Savitribai Phule: महिलाओं में शिक्षा की अलख़ जगाने वाली पहली महिला शिक्षक


स्टोरी हाइलाइट्स

सावित्रीबाई फुले एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने अपना पूरा जीवन केवल लड़कियों को पढ़ाने और समाज को आगे बढ़ाने में समर्पित कर दिया

सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि: भारत की पहली महिला शिक्षक के बारे में तथ्य  आज देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि है। वर्ष 1897 में आज ही के दिन उनकी मृत्यु हुई थी। सावित्रीबाई फुले एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने अपना पूरा जीवन केवल लड़कियों को पढ़ाने और समाज को आगे बढ़ाने में समर्पित कर दिया। सावित्रीबाई फुले ने हमेशा शिक्षा, महिला सशक्तीकरण के लिए काम किया, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। सावित्रीबाई फुले एक महान कवियत्री के साथ एक महान सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनका लक्ष्य लड़कियों को शिक्षित करना था। उनका जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में हुआ था। सावित्रीबाई फुले ने केवल 9 साल की उम्र में क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले  से शादी कर ली थी और उस समय ज्योतिबा फुले की उम्र सिर्फ 13 साल थी। जब सावित्रीबाई फुले ने अपने पति को देखा जो एक क्रांतिकारी और परोपकारी व्यक्ति थे, तो उन्होंने भी अपना पूरा जीवन इस कार्य में लगा दिया। सावित्रीबाई फुले ने जीवन भर दूसरों की सेवा की। और एक दिन प्लेग से पीड़ित रोगियों की सेवा करते हुए 10 मार्च 1897 को उसकी मृत्यु हो गई। बताया गया है की उस दौरान वह प्लेग से पीड़ित बच्चों की सेवा कर रही थी और इसी बीच उन्हें भी प्लेग हो गया और इस वजह से उसकी मौत हो गई। सावित्रीबाई ने अपने जीवन में कुछ लक्ष्य निर्धारित किए थे। इन लक्ष्यों में विधवा विवाह करना, अस्पृश्यता उन्मूलन, समाज में महिलाओं को अधिकार मिलना और दलित महिलाओं को शिक्षित करना शामिल था। इसके लिए सावित्रीबाई फुले ने बहुत काम किया और वह कुछ कामों में सफल भी रहीं।