भोपाल। राज्य सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सीएफ स्तर तक के आईएफएस अफसरों को वर्किंग प्लान ( कार्य आयोजना ) बनाने की छूट दे दी है। नए आदेश के तहत कार्य आयोजना इकाई के प्रभारी भारतीय वन सेवा के उप वन संरक्षक स्तर के अधिकारी रहेंगे, जो कार्य आयोजना-आंचलिक के भारसाधक अधिकारी के तकनीकी, प्रशासकीय एवं वित्तीय नियंत्रण में रहेंगे। गौरतलब यह है कि विभाग इस बदलाव के लिए सहमत नहीं था। वन बल प्रमुख ने अपनी आपत्ति में उल्लेख किया था कि परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है।
नए आदेश के तहत भारतीय वन सेवा संवर्ग के उप वन संरक्षक स्तर के अधिकारी जिन्होंने 9 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है, उन्हें वरिष्ठता सूची अनुसार वरिष्ठता कम आने पर कार्य आयोजना इकाई में पदस्थ किया जावेगा। यह पदस्थापना कार्य आयोजना पूरी होने तक की अवधि के लिए होगी।
इस आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी भारत सरकार, राज्य शासन एवं अशासकीय संगठनों में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हो तो ऐसे अधिकारी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति से लौटने पर यदि वे वन संरक्षक के पद पर पदोन्नत नहीं हुए हों तथा उससे कनिष्ठ अधिकारी कार्य आयोजना में पदस्थ हो गया हो तो ऐसे अधिकारी को कार्य आयोजना में अनिवार्यतः पदस्थ किया जायेगा। कार्य आयोजना पुनरीक्षण में 02 वर्ष का समय लगता है। अतः इकाई में पदस्थापना करते समय यह सुनिश्चित किया जावेगा, कि पदस्थ होने वाले अधिकारी की न्यूनतम 02 वर्ष की शासकीय सेवा शेष हो।
2010 तक के आईएफएस को मिलेगा लाभ
इस आदेश से 2008 बैच से 2010 बैच के करीब एक दर्जन अफसर को वर्किंग प्लान बनाने की छूट मिल गई है। जिन अफसर को इसका फायदा मिलने वाला है, उनमें 2008 बैच के कमल अरोड़ा, नरेश सिंह यादव, 2009 बैच के अनुपम सहाय, डॉ किरण बिसेन, मधु वी राज, अनिल शुक्ला, आलोक पाठक और 2010 बैच के रिपु सूदन सिंह भदोरिया, रविंद्र मणि त्रिपाठी, वासु कनौजिया गौरव चौधरी शामिल है।
अब 2011 बैच के आईएफएस को बनाने होंगे वर्किंग प्लान
वन विभाग ने छह आईएफएस अफसरों को वर्किंग प्लान बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा है। सोमवार को जारी हुए आदेश के बाद अब 2011 बैच आईएफएस अफसरों में नाराजगी है। इस बैच के अफसर का मानना है कि वर्किंग प्लान बनाने के लिए किसी को भी छूट नहीं मिलना चाहिए। शासन के आदेश के बाद अब हमारे बैच को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। जबकि जनवरी 25 में उनका बैच भी सीएफ के पद पर प्रमोट होगा।
सरकार के आदेश पर उठते सवाल
जो डीसीएफ जो कार्य योजना के दौरान सीएफ के पद पर प्रमोट हो जाएंगे तब उन्हें क्या कार्य आयोजना बनाते रहना होगा या वो मुक्त हो जाएंगे। आदेश में इस बावत कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं हैं। मसलन, 9 वर्ष के सेवाकाल के डीसीएफ ही को पोस्ट करने का प्रावधान है।माना गया है कि 2वर्षों में कार्य पूर्ण हो जाएगा। यानि 11 वर्ष की सेवा पूर्ण कर कार्ययोजना पूर्ण करेंगे। वैसे भी सीएफ के प्रमोशन के लिए 12 वर्ष की सेवा होती है। फिर भी आदेश में इसका स्पष्ट स्पष्ट किया जाना चाहिए।पूर्व में सीएफ के प्रमोशन के साथ ही डीसीएफ को मुक्ति मिल जाती थी। अन्य डीसीएफ अधूरे कार्य को पूरा करता था।