नाद ब्रह्म क्या है?


स्टोरी हाइलाइट्स

रात्रि में ध्वनिरहित, अंधकारयुक्त, एकांत स्थान पर बैठें. तर्जनी अंगुली से दोनों कानों को बंद करें. आँखें बंद रखें. कुछ ही समय के अभ्यास से अग्नि प.......

शिवजी ने पार्वतीजी से कहा :- 1. रात्रि में ध्वनिरहित, अंधकारयुक्त, एकांत स्थान पर बैठें. 2. तर्जनी अंगुली से दोनों कानों को बंद करें. आँखें बंद रखें. 3. कुछ ही समय के अभ्यास से अग्नि प्रेरित शब्द सुनाई देगा. 4. इसे शब्द-ब्रह्म कहते हैं. 5. यह शब्द या ध्वनि नौ प्रकार की होती है. 6. इसको सुनने का अभ्यास करना शब्द-ब्रह्म का ध्यान करना है. 7. इससे संध्या के बाद खाया हुआ अन्न क्षण भर में ही पच जाता है और संपूर्ण रोगों तथा ज्वर आदि बहुत से उपद्रवों का शीघ्र ही नाश करता है. 8. यह शब्द ब्रह्म न ॐकार है, न मंत्र है, न बीज है, न अक्षर है. 9. यह अनाहत नाद है (अनाहत अर्थात बिना आघात के या बिना बजाये उत्पन्न होने वाला शब्द). 10. इसका उच्चारण किये बिना ही चिंतन होता है. यह नौ प्रकार का होता है :- १. घोष नाद :- यह आत्मशुद्धि करता है, सब रोगों का नाश करता है व मन को वशीभूत करके अपनी और खींचता है. २. कांस्य नाद :- यह प्राणियों की गति को स्तंभित कर देता है. यह विष, भूत, ग्रह आदि सबको बांधता है. ३. श्रृंग नाद :- यह अभिचार से सम्बन्ध रखने वाला है. ४. घंट नाद :- इसका उच्चारण साक्षात् शिव करते हैं. यह संपूर्ण देवताओं को आकर्षित कर लेता है, महासिद्धियाँ देता है और कामनाएं पूर्ण करता है. ५. वीणा नाद :- इससे दूर दर्शन की शक्ति प्राप्त होती है. ६. वंशी नाद :- इसके ध्यान से सम्पूर्ण तत्व प्राप्त हो जाते हैं. ७. दुन्दुभी नाद :- इसके ध्यान से साधक जरा व मृत्यु के कष्ट से छूट जाता है. ८. शंख नाद :- इसके ध्यान व अभ्यास से इच्छानुसार रूप धारण करने की शक्ति प्राप्त होती है. ९. मेघनाद :- इसके चिंतन से कभी विपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ता. इन सबको छोड़कर जो अन्य शब्द सुनाई देता है वह तुंकार कहलाता है. तुंकार का ध्यान करने से साक्षात् शिवत्व की प्राप्ति होती है.