सड़कों की हालत बेहद खराब देख, दादा-दादी ने अपनी पेंशन के पैसे से सड़क पर भरे 2030 गड्ढे..


स्टोरी हाइलाइट्स

नई दिल्ली: देश के कुछ हिस्सों में सड़कों की हालत बेहद खराब है। आकड़ो के अनुसार, हर 3.14 सेकेंड में सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है..

सड़कों की हालत बेहद खराब देख, दादा-दादी ने अपनी पेंशन के पैसे से सड़क पर भरे 2030 गड्ढे..
  देश के कुछ हिस्सों में सड़कों की हालत बेहद खराब है। आकड़ो के अनुसार, हर 3.14 सेकेंड में सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसी बीच एक बुजुर्ग दंपत्ति ने बहुत ही शानदार पहल की है। दंपत्ति हजारों लोगों की जान बचाने के लिए अपने खर्चे से ही गड्ढे भर रहे हैं। यह महान कार्य वह काफ़ी समय से कर रहे हैं। खास बात यह है कि वे इसके लिए अपने पेंशन के पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं। हैदराबाद में रहने वाले दंपति की इस पहल की सभी ने तारीफ़ की है। 73 वर्षीय गंगाधर तिलक कटनम को 'रोड डॉक्टर' के नाम से भी जाना जाता है।     कटनाम अपनी पत्नी वेंकटेश्वरी कटनम के साथ कार में सवार होकर सड़क पर दिखने वाले गड्ढों को भरने का काम करते है। लोग इसे गड्ढों को भरने वाली कार भी कहते हैं। गंगाधर तिलक कटनम ने कहा, " मैंने सड़कों पर गड्ढों के कारण हुई कई दुर्घटनाएं देखीं। इसलिए मैंने कुछ गंभीर करने और समाधान खोजने की कोशिश करने का फैसला किया। शुरू में मैंने पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों को मामले पर कार्यवाहीं करने की सलाह दी, लेकिन वहा से कुछ नहीं हों पाया। उसके बाद मैंने खुद गड्ढों को भरने का फैसला कर लिया।"  
जानिए गंगाधर तिलक कटनम के बारे में ?
    गंगाधर तिलक कटनम ने लगभग 35 वर्षों तक भारतीय रेलवे में एक कर्मचारी के रूप में काम किया। सेवानिवृत्ति के बाद, कटनाम एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सॉफ्टवेयर डिजाइन इंजीनियर के रूप में काम करने के लिए हैदराबाद चले गए। तब से वे शहर में गड्ढों को भरने का काम कर रहे हैं। उन्होंने गड्ढों को साफ करने के उद्देश्य से एक साल के भीतर ही सॉफ्टवेयर डिजाइन इंजीनियर के पद से अपनी नौकरी छोड़ दी और तब से शहर में गड्ढों को भरने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। इस काम में उनकी पत्नी का भी काफी योगदान रहता है।   सड़कों की मरम्मत की लागत के बारे में पूछे जाने पर गंगाधर ने कहा, ' मैं इसके लिए अपनी पेंशन से पैसे की व्यवस्था करता हूं। गड्ढों को भरने के लिए आवश्यक सभी सामग्री मेरी पेंशन राशि से खरीदी गई है। पिछले 11 वर्षों में उन्होंने लगभग 40 लाख रुपये की लागत से शहर में लगभग 2,030 गड्ढे भरे हैं। उनका काम देखकर कई अधिकारी भी उनकी मदद के लिए आगे आए हैं। कटनम ने अपने काम का विस्तार करने के उद्देश्य से 'श्रमधन' नाम से एक संस्था शुरू की है। इस संस्था के बारे में पूरी जानकारी एक हिंदी वेबसाइट में भी दी गई है।