समझा समझा चले गये समझाने वाले .. दिनेश मालवीय "अश्क"


स्टोरी हाइलाइट्स

समझा समझा चले गये समझाने वालेकुछ भी लेकिन समझे नहीं ज़माने वाले।शायर पढ़ता रहा रात पूरी शिद्द्त सेलेकिन उठकर चले गये घर जाने वाले।

  समझा समझा चले गये समझाने वाले कुछ भी लेकिन समझे नहीं ज़माने वाले। शायर पढ़ता रहा रात पूरी शिद्द्त से लेकिन उठकर चले गये घर जाने वाले। मस्त फक़ीरा नाचे लेकर ख़ाली झोली मुंंह लटका कर बैठे बड़े ख़ज़ाने वाले। नीचे आकाओं के पैरों मे बैठे हर पल ऊपर वाले के गुण गाने वाले। ख़ुदफरोशों की नहीं बातों मे आना ये तुमको न राह सही दिखलाने वाले। बीत गये सो बीत गये बीते लम्हे कुछ भी कर लो लौट नहीं फिर आने वाले। तेरी असलीयत हम ख़ूब समझते हैं करके बात किताबों की बहलाने वाले।