दिनों दिन गर्म होती जा रही है धरती, धरती का ठंडा रहना मुश्किल...


स्टोरी हाइलाइट्स

संयुक्त राष्ट्र 2030 तक धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से रोकना चाहता है| लेकिन संयुक्त राष्ट्र का यह प्रयास सफल होता दिखाई नहीं..

दिनों दिन गर्म होती जा रही है धरती, धरती का ठंडा रहना मुश्किल... संयुक्त राष्ट्र 2030 तक धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से रोकना चाहता है| लेकिन संयुक्त राष्ट्र का यह प्रयास सफल होता दिखाई नहीं देता| यदि सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो धरती बहुत तेजी से गर्म होगी| पूरी दुनिया में कार्बन एमिशन और एटमॉस्फेयर/क्लाइमेट चेंज को काबू में रखने के लिए कोशिश करने के दावे किए जा रहे हैं| यह कोशिश सफल हो पाएगी ऐसा मुमकिन दिखाई नहीं देता| ये भी पढ़ें.. जलवायु अस्थिरता से हुआ सभ्यताओं का उत्थान-पतन 2015 में पेरिस में जलवायु समझौता बैठक हुई थी जिसमें विश्व के तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री के अंदर सीमित करने पर सहमति बनी थी| लक्ष्य तय किया गया था कि 2030 तक धरती के तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ने दिया जाएगा| सभी देश इस बात पर राजी थे कि पेट्रोलियम के उत्पादन को सीमित किया जाएगा| न्यूजीलैंड ने गैस रिसर्च लाइसेंस देना बंद कर दिया था, अमेरिका कनाडा और नार्वे जैसे देशों ने भी आर्कटिक के कुछ हिस्सों में तेल के उत्पादन पर विराम लगाने की कोशिश की| सभी देशों ने गैस के प्रोडक्शन को लिमिटेड करने पर अपनी रजामंदी दी थी लेकिन रिपोर्ट बताती हैं कि कुछ देश इस दिशा में सही ढंग से काम नहीं कर रहे| हालांकि कुछ देश बहुत अच्छा काम कर रहे हैं जैसे कि स्पेन स्पेन ने अपने यहां ज्यादा क्वांटिटी में कोयला खदानों को बंद किया है| चीन ने भी इस डायरेक्शन में कुछ काम किया है| लेकिन यह कोशिशें सफिशिएंट नहीं है यदि पेट्रोलियम के अन्वेषण और उत्पादन पर लगाम नहीं रही तो हीटवेव बढ़ने लगेगी| ये भी पढ़ें.. जलवायु परिवर्तन और जंगली खेती साइंटिस्ट ने आगाह किया है कि 1 से 2 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर बढ़ने से ही लाखों लोगों की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो जाएगी| यदि कार्बन उत्सर्जन पर लगाम नहीं लगाई गई तो दुनिया में न सिर्फ गर्मी बढ़ेगी बल्कि सूखा और बाढ़ का प्रकोप बढ़ेगा| इससे गरीबी और भुखमरी में इजाफा होगा| हम आपको बता दें कि दुनिया के आठ देश जीवाश्म के उत्पादन में सबसे आगे हैं| यह कुल क्षमता का 60% उत्पादन करते हैं| यह देश हैं ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमरीका, चीन, भारत, इंडोनेशिया, रूस और नॉर्वे। हालांकि रिपोर्ट में खाड़ी देश यूएई और ईरान सहित अन्य बड़े तेल उत्पादक देशों को नहीं शामिल किया गया है। धरती को 2030 तक 2 डिग्री सेल्सियस तापमान से बढ़ने से बचाना है लेकिन यह अभी दूर की कौड़ी दिखाई देता है| ये भी पढ़ें.. दुनिया में पहली बार 11000 वैज्ञानिकों ने एक साथ जलवायु आपातकाल के लिए दी चेतावनी-