क्रोध के उपशमन और शांति के जागरण के लिए महत्वपूर्ण है शशांकासन..


स्टोरी हाइलाइट्स

शशांकासन में शशक अर्थात खरगोश का चिह्न होता है, अत: उसे शशांक कहते हैं, शशांकासन चंद्रमा और खरगोश- दोनों के गुणों- शीतलता, कोमलता और शांति..

 क्रोध के उपशमन और शांति के जागरण के लिए महत्वपूर्ण है शशांकासन..
शशांकासन में शशक अर्थात खरगोश का चिह्न होता है, अत: उसे शशांक कहते हैं, शशांकासन चंद्रमा और खरगोश- दोनों के गुणों- शीतलता, कोमलता और शांति से जुड़ा हुआ है, खरगोश अत्यंत कॉमल एवं शांत स्वभाव वाला प्राणी है, यह आसन करते समय शरीर की आकृति शशांक यानि खरगोश जैसी बन जाती है, यही कारण है कि इसे शशांकासन कहा जाता है.

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चित्रानुसार दोनों पैर घुटनों से मोड़ कर एड़ी पुढे के नीचे रखें, दोनों हाथ कंधों के समानांतर रखें, दोनों हाथ ऊपर ले जायें. दोनों तरफ की भुजाएं कानों से लगी रहनी चाहिए. 

फिर, कमर को धीरे-धीरे मोढ़ते हुए दोनों हाथ नीचे जमीन पर ले आयें, सिर दोनों हाथों के बीच में जमीन पर रखें, यह पूर्ण स्थिति है, माथा और दोनों हाथ ऊपर ले जायें. दोनों हाथ कंधों के समानांतर रखें, दोनों हाथ नीचे कमर के पास रखें, इसके बाद दोनों पैर सीधे कर लें और सामान्य स्थिति में चले आयें.    

यदि कुछ देर तक इस आसन में रुकना हो तो श्वास की गति सहज और गहरी होनी चाहिए. यह आसन एक से तीन मिनट तक करना चाहिए, अभ्यास के बाद धीरे-धीरे इसे आधे घंटे तक बढ़ाया जा सकता है.

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लाभ:-

1. यह आसन क्रोध के उपशमन और शांति के जागरण के लिए महत्वपूर्ण है.

2. इस आसन के करने से कंधे, कटि भाग और पेट के अवयव संतुलित होते हैं तथा इनकी सुंदरता और सौष्ठव में अभिवृद्धि होती है.

3. यह आसन 'एड्रीनल' को विशेष रूप से प्रभावित करता है जिससे इसके स्राव में संतुलन आता है, फलत: व्यक्ति का स्वभाव शांत एवं कोमल होता है. मस्तिष्क की ओर रक्त प्रवाह अधिक होने से हाइपोथैलेमस प्रभावित होता है. इससे विवेक शक्ति का विकास होता है. इस प्रकार, मानसिक शांति और भावों की निर्मलता को बढ़ाने में शशांकासन सहयोगी बनता है.

4. इस आसन को करने से उच्च रक्तचाप सामान्य होता है.

5. इस आसन को निरंतर करते रहने से स्मरण शक्ति काफी बढ़ती है और थकान भी दूर होती है.

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