यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन बच्चों को भी हो सकता है, किन स्थितियों में अधिक खतरा..


स्टोरी हाइलाइट्स

सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, क्योंकि ज्यादातर लोग तो यूटीआई के बारे में ही नहीं जानते। लेकिन सच्चाई यह है कि यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट.

यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन बच्चों को भी हो सकता है, किन स्थितियों में अधिक खतरा..  सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, क्योंकि ज्यादातर लोग तो यूटीआई के बारे में ही नहीं जानते। लेकिन सच्चाई यह है कि यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन बच्चों को भी हो सकता है। इसलिए सावधानी रखना जरूरी है। छोटे बच्चों को जब हो यूटीआई की समस्या, किन स्थितियों में अधिक खतरा.. यह संक्रमण ब्लैडर या किडनी किसी से भी संबंधित हो सकता है। इसलिए ही इसको नजरअंदाज करना अंदरूनी अंगों को अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। वे बच्चे जिनकी इम्युनिटी कमजोर है, किसी खास सर्जरी से गुजरे हैं, जो न पर्याप्त पानी पीते हैं न पेशाब करते हैं। (पुअर टॉयलेट हैबिट वाले बच्चे), हाइजीन का ठीक से ख्याल न रखने वाले डायपर पहनने वाले बच्चे, आदि के इस समस्या से ग्रसित होने की आशंका अधिक होती है। ये भी पढ़ें.. Health Tips: थायराइड की समस्या को कंट्रोल करने के लिए खाएं ये फल.. ध्यान देना बहुत जरूरी: बच्चे के प्राइवेट पार्ट के हाइजीन और स्वच्छता को लेकर सतर्कता बरतनी जरूरी है। थोड़े समझदार होने पर उसे भी यह सिखाएं। प्राइवेट पार्ट्स को हमेशा आगे से पीछे की ओर धोना सिखाएं। सार्वजनिक टायलेट्स का प्रयोग करते समय सावधानी बरते, भरपूर पानी पीने तथा पेशाब को रोककर न रखने की आदत भी बच्चे को डालें। इलाज और सावधानी: आमतौर पर इस समस्या के लिए समय पर एंटीबायोटिक मिल जाने से तकलीफ भी ठीक हो जाती है, लेकिन यदि समस्या बार बार सामने आए तो डॉक्टर कुछ जांच की सलाह दे सकते हैं। एक बार ठीक हो जाने के बाद यदि फिर से हाइजीन या बाकी चीजों को लेकर लापरवाही बरती जाए तो भी समस्या फिर से हो सकती है। गंभीर मामलों में यह किडनी तक संक्रमण पहुंचा सकती है जो खतरनाक हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि संक्रमण के सामने आते ही तुरंत इलाज लिया जाए। साथ ही डॉक्टर द्वारा बताया गया डोज पूरा करें, बीच में न छोड़ें। यूंरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन को लेकर अक्सर यही सोचा जाता है कि यह केवल बड़ों को होती है, लेकिन तथ्य यही है कि यह समस्या बच्चों में भी आम है। आमतौर पर यहां भी संक्रमण के पनपने का कारण बैक्टीरिया ही होता है, लेकिन इसके अलावा बच्चे के यूरिनरी सिस्टम (मूत्र तंत्र) में या इससे जुड़ी प्रक्रिया में कोई बाधा आने पर या किसी दवाई के कारण भी यह तकलीफ हो सकती है। किसी भी उम्र का बच्चा इसका शिकार हो सकता है। नवजात बच्चों में यह लड़कों में अधिक पाया जाता है जबकि थोड़ी बड़ी उम्र में लड़कियां इसकी शिकार अधिक होती हैं। यही नहीं किसी बच्चे में बार बार होने वाला यह संक्रमण इस बात का संकेत भी हो सकता है कि उसका यूरीनरी ट्रैक्ट ठीक से विकसित नहीं हो पाया है या उसके यूरीनरी ट्रैक्ट की कार्यप्रणाली सही तरीके से काम नहीं कर पा रही है। जब लक्षण सामने आएं: समस्या चूंकि किसी भी उम्र के बच्चे में सामने आ सकती है, इसलिए जरूरी है कि लक्षणों को लेकर माता-पिता खुद सतर्कता रखें, क्योंकि छोटा बच्चा कई बार तकलीफ को ठीक से बता नहीं पाता। कुछ आम लक्षण जो इस समस्या के कारण सामने आ सकते हैं, उनमें शामिल हैं: पेशाब करते वक्त दर्द या जलन का एहसास, बार बार बाथरूम जाने की जरूरत महसूस होना।   1. पेशाब के साथ खून आना। 2. पेट या पेल्विक एरिया (पेडू क्षेत्र) में दर्द। 3. ठंड लगकर बुखार आना।   4. उलटी। 5. चिड़चिड़ापन या असहजता, आदि।