जब देवराज इंद्र के कुत्ते से जगा अत्याचारी का विवेक


स्टोरी हाइलाइट्स

जब देवराज इंद्र के कुत्ते से जगा अत्याचारी का विवे | एक राजा बहुत अत्याचारी था. वह अपनी प्रजा का बहुत अधिक शोषण करता था. वह उन पर भारी कर लगा कर उनकी खून | देव इंद्र, Lord Indra, इंद्र भगवान Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.

जब देवराज इंद्र के कुत्ते से जगा अत्याचारी का विवेक एक राजा बहुत अत्याचारी था. वह अपनी प्रजा का बहुत अधिक शोषण करता था. वह उन पर भारी कर लगा कर उनकी खून | पसीने की कमाई को अपनी अय्याशी पर खर्च करता था. जब देवराज इंद्र को इस बात की जानकारी मिली तो वे एक कुत्ते को साथ लेकर राजमहल पहुंचे. राजा ने इंद्र का भव्य स्वागत-सत्कार किया. अचानक कुत्ता जोर-जोर से भौंकने लगा. उसकी भयंकर आवाज़ सुन कर राजमहल के लोग कांप उठे. राजा ने इंद्रदेव से कुत्ते के भौंकने का कारण पूछा. तब इंद्र ने कहा- "जब यह भूखा होता है तो आसमान सिर पर उठा लेता है." राजा ने तुरंत राजमहल की पाकशाला से भोजन से भरा टोकरा मंगवाया. कुत्ते ने भोजन चट कर डाला. इतना अधिक खाने के  बावजूद वह फिर भौंकने लगा. उसके रौद्र रूप को देख कर और भोजन मंगवाया गया. उसे खाने के बाद भी कुत्ता भौंकता रहा. तब राजा ने देवराज इंद्र से पूछा- “क्या इसकी भूख शांत करने का कोई और तरीका है ?” इंद्रदेव ने उत्तर दिया- “यह अपने शत्रुओं का मांस खाकर और उसका खून पीकर ही संतुष्ट हो सकता है." राजा ने पूछा- "इसका शत्रु कौन है" देवराज ने कहा- "यह दिव्य कुत्ता है. इसके शत्रु वे हैं जो गरीबों पर अत्याचार करते हैं, प्रजा का शोषण करते हैं. इंद्रदेव के शब्द सुनते ही राजा का विवेक जाग उठा. वह इंद्रदेव के चरणों में गिर कर बोला- “भगवन्! मैं वचन देता हूं कि आज से किसी के साथ अन्याय नहीं होगा. आप चाहें तो मेरा मांस कुत्ते को खिला दें." राज का विवेक जाग गया है, यह जान कर इंद्रदेव ने उसे क्षमा कर दिया. Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.