ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने में, इस भारतीय वैज्ञनिक की तकनीक होगी कारगर
जॉर्जिया टेक्निकल यूनिवर्सिटी से भारतीय मूल के रिटायर एयरोस्पेस इंजीनियर की बड़ी उपलब्धि
प्रोफेसर डॉ. नारायणन मेनन कोमोरथ, भारतीय मूल के aerospace engineer हैं। बीते साल जॉर्जिया टेक्निकल यूनिवर्सिटी से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने खुद के अनुभव से जो बनाया है, उनका दावा है कि उसका यूज करके global warming को पलट सकते हैं। डॉ. नारायणन ने 'ग्लिटर बेल्ट' (glitter belt) का अविष्कार किया है।
यह ग्लिटर बेल्ट पृथ्वी की सतह से 1 लाख फीट की ऊंचाई पर मानव रहित एरियल वाहनों का उपयोग कर परावर्तक चादरों (ultralight reflective sheets) का उपयोग कर ऊष्मा को वापस अंतरिक्ष में भेज सकते हैं। इस प्रिक्रिया को करने से पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि को रोका जा सकता है। ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी वैश्विक चुनौती का संभावित कारगर समाधान प्रस्तुत करने के लिए उनके इस इनोवेशन को अमरीका ने 'पेटेंट' (American Patent) भी प्रदान किया है।
क्या है ग्लिटर बेल्ट पद्धति
प्रोफेसर नारायणन के रिसर्च पेपर के अनुसार, Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की सतह पर लगभग 3 वॉट प्रति वर्ग मीटर की दर से ऊष्मा उत्सर्जित करती है। डॉ. नारायणन का कहना है कि सूर्य की इसी गर्मी को परावर्तित कर ग्लोबल वॉर्मिंग में कमी लाई जा सकती है। 'ग्लिटर बेल्ट' के पीछे रिसर्च यह है कि इसके जरिए सौर ऊर्जा विकिरण के कुछ फीसदी हिस्से को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित (REFFLECT) कर दिया जाए। नारायणन के अनुसार वायुमंडल में बहुत कम क्षेत्र में तैरती हुई रिफ्लेक्टिव शीट्स (floating reflective sheets) का उपयोग कर ऐसा किया जा सकता है। उनके द्वारा विकसित की गई एयरोडायनामिक या एयरोस्टैटिक से मतलब है कि पृथ्वी की सतह से लगभग 80 हजार फीट या 24.4 किमी ऊपर इन लगातार उड़ सकने वाली रिफ्लेक्टिव शीट्स को तैनात कर दें ताकि किसी तरह की रुकावट न आए। ऐसा करने पर भी, पृथ्वी पर ऊर्जा की आवश्यकता में कोई अंतर नहीं आएगा।
सालों तक काम कर सकतीं शीट्स
अच्छी बात यह है कि इन शीट्स को लगातार कई सालों तक बिना किसी मेंटिनेंस के जगह में बदलाव या अलग-अलग एलटिट्यूड पर काम करने के लिए रिपोजिशंड करने और काम करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार ग्लिटर बेल्ट आश्चर्यजनक रूप से कम लागत वाला एक कारगर समाधान है। इतना ही नहीं सौर ऊर्जा से चलने वाली ग्लिटर बेल्ट्स की इन रिफ्लेक्टिव शीट्स को पूरी तरह से रिसाइकिल करने और दोबारा इस्तेमाल करने लायक मटीरियल से बनाया गया है। इसकी 'अल्ट्रालाइट शीट्स' रात को भी काम करेंगी और पृथ्वी की सतह से ऊष्मा को सोखकर उसे वापस अंतरिक्ष में परावर्तित कर देंगी। प्रोफेसर नारायणन का मानना है कि इस परियोजना से रोजगार और उद्योग में भी वृद्धि होगी। कॉमरैथ का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग से छुटकारा पाने के लिए बस राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इच्छाशक्ति की जरूरत है। दुनिया भर में लॉन्च और नियंत्रण सुविधाओं के साथ, अमरीकी नेतृत्व वाली वैश्विक साझेदारी इस परियोजना को पूरी दुनिया में वितरित कर सकती है।
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