क्या व्यस्त रहने से चिंता मिटेगी? P ATUL VINOD
कहते हैं चिंता चिता के सामान है| इसका कारण एक कहावत में दिया गया है| खाली दिमाग शैतान का घर|
अर्थ ये कि दिमाग खाली होगा तो शैतान प्रवेश करेगा| खाली दिमाग में फितूर आते हैं| खाली दिमाग में नकारात्मक थाट्स भी आते हैं जो टेंशन क्रिएट करते हैं|
लेकिन क्या व्यस्त रहना ही चिंता मुक्त होने का उपाय है?
इसका जवाब खोजें इससे पहले चिंता को जान लें, ये चिंता, तनाव, टेंशन बहुत खराब होते हैं| इनके कारण व्यक्ति सुलगता रहता है| अंदर से खोखला कर देती है ये चिंता| चिंता उर्जा के लिए घुन है|
चिंता से एक ही विचार बार बार कोंधता है| दिमाग पर बुरा असर पड़ता है| उर्जा रुपी रस और हारमोंस का स्तर गडबडा जाता है|
चिंता का भौतिक और आध्यात्मिक उपचार अलग-अलग है|
भौतिक स्तर पर हम चिंता को व्यस्तता से कम कर सकते हैं| हालाकि व्यस्तता चिंता का स्थाई इलाज नहीं है|
बताते हैं कि हम अपने मनचाहे काम में जिम्मेदारी, लगन और परिश्रम से इंवॉल्व होकर टेंशन बहुत हद तक कम हो सकती है यह सच भी है| चिंता का लेवल बिजी रहने से कम हो जाता है| इससे हमें तनाव से फौरी राहत मिलती है|
अध्यात्म इससे उलट है| अध्यात्म कहता है कि आप अपने आपको बेवजह व्यस्त रखने की कोशिश मत कीजिए|
यदि चिंता जड़ में मौजूद नहीं है तो बिना व्यस्त रहे भी आप प्रसन्न होंगे|
और यदि जड़ में चिंता है तो खालीपन से उसके बारे में हमें पता चलेगा|
हम खाली बैठेंगे चिंता या बुरे विचार आएंगे तब हम अलर्ट हो जाएंगे| इन विचारों को किल करने की बजाये हम कारण पर जायेंगे|
चिंता की तह में हम जाएं तो इसके पीछे के कारण उभर कर सामने आ जाएंगे|
चिंता के मूल में हमारी हिंसा एक कारण हो सकता है| सोच, कर बोलकर, किसी भी तरह से मन वचन कर्म के रूप में हमने कभी ना कभी जो हिंसा हमने की है उसी के कारण तनाव पैदा होता है|
चिंता का दूसरा कारण है हमारा झूठ, दुराव, छिपाव, गलत काम, हम जब बेईमानी, चोरी, लालच, घृणा, करते हैं तो हमारे मन में एक डर बैठ जाता है|
हम घात करते हैं तो प्रतिघात का दर बैठ जाता है|
चिंता का तीसरा कारण है हमारी आशंका, भविष्य की झूठी आशंकायें टेंशन का कारण बनती हैं|
तनाव में एक समय में कई विचार आते हैं चिंता में कोई एक विचार बार बार घूमता है|
कल क्या होगा? क्या मैं बीमार पड़ जाऊंगा? क्या मेरी नौकरी छूट जाएगी?
निश्चित ही ऐसा हो सकता है लेकिन इसे रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं? जो कर सकते हैं करें?
सोचने की बजाये ऐसा काम करें जो आपकी सेहत को ठीक रखे, आपके करियर को चार चाँद लगाये|
चिंता करके आप भविष्य को संवार नहीं सकते |
चिंता का एक कारण वर्तमान की कठिन समस्याएं होती हैं|
समस्याएं सोचकर हल नहीं होती| इसलिए खाली हैं तो उस वक्त का उपयोग चिंतन में कीजिये सोचिये आप क्या कर सकते हैं|
चिंता का कारण खालीपन नहीं हमारी प्रोग्रामिंग है|
अध्यात्म में समस्याएं ईश्वर की योजना और कार्यविधि का हिस्सा है| इसलिए बार बार कर्म के सिद्धांत को जानने की सलाह दी जाती है ताकि समस्या का कारण पता चल सके|
चिंता के और भी कारण हो सकते हैं असंतोष, बेवजह की लालसाएं, आलस, गलतियाँ|
इन सब को जाने बिना उसका निदान संभव नहीं चाहे आप कितना भी व्यस्त रहने की कोशिश करें|
कुदरत का नियम है कि जब आप कोई चिंता नहीं करते हैं तो आप सृष्टि के कामो में बाधा खड़ी करना बंद कर देते है। चिंता और तनाव से मुक्ति का एक और उपाय आत्मज्ञान है| जब हम वास्तविक स्वरूप देख लेते हैं तो बाहर की चीज़े हमे छूकर निकल जाती हैं| एक और तरीका है आप इस तरह से सोचें.. चिंता हो तो सोचें की ये मेरी नहीं इस शरीर की चिंता है ये मेरी नहीं मेरे चित्त की चिंता है| यदि किसी ने अपमान कर दिया तो सोचे कि मेरा नहीं मेरे अहंकार का अपमान हुआ है| मैं अलग हूँ जिसको कुछ भी प्रभावित नहीं करता|