नींद का सेहत से गहरा सम्बन्ध -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

नींद जीवन के सबसे गहरे रहस्यों में से एक है. नींद को कुछ समय की मौत भी कहा जाता है.

नींद का सेहत से गहरा सम्बन्ध -दिनेश मालवीय नींद जीवन के सबसे गहरे रहस्यों में से एक है. नींद को कुछ समय की मौत भी कहा जाता है. जब हम सोये होते हैं, तो हम अपनी सारी पहचान भूलकर बेसुध हो जाते हैं. नींद ज़िन्दगी की सबसे मूल्यवान चीज़ों में से एक है. लेकिन अफ़सोस, कि आज के तेज़ दौड़-भाग वाली दुनिया में बड़ी संख्या में लोग ईश्वर की इस बेशकीमती सौगात से महरूम हैं. कहते हैं कि अच्छा बिस्तर खरीदा जा सकता है, लेकिन अच्छी नींद नहीं. लोग अच्छी नींद के लिए क्या-क्या नहीं करते. नींद का महत्त्व इस बात से ही पता चलता है कि यदि आप किसी दिन ठीक से सो नहीं पाते, तो दूसरे दिन शरीर और मन सामान्य नहीं रहता. किसीको कुछ दिन जबरदस्ती जगाया जाए, तो वह पागल हो सकता है. आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों में सेहत का नींद से गहरा सम्बन्ध बताया गया है. आयुर्वेद के महान आचार्य सुश्रुत ने तो नींद को वैष्णवी कहा है. उनके अनुसार, जिस प्रकार भगवान विष्णु जगत का पोषण करते हैं, उसी प्रकार नींद शरीर का पोषण करती है. जो व्यक्ति अच्छी नींद लेता है वह स्वस्थ रहता है और जो व्यक्ति स्वस्थ रहता है, वह अच्छी नींद लेता है. आयुर्वेद के अनुसार नींद वह अवस्था है, जिसमें मन और इन्द्रियाँ अपने-अपने विषयों से मुक्त हो जाती हैं और शरीर विश्राम की स्थिति में रहता है. शरीर में नींद तमोगुण से पैदा होती है. रजोगुण और सत्वगुण से प्रेरित दिनभर कार्य करने के लिए तमोगुण नींद के रूप में शरीर तथा मन को विश्राम देता है. नींद को सामान्य और असामान्य दो रूपों में विभाजित किया गया है. रात में स्वाभाविक रूप से आने वाली नींद को सामान्य नींद कहा गया है. अन्य प्रकार से आने वाली नींद को असामान्य बताया गया है. सामान्य नींद का शरीर और मन पर सकारात्मक और असामान्य नींद का नकारात्मक प्रभाव होता है. कुछ ऐसी ख़ास अवस्थाएँ भी होती हैं, जिनमें दिन में आने वाली नींद को भी सामान्य की श्रेणी में रखा गया है. दिन में नींद लेना कई कारणों से आवश्यक भी होता है. जिस व्यक्ति का शरीर बहुत अधिक अध्ययन या मानसिक कार्य करने से कमज़ोर हो गया हो या जिसमें उल्टी-दस्त आदि से कमजोरी आ गयी है, उसे दिन में नींद लेन चाहिए. जिसका खाना ठीक से पच जाता है या जो सांस की बीमारी से ग्रसित हो, जिसको कोई मानसिक विकार हो या जिसे किसी कारण से रात को जागना पड़ता हो, उसके लिए दिन में सोना उचित है. इसके अलावा बूढ़े लोगों और बालकों को दिन में सोने का निषेध नहीं है. इसके अलावा, गरमी के मौसम में दिन में थोड़ी नींद ली जा सकती है. जो व्यक्ति बहुत मोटा हो या बहुत दूध और घी खाता हो, जिसकी प्रकृति में कफ अधिक हो या जो गले के रोग से पीड़ित हो, उसे दिन में नहीं सोना चाहिए. एक व्यस्क व्यक्ति को कम से कम छह घंटे अवश्य सोना चाहिए. लेकिन अपने शरीर की अवस्था और स्थितियों के अनुसार स्वयं भी नींद की अवधि निश्चित की जा सकती है. आयुर्वेद में उपरोक्त अवस्थाओं को छोड़कर दिन में नींद को हानिकारक बताया गया है. कार्य की अधिकता से आने वाली नींद असामान्य कहलाती है. आजकल नींद न आने की बीमारी बहुत बढ़ने से लोग नींद की दवाएँ अधिक लेने लगे हैं. कुछ परिस्थितियों में इनका औचित्य हो सकता है, लेकिन इससे आने वाली नींद को असामान्य ही माना जाना चाहिए. इसके बुरे परिणाम भी सामने आते हैं. जहाँ तक संभव हो, नींद लाने के दूसरे प्राकृतिक उपाय अपनाए जाने चाहिए. इसके लिए किसी अच्छे आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लिया जा सकता है. सोने के सम्बन्ध में कुछ बातों का ध्यान रखा जाना उपयोगी है. हम जिस जगह सोते हैं, वह साफ़-सुथरी होनी चाहिए. बिस्तर साफ़ और आरामदेह हो. सोने से पहले भगवान का स्मरण और प्रार्थना करना  नहीं भूलना चाहिए. अच्छा साहित्य भी पढ़ा जा सकता है. सोने से पहले अच्छी तरह मुँह-हाथ धोकर सोने से अच्छी नींद आती है.