हर देश की तरह स्वर्गलोक की भी होती है अपनी करेंसी: जीते-जी कन्वर्ट कर लें, तब ही होगा कल्याण: आचार्य सरयूनंदन
हर देश की तरह स्वर्गलोक की भी होती है अपनी करेंसी
जीते-जी कन्वर्ट कर लें, तब ही होगा कल्याण
आचार्य सरयूनंदन
विज्ञान के इस युग में आज ज्यादातर लोग भौतिक पदार्थों से सुख दुख और जीवन की गति को देखते और मापते हैं। जो हम देखते हैं उसी को हम मानते हैं और वहीं तक हम अपनी सोच को सीमित रखते हैं। विज्ञान की सारी प्रगति के बाद भी अब तक विज्ञान जन्म और मृत्यु के रहस्य पर कुछ भी खोज नहीं पाया। हम अपने जीवन के आसपास उपलब्ध भौतिक संसाधनों और वैज्ञानिक प्रयोगों को केवल उपभोग करने में व्यस्त रहते हैं। हम उनके पीछे जो प्राकृतिक संदेश है, वह नहीं समझते या समझने में भूल करते हैं। हम आज आपको यही बताने का प्रयास करेंगे कि पृथ्वी पर जो कुछ उपलब्ध है, चाहे वह प्रकृति प्रदत्त हो या विज्ञान की खोज के आधार पर मिला हो सब कुछ हमें यह संदेश दे रहे हैं कि हम जितना कर्म करेंगे उतना धन अर्जित करेंगे. अपने इस धन के आधार पर भौतिक प्रगति के विभिन्न आयामों को प्राप्त कर जीवन को सहज और शुभ बना सकेंगे।
विज्ञान के द्वारा हमें अभी तक यह नहीं बताया जा सका है कि मृत्यु के बाद इंसान का क्या होता है । लेकिन हमारे शास्त्र हमें बताते हैं की मृत्यु के बाद शरीर तो यहीं नष्ट हो जाता है, लेकिन शरीर की ऊर्जा आत्मा के रूप में निरंतर नए-नए जन्म लेती है। आज पूरा मानव भौतिक संसाधन जुटाने मैं ही लगा हुआ है। जन्म लेने के बाद जैसी-जैसी अवस्था युवा रूप लेती है सभी इसी दौड़ने लग जाते हैं लगना भी चाहिए इसमें कोई बुराई नहीं है । लेकिन विज्ञान मृत्यु के रहस्य को खोज नहीं निकलता तब तक हमें भौतिक उपलब्धियों के साथ मृत्यु के बाद के हालातों पर हमारे शास्त्रों मैं बताएं गए मार्ग पर चिंतन करते हुए उन कदमों को भी आगे बढ़ाते रहना चाहिए। जीवन में हम बहुत-कुछ अर्जित करते है. हमेशा से सुनते आये है कि इंसान खाली हाथ आया है। खाली हाथ जाएगा। इस बात को कवियों और शायरों ने भी अपने-अपने ढंग से कहा है. लिखा गया है कि कफ़न में जेब नही होती. सब कुछ यहीं पड़ा रहा जाएगा। कोई कुछ नही ले जा सकता। लेकिन यह बात आंशिक और उथले रूप से ही सही है। हम अपने द्वारा अर्जित सारी धन-संपदा मरने के बाद अपने साथ ले जा सकते है। आइये हम इसे एक कहानी के माध्यम से बताते है। हम आपके सामने एक बहुत धनी व्यक्ति की एक कहानी सुना रहे हैं। यह धनी व्यक्ति घर से अपने कार्यालय जाते समय रेडियो पर कार्यक्रम सुनता रहता था। एक दिन उसने एक महात्मा का धन कमाने और उसके उपभोग पर चल रहे प्रवचन को उसने सुना । प्रवचन महात्मा यह कह रहे थे कि जीवन यापन के लिए धन आवश्यक है लेकिन अधिक धन का कोई उपयोग नहीं है मृत्यु के साथ ही सारा धन यही यही रह जाएगा कमाया गया था बाद में पाप या पुण्य कार्यों में लगेगा यह भी पता नहीं है।
कमाया गया धन मृत्यु के बाद कोई साथ नहीं ले जा सकता। महात्मा के प्रवचन में अरबपति व्यक्ति को उद्वेलित किया अपने कार्यालय पहुंचकर सभी अधिकारियों को बुलाकर मीटिंग में आप सभी बुद्धिमान हैं. हमें ऐसी योजना चाहिए जिसके द्वारा हम अपना कमाया धन मृत्यु के बाद भी अपने साथ ले जा सके। अपने मालिक के यह विचार सुनकर सब लोगों ने अपना माथा पकड़ लिया लेकिन मालिक ने तो जिद पकड़ ली कि हमें तो ऐसी योजना जाननी ही है। थोड़े दिनों के बाद एक व्यक्ति उनके ऑफिस में आया और कहने लगा कि मैं ऐसी योजना बता सकता हूं जिसमें व्यक्ति अपना कमाया था मृत्यु के बाद अपने साथ ले जा सकता है। अधिकारियों ने उस व्यक्ति को मालिक के पास पहुंचाया । धनवान व्यक्ति यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ और बोला कि जल्दी से योजना बताओ। उस व्यक्ति ने धनवान व्यक्ति से पूछा कि आपने अभी तक कहां-कहां की यात्राएं की हैं? धनवान व्यक्ति ने कहा दुनिया में कोई देश नहीं बचा है जहां मैंने यात्रा ना की हो. उस व्यक्ति ने उनसे कहा कि जब आपने पहली विदेश यात्रा ई तो क्या क्या तैयारी की? धनवान व्यक्ति ने कहा पासपोर्ट तो हरूरी है ही, लिहाजा हमने भी जा लिया. इंडियन करेंसी को अमेरिकन करेंसी में चेंज किया और यात्रा पर जाकर अमेरिका मी भ्रमण किया. जब मैं ब्रिटेन गया तब भी मैंने यही प्रक्रिया अपनाई. भारतीय रुपए को ब्रिटेन की करेंसी अकाउंट में बदला.
उस व्यक्ति ने कहा इसका मतलब यह है कि एक ही करेंसी सब देशों में नहीं चलती अगर उन देशों में जाना है तो उस देश की करेंसी में रुपए को बदलना होगा इसी तरह से मरने के बाद आप जिस ग्रुप में जाते हैं उसके लिए आपको अपने जीवन काल में रुपए कुछ लोग की करेंसी में बदलना होगा और वहां की करेंसी दान पुण्य है धनवान व्यक्ति को एकदम समझ आ गया और उसके चेहरे पर चमक आ। इसके बाद धनवान ने अपना कमाया धन दान पुण्य में खर्च करने लगा और मृत्यु के बाद परलोक में अपनी करेंसी ले आ सका। हमारे शास्त्रों में मानव जीवन में दान पुण्य करने के अनेक विधान बनाएं बनाएं हैं. अगर आपके पास धन है और आप इस जीवन को अधिक सुख में और सहज बनाने के लिए भौतिक संसाधनों पर खर्च कर रहे हैं तो शास्त्रों की बात मानकर अब धन को मृत्यु के बाद ले जाने के लिए अभी से करेंसी चेंज करवा लें, तो ज्यादा अच्छा रहेगा अब हम अगले एपिसोड में आपको बताएंगे किस तरह के दान- पुण्य और परोपकार से आपको परलोक क्या मिलेगा