बारिश में पेंच टाइगर रिजर्व में टाइगर की कोविड टेस्ट की कसरत तेज: गणेश पाण्डेय 


स्टोरी हाइलाइट्स

बारिश में पेंच टाइगर रिजर्व में टाइगर की कोविड टेस्ट की कसरत तेज: गणेश पाण्डेय  बाघों में कोरोना वायरस फैलने की खबर के साथ, विशेष रूप से चेन्नई चिड़ियाघर....

बारिश में पेंच टाइगर रिजर्व में टाइगर की कोविड टेस्ट की कसरत तेज दो बाघों का कोविड परीक्षण हुआ, अन्य कतार में गणेश पाण्डेय भोपाल. बाघों में कोरोना वायरस फैलने की खबर के साथ, विशेष रूप से चेन्नई चिड़ियाघर में शेरनी की मौत के बाद, मध्य प्रदेश में वन विभाग कोई रिस्क नहीं ले रहा है. वन विभाग विशेष सावधानी बरतने की मंशा से पेंच टाइगर रिजर्व में टाइगर की कोविड-19 टेस्ट के लिए नमूना लिए जाने के प्रयास चल रहे हैं. इसके लिए दो हाथियों की मदद ली जा रही है. सूत्र की मानें तो पेंच टाइगर रिजर्व 5 टाइगरों के सैंपल लिए जाएंगे. पिछले दो महीनों में दो बाघों के नमूने लिए गए हैं. सुखद खबर यह है कि दोनों बाघों के नमूना जांच नेगेटिव आए। वन विहार और अन्य में पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बाघ पर कोविड परीक्षण किया गया था. लेकिन अब पेंच टाइगर रिजर्व में एक बड़ी कवायद की जा रही है, जहां जनवरी से अब तक तीन युवा बाघों की मौत हो चुकी है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), आलोक कुमार ने कहा कि पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए रक्त और स्वाब परीक्षण का प्रस्ताव विचाराधीन है और तकनीकी समिति की बैठक के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा. लेकिन पेंच और सिवनी में मैदानी रिपोर्टों से पता चलता है कि अभ्यास शुरू हो चुका है. कुमार ने कहा कि एक सामान्य प्रोटोकॉल है कि संक्रमण के लक्षण दिखाने वाले किसी भी बाघ का परीक्षण किया जाना है। लक्षणों में छींकना, नाक गिरना, सुस्ती आदि शामिल हैं. पेंच में दो टीमें पिछले दो सप्ताह से दो हाथियों की टीम नमूना संग्रह के लिए बाघों का पता लगाने के लिए सक्रिय हैं. लेकिन इस क्षेत्र में बारिश की शुरुआत ने इस मुश्किल काम को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. आज तक एक भी सैंपल नहीं लिया जा सका है. पेंच टाइगर रिजर्व के सूत्रों ने कहा कि बेतरतीब ढंग से चुने गए पांच बाघों का चयन किया जाएगा और उनके रक्त और स्वाब के नमूने लेकर कोविड परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे. सूत्रों ने बताया कि फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी और पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया गया है. रिपोर्टों ने इन बाघों की बिजली के झटके से मौत की संभावना से इनकार किया. कोई जहर या चोट के निशान नहीं पाए गए, जिससे शिकार की संभावना हो. तीनों बाघों की उम्र 5-8 साल के बीच थी. कोविड-19 की पहली लहर के दौरान उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब एक बाघ की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी. वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने इसके लिए कोरोना वायरस को जिम्मेदार ठहराया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई, जहां वन विभाग ने एक लैब से रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कहा गया था कि बाघ की मौत के पीछे कोरोना वायरस कारण नहीं था. फिर भी, मामला बाद में जटिल हो गया जब यह पाया गया कि रिपोर्ट देने वाली प्रयोगशाला- इसके लिए अधिकृत नहीं थी.