हम ईश्वर की भक्ति क्यों करें?


स्टोरी हाइलाइट्स

सब कहते हैं कि ईश्वर  की भक्ति करो| लेकिन ईश्वर की भक्ति क्यों करो? ईश्वर की भक्ति से हमें क्या मिलेगा? क्या हमारी समस्याओं का समाधान मिलेगा? मन की मुराद पूरी होगी,  या आज से ज्यादा बेहतर जीवन होगा?

:अतुल पाठक हम ईश्वर की भक्ति क्यों करें? Why should we do devotion to God? सब कहते हैं कि ईश्वर  की भक्ति करो| लेकिन ईश्वर की भक्ति क्यों करो? ईश्वर की भक्ति से हमें क्या मिलेगा? क्या हमारी समस्याओं का समाधान मिलेगा? मन की मुराद पूरी होगी,  या आज से ज्यादा बेहतर जीवन होगा?  बड़ी मुश्किल से यह जीवन मिला है, तो फिर सारे सुखों का उपभोग क्यों न किया जाए?  सच भी है मनुष्य को जीने के लिए बुनियादी व्यवस्थाएं संसाधन रिश्ते नाते तो मिलने चाहिए| मनुष्य वर्तमान को बेहतर करने और अगले जीवन में और अच्छे लोग में जाने के लिए ईश्वर की भक्ति करता है|  आप अपने घर के किसी पालतू पशु को देखो जब आप उसे कुछ देते हो तो कैसे खाता है?  जब तक वो आपके दिए हुए खाने को ग्रहण करता है तब तक सबसे सुखी नजर आता है| क्योंकि वो शरीर के स्तर पर जीता है,  उसे थोड़ी भी व्यवस्थाएं मिल जाए तो उसमें वो बहुत आनंद लेता है| पाला गया कुत्ता अपने आपको शहंशाह से कम नहीं समझता| हम भी यदि छोटी छोटी चीजों में इतना ही रस लेते हैं तो हमें समझ लेना चाहिए कि हमारी स्थिति क्या है?  खाने-पीने और रहने की चीजों में जिंदगी लगा देने वाले लोग पशुओं की तरह माने गए हैं| मनुष्य पशु के स्तर से ऊपर सोचने के लिए है|  आत्मा परमात्मा की बातें पशु पक्षियों के लिए नहीं हैं, इन बातों को समझने की क्षमता सिर्फ मनुष्य के पास है| पहली बात तो वह अपने सोचने समझने की क्षमता का उपयोग आत्मा परमात्मा के विज्ञान को समझने में भी करे|   ऐसे साधनों का उपयोग करें जिससे वह न सिर्फ अध्यात्म के मर्म को समझें बल्कि उसे अनुभव भी करे| स्वर्ग-नरक सुख-दुख हमारे जैसे साधारण मनुष्यों के खेल हैं| स्त्री-पुरुष के पीछे, पुरुष स्त्री के पीछे| धन के पीछे मान-सम्मान के पीछे भागने वाले लोग जीवन के मर्म को समझने  मैं अभी पीछे हैं|  यूँ भक्ति मार्ग में लाखों लोग चलते हैं,   लेकिन सफल बहुत कम होते हैं| क्यों? क्योंकि उन्होंने परमात्मा को कभी भी निस्वार्थ प्रेम नहीं किया|  स्वार्थ और प्राप्ति की अभिलाषा में किया गया परमात्मा प्रेम कभी भी फल नहीं देता| जो लोग आज हमारी जिंदगी में बहुत महत्व रखते हैं,  कल वह हमसे दूर हो सकते हैं| सोचें कुछ साल पहले जो लोग हमें बहुत अच्छे लगते थे आज वो हमारी जिंदगी में नहीं भी है तो भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ता| हमें ऐसा लगता है कि हमारे आस पास जो कुछ है वही सब कुछ है|  लेकिन हमसे हमारी प्रिय चीजें छिन भी जाएगी तो भी हम जी लेंगे|  पति के मरने पर पत्नी जीती है और पत्नी के मरने पर पति भी जीता है| कुछ दिन बाद तो लोग दूसरी शादी भी रचा लेते हैं| दुनिया के तमाम तत्वदर्शी एक ही नतीजे पर पहुंचे हैं, भौतिक जरूरत अपनी जगह है लेकिन इंसान को अपनी आध्यात्मिक जरूरत पर भी ध्यान देना होगा|