स्वामी महावीर के 11 अनमोल वचन(Swami Mahavir Sayings)


स्टोरी हाइलाइट्स

महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें (२४वें) तीर्थंकर है। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय....

स्वामी महावीर के 11 अनमोल वचन(5 Precious Sayings,sms,messages and quotes of Swami Mahavir). Image result for स्वामी महावीर जीवन परिचय (Swami Mahavir Biography)
महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें (२४वें) तीर्थंकर है। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था| महावीर को 'वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है।

तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। उन्होंने एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं रखा। हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया, पूरी दुनिया को उपदेश दिए।

उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य।[1] सभी जैन मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका को इन पंचशील गुणों का पालन करना अनिवार्य है|[1] महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया।
स्वामी महावीर के 11 अनमोल वचन (Swami Mahavir Sayings)
  • अपनी विद्वत्ता पर गर्व करना सबसे बड़ा अज्ञान है।
  • अज्ञानी आत्मा पाप करके भी अहंकार करता है।
  • अज्ञानी साधक उस जनमान्थ व्यक्ति की तरह है जो छेदो वाली नाव पर चढ़कर नदी पार जाना तो चाहता है ।
  • लेकिन तट आने से पहले ही मझधार मेँ डूब जाता है।
  • देव सहित समग्र जगत मेँ जो भी दुख हैँ वह सब कामसक्ति के कारण ही है।
  • लोभ ,कलश और कषाय परीग्रहरुपी वृक्ष के तने है और चिंता रुपी सेकड़ो सघन और विस्तीर्ण उपशकाएं हैं
  • अभय दान सर्वश्रेष्ठ दान है।
  • भयभीत व्यक्ति तप और संयम की साधना छोड़ देता  बैठता है वह किसी भी गुरुतूर उत्दयित्व को निभा नहीँ सकता और नहीँ किसी का सहायक हो सकता है।
  • स्वरुप दृष्टि से चैतंय एक समान है यह अद्वैत भावना ही अहिंसा का मूलाधार है।
  • तपाचरण तलवार की धार पर चलने की समान दुष्कर है तपाचरण करके प्रतिफल की अभिलाषा नहीँ करनी चाहिए।
  • मन ,वाणी और शरीर से पूर्ण संयमित रहता है ब्रम्हचर्य है।