एमएफपी पार्क में मनमानी पर लगा लगाम, उत्पादन प्रबंधक सुनीता अहिरवार को हटाया


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स्टोरी हाइलाइट्स

लघु वनोपज संघ के एमडी विभाष ठाकुर ने रेंजर सुनीता अहिरवार को प्रभारी उत्पादों प्रबंधक से हटकर मुख्यालय अटैच कर दिया है..!!

भोपाल: लघु वनोपज संघ की इकाई लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी (एमएफपी पार्क) में प्रभारी उत्पादन प्रबंधक सुनीता अहिरवार की मनमानी पर ब्रेक लग गया। लघु वनोपज संघ के एमडी विभाष ठाकुर ने रेंजर सुनीता अहिरवार को प्रभारी उत्पादों प्रबंधक से हटकर मुख्यालय अटैच कर दिया है। मुख्यालय में पदस्थ एसीएफ मणि शंकर मिश्र को उत्पादन प्रबंधक की जिम्मेदारी दी गई है। मिश्रा पर कारोबार बढ़ाने और गुणवत्ता को बरकरार करने की बड़ी जवाबदेही दी गई।

लघुवनोपज संघ की इकाई लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी “विंध्या हर्बल” नाम से आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण करता आ रहा है। विगत वर्षों में केंद्र निरंतर प्रगतिशील रहा लेकिन पिछले 2 वर्षों में प्रशासनिक उदासीनता और प्रभारी उत्पादन प्रबंधन सुनीता अहिरवार की मनमानी से केंद्र को बहुत नुक़सान हुआ। 

कभी भारत के 17 राज्यों में आयुर्वेदिक दवाओं को सप्लाई करने वाले केंद्र को आयुष विभाग ने तो विंध्या हर्बल्स को ऑर्डर देना ही बंद कर दिया है। इसकी मुख्य वजह एमएफपी पार्क बरखेड़ा पठानी में उत्पादित होने वाली औषधियों की क्वांटिटी और क्वालिटी में निरंतर गिरावट बताई जा रही है। 

पिछले दिनों एक छोटा सा ऑर्डर इस वित्तीय वर्ष में केवल 1.8 करोड़ का ऑर्डर मिला है। लेकिन सीईओ और रेंजर और प्रभारी एसडीओ सुनीता अहीरवार की आपसी खींचतान के चलते अभी तक उत्पादन ही शुरू नहीं हो पा रहा है। एमएफपी पार्क में आलम यह हो गया था कि  न तो उत्पादन हो पा रहा है और न ही केंद्र की सीईओ और प्रभारी उत्पादन प्रबंधक आयुष मार्क सर्टिफ़िकेशन कराने का प्रयास कर रही है। 

आयुष मार्क के प्रथम ऑडिट में ढेरों कमियां निकलने के बाद भी अभी तक कोई भी जिम्मेदार फारेस्ट अफसर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। औषधि के रॉ मटेरियल की खरीदी में भ्रष्टाचार और गुणवत्ता को लेकर कई बार सवाल उठे। जांच के आदेश भी हुए किंतु महिला अधिकारी के रसूख के चलते जांच के आदेश डंप कर दिए जा रहें हैं।