नशे से खुलता सेक्स रेकेट का जाल, प्रतिष्ठित घरों की लड़कियां यूँ पहुंची  देह व्यापार में..


स्टोरी हाइलाइट्स

नशा किस तरह से जिंदगी बर्बाद करता है, इसकी पूरी कहानी आज हम आपको बताएंगे| हम आपको बताएंगे कि कैसे प्रतिष्ठित घरों की लड़कियां नशे के चंगुल में फंस कर देह व्यापार में लिप्त हो जाती है और फिर पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है|

MBA, M.Sc., BE जज कोशिश करने वाली लड़कियां ड्रग्स के चक्कर में पड़कर होटल के कमरों तक पहुंच जाती हैं और फिर शुरू होता है उनके दैहिक शोषण का सिलसिला| 

अहमदाबाद के एक आईपीएस ने ऐसी ही 48 लड़कियों की मदद की और उन्हें देह व्यापार के चंगुल से छुड़ाया| नशे का ये कारोबार मध्य प्रदेश हो या गुजरात राजस्थान हो या दिल्ली महाराष्ट्र कर्नाटक हर जगह गहराता जा रहा है| 

प्रतिष्ठित घरों की पढ़ी-लिखी लड़कियां पहले तो डर डर के चंगुल में फंस जाती है और धीरे-धीरे नशे की आदी हो जाती है नशे का यह टशन ही उन्हें देह व्यापार में डुबो देता है| 

युवा महिलाओं को ड्रग्स की लत लग जाती है और अगर उनके पास पैसे नहीं हैं तो उन्हें इसके लिए भुगतान करना होता है। फिर वे शरीर बेचने को तैयार हो जाती हैं| अत्यधिक प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध परिवारों की युवतियों की इस मजबूरी का लाभ उठाकर ड्रग डीलर नियमित सेक्स रैकेट भी चलाते हैं।

आखिर में ड्रग डीलरों के कहने पर लड़की की तस्करी भी करनी पड़ती है| 

गुजरात में ऐसा ही मामला सामने आया जब लाखों में खेल रही एक कारोबारी की बेटी ड्रग रैकेट में आ गई। नतीजतन, वह अपने मादक पदार्थों की लत के लिए अपना शरीर बेचने को मजबूर हो गई| और एक कंपनी के मालिक की बेटी का नाम एक हाई प्रोफाइल ड्रग रैकेट में शामिल हो गया।

उन्हें बचाने के अभियान की अगुवाई सिटी पुलिस जोन-3 के डीसीपी मकरंद चौहान ने की. उन्होंने 48 बेटियों को बचाया, जिन्हें इस तरह से अपना शरीर सेल करने के लिए मजबूर किया गया था। 

आज ऐसी कई बेटियों की शादी हो चुकी है और उनके जीवन को बर्बाद न हो इसलिए कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है। हालांकि रैकेट की जड़ तक पहुंचने के प्रयास जारी है।

जुलाई 2020 में पुलिस ने कालूपुर इलाके के मार्वल के एक होटल में छापेमारी की थी. पुलिस को एक 20 वर्षीय विवाहित महिला मिली, जो एक अच्छी गृहिणी की तरह दिखती थी। पुलिस ने उससे पूछताछ की तो पता चला चौंकाने वाला सच। इस घटना से इस बात के सुराग सामने आने लगे कि कैसे ड्रग-व्यापारियों ने अच्छे घर की लड़कियों को वेश्यावृत्ति में फंसाया।

उच्च शिक्षित और अंग्रेजी में धाराप्रवाह, वह अक्सर अपने हाथ छिपाने की कोशिश कर रही थी। जांच में उसके अंगों और शरीर के विभिन्न हिस्सों में सुई-सिरिंज के छेद का पता चला। शांतिपूर्वक पूछे जाने पर उसने कहा कि उसने शहर के एक नामी साइंस कॉलेज में पढ़ाई की है, लेकिन उसे नशीला पदार्थ देकर यहां लाया गया था। 

दुल्हन ने पुलिस को बताया कि वह कुछ दिन पहले एक दोस्त के साथ पार्टी में गई थी. अमीर परिवार के बिगड़ैलों की इस पार्टी में नशा ही नशा था और वह इस नशे के जाल में फंसती चली गई| बाद में, उसने पेडलर्स से ड्रग्स लेना शुरू कर दिया। 

पहले घर की आमदनी बहुत अच्छी थी, इसलिए पॉकेट मनी से ड्रग की राशि का भुगतान किया जाता था, लेकिन जब कोरोना में पारिवारिक व्यवसाय ठप हो गया, तो इसकी पॉकेट मनी बंद हो गई, लेकिन अब बिना दवा के चलना संभव नहीं था। पेडलर ने एक या दो खुराक देने के बाद मुफ्त खुराक देना बंद कर दिया।

अब डोज मांगी तो पेडलर ने कहा कि एक घंटे के लिए होटल में आओ और ड्रग ले लो| बस यहीं से उसकी मजबूरी का फायदा उठाने का सिलसिला शुरू हो गया। पेडलर उसे डोज देने से पहले होटल ले जाता था, जहां अलग-अलग लोग उससे सेक्स करते थे। शादी के बाद भी वह एक ड्रग पेडलर के लिए काम कर रही थी। पुलिस अधिकारी भी यह सुनकर चौंक गये। 

पुलिस ने अपनी जांच जारी रखी, पता चला कि 50 लड़कियां थी जो इस नशे के कारोबार में थी। चूंकि नशे के लिए पैसे नहीं होते थे, इसलिए ये युवतियां पेडलरों के कहने पर शरीर बेच देती थीं। तब से लेकर अब तक पुलिस ने अभियान चलाकर अब तक 48 ऐसी बेटियों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया है, जो अब फिर से सामान्य जीवन जी रही हैं.

अब नशा तस्करों पर नकेल कसने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।

यह किसी एक प्रदेश के एक शहर तक सीमित मामला नहीं है पूरे देश में ड्रग तस्कर इसी तरह से हाई प्रोफाइल लड़कियों को पहले ड्रग्स के चंगुल में फंस आते हैं और फिर उनका दैहिक शोषण शुरू हो जाता है| यह कारोबार अब पूरे देश में फैल चुका है|