भगवान को रिझाने के लिए भी संवाद-कला चाहिए... बेहतर कम्युनिकेशन स्किल के लिए क्या-क्या जरूरी है?
स्टोरी हाइलाइट्स
हर क्षेत्र में बेहतर कम्युनिकेशन स्किल जरूरी है| हर व्यक्ति को अपनी बात सही ढंग से रखनी आनी चाहिए, धर्म गुरु हो या राजनेता, बिजनेसमैन हो या नौकरीपेशा , छात्र हो या शिक्षक सबको संवाद की कला( Communication Skill ) सीखनी चाहिए|
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हर क्षेत्र में बेहतर कम्युनिकेशन स्किल जरूरी है| हर व्यक्ति को अपनी बात सही ढंग से रखनी आनी चाहिए, धर्म गुरु हो या राजनेता, बिजनेसमैन हो या नौकरीपेशा , छात्र हो या शिक्षक सबको संवाद की कला( Communication Skill ) सीखनी चाहिए|
यदि आपको बातचीत की कला नहीं आती तो आप अधूरे हैं| कम्युनिकेशन स्किल के बिना सफलता मुमकिन नहीं है|
बातचीत में हमारे शब्द और वाक्य मैटर करते हैं|
बातचीत में हमारे हाव-भाव का भी महत्व है|
संवाद की कला यानी बेहतर कम्युनिकेशन स्किल आज की जरूरत है| दुनिया में साधारण से साधारण लोगों ने अपनी कम्युनिकेशन की कला के दम पर बड़ा मुकाम हासिल किया है| परमात्मा तक अपनी बात पहुछाने के लिए भी संवाद कला चाहिए
रिश्ते-नाते हों, व्यापार-व्यवहार हो हर जगह बोलने की कला काम आती है|
अच्छे ढंग से अपनी बात को कम्युनिकेट करने वाला व्यक्ति किसी के भी दिल में उतर जाता है|
आपके शब्द किसी को रास्ते पर ला सकते हैं तो किसी को गुमराह भी कर सकते हैं|
आपकी बातें आपका काम बना सकती हैं तो बिगाड़ भी सकती हैं|
शब्दों में जादू है तो शब्दों में विनाश भी छिपा है| महाभारत की लड़ाई के पीछे द्रोपदी के दो शब्द ही तो थे|
कम्युनिकेशन स्किल में शब्दों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है| आपके शब्द आपकी भावनाओं को स्पष्ट करते हों | आप जो कहना चाहते हो आपके शब्द वही बोलें| शब्द आसान हो सीधे सपाट|
घुमा फिरा कर की गई बात किसी को पसंद नहीं आती| कुछ लोग तो शब्दों के मामले में बेहद कंगाल होते हैं इसलिए शब्दों का चयन इस तरह से करें कि वह एक आम व्यक्ति को भी आसानी से समझ आये|
हम सब ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां पर संवाद की पल पल पर जरूरत होती है| संवाद में सिर्फ शब्द ही काफी नहीं हैं|
संवाद का अर्थ सिर्फ बोलना नहीं है संवाद का अर्थ सामने वाले को समझना भी है|
दो लोगों में संवाद तब होता है जब दोनों एक दूसरे को न सिर्फ सुनते हैं बल्कि गहराई से समझते हैं|
लगातार बोले जाना अच्छे कम्युनिकेशन स्किल के लिए सबसे खराब बात मानी जाती है|
भगवान ने एक और दो कान इसलिए दिया हैं ताकी आप जितना बोले उससे दुगना सुने|
सुनने का मतलब चुप बैठना नहीं है, सुनने का मतलब है किसी व्यक्ति की बात के पीछे के भाव को समझने की कोशिश करना|
जल्दबाजी में किसी व्यक्ति की बातों का गलत अर्थ ना निकाले|
बोलते समय ऐसी बात ना बोले इसका गलत अर्थ निकाला जाए| याद रखिए दुनिया में ना बोलने से जितना नुकसान नहीं हुआ जितना बोलने से हुआ|
ज्यादा बोलने वाला व्यक्ति एक समय बाद कुछ ना कुछ ऐसा बोल जाता है जो अर्थ का अनर्थ कर देता है|
अपनी बातचीत में बेवजह के मुहावरे और व्यंगात्मक भाषा शैली के इस्तेमाल से बचें|
बॉडी लैंग्वेज यानी हाव-भाव महत्वपूर्ण है लेकिन बहुत ज्यादा बॉडी लैंग्वेज हमेशा फायदेमंद नहीं होती|
नकली प्रशंसा या चापलूसी के शब्द हमेशा पकड़ में आ जाते हैं| किसी व्यक्ति को झूठी बातों से प्रभावित करने की कोशिश ना करें ना ही झूठी तारीफ करें| यदि किसी की तारीफ करना हो तो हमेशा उसके सच्चे गुणों की तारीफ करें| याद रखिए हर व्यक्ति अपने अच्छे-बुरे गुणों को बहुत अच्छे ढंग से जानता है| आपकी झूठी तारीफ वह तुरंत पकड़ सकता है|
जब भी आप बोलें तो सामने वाले के मनोविज्ञान को समझने की कोशिश करें| कोई व्यक्ति किसी बात को बहुत जल्दी समझ लेता है| कोई व्यक्ति देर में| हर व्यक्ति से एक ही तरह बात ना करें, उसके मनोविज्ञान को समझकर उसकी काबिलियत के अनुसार ही बात करें|
किसी की अनचाही बात पर तुरंत रिएक्शन ना दें| थोड़ा इंतजार करें और सोच समझकर अपनी बात रखें| बात काटने की आदत बहुत बुरी होती है इससे हमेशा बचें| किसी का मजाक कभी ना उड़ायें|
न बहुत तेज बोले न धीरे| बातचीत में मित्रता पूर्ण रहें| रौब ना दिखाएं|
अपनी झूठी प्रशंसा ना करें| डींगें न हांकें|
जटिल मुद्दों पर डिस्कशन से पहले अच्छी बातों के साथ चर्चा शुरू करें|
बातचीत के दौरान सेल्फ कॉन्फिडेंस लूज ना करें|बातचीत में किसी के बारे में भी असम्मानजनक भाषा का उपयोग ना करें| किसी और की बुराई भी बिल्कुल ना करें| शुरू से आखिर तक अपना टेंपो बनाए रखें ना बहुत उत्साहित हो नाही निराश|
अतुल विनोद