29 अगस्त वामन अवतार जयंती ..Story of Vaman avatar


स्टोरी हाइलाइट्स

वामन अवतार जयंती:वामन ॐ विष्णु  के पाँचवे तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। इसके साथ ही यह ॐ विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे..Story of Vaman avatar

29 अगस्त वामन अवतार(vaman avatar) जयंती .. वामन अवतार जयंती वामन ॐ विष्णु  के पाँचवे तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। इसके साथ ही यह ॐ विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप में प्रकट हुए — अलबत्ता बौने ब्राह्मण के रूप में। इनको दक्षिण भारत में उपेन्द्रके नाम से भी जाना जाता है। वामन ॠषि कश्यप तथा उनकी पत्नी अदिति के पुत्र थे। वह आदित्यों में बारहवें थे। ऐसी मान्यता है कि वह इंद्र के छोटे भाई थे। भागवत कथा के अनुसार ॐ विष्णु ने इन्द्र का देवलोकमें अधिकार पुनः स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। देवलोक असुर राजा बली ने हड़प लिया था। बली विरोचन के पुत्र तथा प्रह्लाद के पौत्र थे और एक दयालु असुर राजा के रूप में जाने जाते थे। यह भी कहा जाता है कि अपनी तपस्या तथा ताक़त के माध्यम से बली ने त्रिलोक पर आधिपत्य हासिल कर लिया था।[2] वामन, एक बौने ब्राह्मण के वेष में बली के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। गुरु शुक्राचार्य के चेताने के बावजूद बली ने वामन को वचन दे डाला। वामन ने अपना आकार इतना बढ़ा लिया कि पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया। दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया। इसके पश्चात् ब्रह्मा ने अपने कमण्डल के जल से वामन के पाँव धोये। इसी जल सेगंगा उत्पन्न हुयीं।तीसरे कदम के लिए कोई भूमि बची ही नहीं। वचन के पक्के बली ने तब वामन को तीसरा कदम रखने के लिए अपना सिर प्रस्तुत कर दिया। वामन बली की वचनबद्धता से अति प्रसन्न हुये। चूँकि बली के दादा प्रह्लाद ॐ विष्णु के परम् भक्त थे, वामन (ओउम विष्णु) ने बाली को पाताल लोक देने का निश्चय किया और अपना तीसरा कदम बाली के सिर में रखा जिसके फलस्वरूप बली पाताल लोक में पहुँच गये। एक और कथा के अनुसार वामन ने बली के सिर पर अपना पैर रखकर उनको अमरत्व प्रदान कर दिया।ओउम विष्णु अपने विराट रूप में प्रकट हुये और राजा कोमहाबली की उपाधि प्रदान की क्योंकि बली ने अपनी धर्मपरायणता तथा वचनबद्धता के कारण अपने आप को महात्मा साबित कर दिया था। ओउम विष्णु ने महाबली को आध्यात्मिक आकाश जाने की अनुमति दे दी जहाँ उनका अपने सद्गुणी दादा प्रहलाद तथा अन्य दैवीय आत्माओं से मिलना हुआ। वामनावतार के रूप में ॐ विष्णु ने बलि को यह पाठ दिया कि दंभ तथा अहंकार से जीवन में कुछ हासिल नहीं होता है और यह भी कि धन-सम्पदा क्षणभंगुर होती है। ऐसा माना जाता है कि विष्णु के दिये वरदान के कारण प्रति वर्ष बली धरती पर अवतरित होते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी प्रजा खु़शहाल अध्यात्म रामायण के अनुसार वामन भगवान राजा बलि के सुतल लोक में द्वारपाल बन गये और सदैव बने रहेंगे। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में भी इसका ऐसा ही उल्लेख है। In the Rigveda, Shri Vishnu took three strides, with which he measured out the three worlds: earth, heaven, and the space between them. In later mythology, the dwarf Vamana made his appearance when the demon king Bali ruled the entire universe and the gods had lost their power. One day Vamana visited the court of Bali and begged of him as much land as he could step over in three paces. The king laughingly granted the request. Assuming a gigantic form, Vamana with one step covered the whole earth, and with the second step the midworld between earth and heaven. As there was nowhere left to go, the demon king lowered his head and suggested Vamana place his foot on it for the promised third step. Vamana was pleased, and with the pressure of his foot sent Bali down below to rule the netherworld. Shri Vishnu in this form is often identified as Trivikrama (“God of the Three Strides”). The images of Vamana usually show him already grown to giant size, one foot firmly planted on earth and the other lifted as if to take a stride. If shown small in stature, the sculptures may depict him as a deformed dwarf or as a brahmacharin (monastic student), dressed in the deerskin, loincloth, and sacred thread of the student, and with the student’s tufted hair.