अन्तरिक्ष परी- कल्पना चावला


स्टोरी हाइलाइट्स

'विभाजन के बाद मेरे परिवार के पास कुछ भी नहीं बचा था, पर हमने सीखा कि कड़ी मेहनत से आदमी कुछ नहीं खोता।'                                                                                                                                                                             -कल्पना चावला

'विभाजन के बाद मेरे परिवार के पास कुछ भी नहीं बचा था, पर हमने सीखा कि कड़ी मेहनत से आदमी कुछ नहीं खोता।'                                                                                                                                                                              -कल्पना चावला
नासा वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ था. कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय (उन्होंने अमेरिका की नागरिकता ले ली थी) महिला थी. उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और मां का नाम संज्योती था. कल्पना ने फ्रांस के जान पियर से शादी की जो एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे|
बचपन में कल्पना चावला हरियाणा के करनाल जिले में स्थित अपने घर के आंगन में लेटकर सितारों से झिलमिलाते आसमान की ओर देखकर सोचा करती थी, 'काश! उसके पास कोई दूरबीन होती। शायद अपने इसी लक्ष्य को, कि एक दिन में आसमान का चक्कर लगाऊंगी, अन्तरिक्ष परी बनूंगी, पूरा करने के लिए कल्पना जुट गई। पंजाब से वैमानिक इन्जिनियरिंग की डिग्री हासिल करके कल्पना अमेरिका चली गई। वहां कोलाराडो से उन्होंने पी. एच डी. की। इसके बाद 1994 में  वे नासा में चुनी गई।
1997 में उन्होंने नासा के तथ्य खोजी अभियान पर जाकर पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री होने का गौरवशाली इतिहास रचा। अपने इस अभियान में उन्होंने सोलह दिन का सफर किया, 65 लाख मील का रास्ता नापा, पृथ्वी
के 252 चक्कर लगाए और 400 घंटे अंतरिक्ष में बिताए। वर्ष 2003 में उन्हें पुन: नासा के अंतरिक्ष अभियान के लिए चुना गया। अपना कार्य पूरा करके जब अंतरिक्ष यान 'कोलंबिया' वापस लौट रहा था तो पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टुकड़े-टुकड़े हो गया। अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ मृत्यु के क्रूर हाथों ने एक दक्ष वैज्ञानिक को हमसे छीन लिया। यह 2 फरवरी, 2003 का दुखद दिन था।
कल्पना चावला के बारे में-
*करनाल में बनारसी लाल चावला के घर 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं|
*घर में सब उन्हें प्यार से मोंटू कहते थे. शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. जब वह 8वीं क्लास में पहुंचीं तो उन्होंने अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की|
*कल्पना के पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे. परिजनों का कहना है कि बचपन से ही कल्पना की दिलचस्पी अंतरिक्ष और खगोलीय परिवर्तन में थी. वह अक्सर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं? पिता उनकी इस बात को हंसकर टाल दिया करते थे|
*उन्होंने अंतरिक्ष की प्रथम उड़ान एस टी एस 87 कोलंबिया शटल से संपन्न की. इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 थी|
*अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं पूरी की.- इस सफल मिशन के बाद कल्पना ने अंतरिक्ष के लिए दूसरी उड़ान कोलंबिया शटल 2003 से भरी|
*कल्पना की दूसरी और आखिरी उड़ान 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलम्बिया से शुरू हुई. यह 16 दिन का अंतरिक्ष मिशन था, जो पूरी तरह से विज्ञान और अनुसंधान पर आधारित था|
*1 फरवरी 2003 को धरती पर वापस आने के क्रम में यह यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया|
*2003 में इस घटना में कल्पना के साथ 6 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की भी मौत हो गई थी|