर से उसारकर श्मशान में रख दें| सवा गज लाल कपड़ा, चाँदी का एक रुपया, एक किग्रा चावल तथा एक किग्रा तिल किसी बर्तन में रखकर पीड़ित के ऊपर से उसारकर बर्तन को किसी नदी के किनारे रख दें| उड़द की दाल से बने दहीबड़े विषम संख्या में लेकर पीड़ित के ऊपर से उसार दें तथा काले कुत्ते को खिला दें| ध्यान रखें वह काला कुत्ता पालतू न हो| भूत प्रेत बाधा हरण मंत्र ऊँ ऐं हीं श्रीं हीं हूं हैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्ष्य महामारेश्रवर रूद्रावतार हुं फट स्वाहा। यह मंत्र कठिन है तथा लंबा भी है परंतु इसका असर अचूक होता है| 108 बार इस मंत्र को जपते हुए जल को अभिमंत्रित करें तथा पीड़ित को कुछ जल पिलाने के बाद इस जल से छींटे मारें| समस्त ऊपरी बाधा से मुक्ति मिल जाती है| आत्म तत्व: ब्रह्म है वह आत्मा नहीं बल्कि अनात्मा है| तेल नीर, तेल पसार चौरासी सहस्र डाकिनीर छेल, एते लरेभार मुइ तेल पडियादेय अमुकार (नाम) अंगे अमुकार (नाम) भार आडदन शूले यक्ष्या-यक्षिणी, दैत्या-दैत्यानी, भूता-भूतिनी, दानव-दानिवी, नीशा चौरा शुचि-मुखा गारुड तलनम वार भाषइ, लाडि भोजाइ आमि पिशाचि अमुकार (नाम) अंगेया, काल जटार माथा खा ह्रीं फट स्वाहा। सिद्धि गुरुर चरण राडिर कालिकार आज्ञा। सर्वप्रथम किसी शुभ मुहूर्त में उपर्युक्त मंत्र को 10 हजार बार जपकर सिद्ध कर लें| एक कटोरी में सरसो तेल लेकर 21 बार इस मंत्र का जाप करें तथा फूँक मारें| यह अभिमंत्रित तेल पीड़ित के ऊपर छिड़कें| अपने सामने भूत-प्रेत बाधाग्रस्त व्यक्ति को बैठाएँ, हाथ में मोरपंख रखें| अब निम्नलिखित मंत्र को बुदबुदाएँ तथा मोरपंख से पीड़ित को झाड़ें – बांधों भूत जहाँ तू उपजो छाड़ो गिर पर्वत चढ़ाई सर्ग दुहेली तू जमी झिलमिलाही हुंकारों हनुमंत पचारई सभी जारि जारि भस्म करें जो चापें सींउ।