भोपाल: प्रदेश में जल संसाधन विभाग द्वारा खेतों में पानी पहुंचाने के लिये नहरों का निर्माण एवं प्रेशराइज्ड पाइप लाइन डाली गई है तथा इनके संचालन के लिये जल उपभोक्ता संथायें यानी वाटर बॉडीज बनाई हुई है जो नहरों आदि से पानी लेने पर कृषकों से निर्धारित शुल्क भी वसूलती है।
इन वाटर बॉडीज के लम्बे समय से चुनाव न होने से ये भंग पड़ी हुई हैं। इसलिये खेतों तक पानी पहुंचाने का कार्य अब ग्राम पंचायतों को देने पर विचार चल रहा है जिसके लिये राज्य शासन ने जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता को एक कमेटी बनाने और उसके सुझावों का प्रस्तुतीकरण देने के लिये कहा गया है।
जल संसाधन विभाग की एक उच्च स्तरीय बैठक में बताया गया कि मप्र सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी अधिनियम 1999 में हुए संशोधन के फलस्वरूप सिंचाई परियोजनाओं के फील्ड चैनल एवं माइक्रो इरीगेशन कार्यों के क्रियान्वयन हेतु अधिकृत वाटर बॉडीज भंग हैं तथा नवीन चुनाव नहीं हो सका है, उनका कार्य विभागीय मैदानी अमले के माध्यम से संपादित किये जाने से भी उक्त कार्यों की प्रगति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। बैठक में सुझाव दिया गया कि ग्राम पंचायतों को नहरों एवं प्रेशराइज्ड पाइप लाइन के रखरखाव एवं जल वितरण का कार्य सौंप दिया जाये।
इन आठ परियोजनाओं में से नहीं मिला सिंचाई का लाभ:
बैठक में बताया गया है कि आठ सिंचाई परियोजनाओं सिन्ध फेज-2, बाणसागर, पेंच, महान, सिंघपुर, महुअर, सगड़ एवं संजय सागर बाह्य 33 हजार 223 हेक्टेयर में भौतिक सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था परन्तु इस लक्ष्य में कोई अचीवमेंट नहीं हुआ अर्थात प्रगति शून्य है।