वरदानी रावण घोर शापित भी था- दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

वरदानी रावण घोर शापित भी था -दिनेश मालवीय त्रेता युग में भगवान महादेव और ब्रह्माजी से मिले वरदानों के बल पर तीनो लोकों को आतंकित करने वाला लंकापति रावण घोर शापित भी था. जहाँ उसे दुर्लभ वरदान मिले वहीँ, वहीं भयानक शाप भी मिले थे. आइये हम जानते हैं, कि इस महाबली अहंकारी राक्षसराज को कहाँ और क्या शाप मिले. नल-कूबर का शाप एक बार मार्ग में जाते हुए रावण ने एक बहुत अनुपम सुंदर स्त्री को देखा. वह पूजा-सामग्री लिए भगवान की पूजा करने जा रही थी. उसका नाम अप्सरा रम्भा था. वह रावण के भाई कुबेर की पुत्रबधू अर्थात उसके पुत्र नलकूबर की पत्नी थी. इसी सम्बन्ध से वह उसकी भी पुत्रबधू थी. अपने ससुर रावण को देखकर वह मन में बहुत सकुचाई. रावण ने उससे कोमल वाणी में पूछा कि तुम कहाँ जा रही हो. उसने लज्जा के कारण उत्तर नहीं दिया. महाकामी रावण उसके रूप पर मोहित होकर ऐसा मतवाला हुआ जा रहा था कि उसने उसका हाथ पकड़ लिया. उसने उसके साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया. रम्भा व्याकुल होकर कुबेर की नगरी अलकापुरी में आयी और नलकूबर को सब बातें बतायीं. नलकूबर् ने बहुत क्रोधित होकर शाप दिया कि भविष्य में रावण ने किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुआ तो उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जायेंगे. उसका वंश नष्ट हो जाएगा. शाप मूर्तिरूप में लंका में रावण के समक्ष आ बैठा. रावण इस शाप से काँप उठा. ऋषियों का शाप एक बार रावण के में में विचार आया कि उसने ऋषियों से दण्ड नहीं लिया है. उसने अपने चार दूत ऋषियों के पास भेजे. उन्हें देखकर ऋषि भयभीत हो गये. उन्होंने भयभीत स्थिति में ही रावण की कुशलक्षेम पूछी. दूत बोले-“ हे मुनियों! अब यह कुशल है कि रावण तुमसे कर लेने की इच्छा रखता है. यह सुनकर परम वैराग्यवान ऋषि विचार में पड़ गये. ऋषियों ने अपने शरीर से खून निकाल कर एक घड़ा भरकर दूतों को दे दिया. उन्होंने दूतों से कहा कि रावण को यह घड़ा देकर कहना कि उसके उघरते ही परिवार सहित उसका नाश हो जाएगा. दूत यह घड़ा रावण के दरबार में ले गये. रावण घड़े को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ. तब दूतों ने उसे घड़े के विषय में सच्ची बात बतायी कि इसके उघड़ते ही आपका वंश नष्ट हो जाएगा. मुनियों का शाप सुनकर रावण के मन में क्रोध की महा ज्वाला उत्पन्न हुयी. उसने कहा कि यह घट लेकर उत्तर दिशा में जाओ. इसे यत्नपूर्वक धरती में दवा देना, जिससे यह बात कोई जान न सके. राजा जनक के नगर के पास इसे गाड़ना. रावण ने सोचा कि जिस राज्य में यह घड़ा उघड़ेगा उसका नाश होगा. दरअसल रावण की राजा जनक के साथ यह खुन्नस थी कि एक बार वह शिवजी की सभा में वेदांत विचार में जनक से हार गया था. एक समय जनक के राज्य में अकाल पड़ा और बिना जल के सभी जीव बेहाल हो गये. जनक ने वर्षा के लिये यज्ञ किया और सुवर्ण का हल खेत में चलाया. इससे पृथ्वी से एक बहुत सुंदर सिंहासन प्रकट हुआ, जिसका तेज अपार था. इस पर सीताजी शोभायमान थीं. यही सीता आगे चलकर रावण के कुल के नाश का कारण बनीं. इस प्रकार ऋषियों के उपरोक्त शाप भी उसके वंश के विनाश का कारण बना. तपस्विनी का शाप- एक बार रावण अपने विमान से कहीं जा रहा था. रास्ते में उसे एक बहुत  स्त्री दिखायी दी. वह भगवान विष्णु की तपस्या कर रही थी. रावण ने उसके बाल पकड़ कर अपने साथ चलने को कहा. उसने मना कर दिया और उसी समय योगशक्ति से अपनी देह का त्याग कर दिया. मरने से पहले उसने रावण को शाप दिया कि उसकी मौत एक स्त्री के कारण ही होगी. पत्नी की बहन का शाप- कामी पुरुष को कोई विवेक नहीं होता. वह कामातुर होने पर किसी भी सम्बन्ध को नहीं मानता. एक बार उसने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया पर मोहित होकर उसका सतीत्व भंग करने की कोशिश की. माया ने रावण को शाप दिया कि उसकी मौत एक औरत के कारण ही होगी. शिव-वाहन नंदी का शाप- एक बार रावण भगवान शिव के निवास कैलाश पर गया. ताकत के मद में व्यक्ति किसी को कुछ भी कहकर उसका उपहास उड़ा देता है. यही रावण ने भी किया. उसने भगवान शिव के वाहन नंदी का उपहास करते हुए कहा कि तुम्हारा मुख बंदरों जैसा है. नंदी ने शाप दिया कि जाओ तुम्हारा विनाश वानर ही करेंगे. राजा अनरण्य का शाप- भगवान राम के वंश अर्थात रघुवंश में एक बहुत प्रतापी राजा हुए. उनका नाम अनरण्य था. एक बार उनका रावण से बहुत भयानक युद्ध हुआ, जिसमें यह महान राजा वीरगति को प्राप्त हुए. लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को शाप दिया कि आगे चलकर मेरे वंश का एक युवक ही तुम्हें मारेगा. बहन शूर्पनखा का शाप- रावण की बहन शूर्पनखा ने भी रावण को वंश सहित नष्ट होने का शाप दिया. वह अपने पति विद्द्युतजिव्हा से बहुत प्रेम करती थी और उसने उससे शादी भी कर ली थी. रावण चाहता था कि उसका पति लंका में रहे. लेकिन वह स्वतंत्रता का पक्षधर था और पत्नी के साथ अलग राज्य में रहने लगा. रावण ने उसके साथ युद्ध करके उसे मार डाला. शूर्पनखा ने रावण को कुल सहित नष्ट होने का शाप दिया. बहन का यह शाप भी रावण के विनाश का कारण बना. इस तरह महा वरदानी रावण को अनेक शापों को भी झेलना पड़ा और वे ही उसके विनाश का कारण बने.