Ashok Nagar News: देश आज के समय में विकास के नित ने आयाम छू रहा है। आजादी मिले 77 साल होने के बावजूद आज भी कई गांव ऐसे हैं, जो बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा ही एक गांव मध्य प्रदेश के अशोकनगर का मूडरा कलां गांव। जहां सड़क न होने के कारण ग्रामीण रस्सी के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या के पीछे अशोकनगर से जुड़ा एक मिथक है कि जो भी सीएम यहां आता है उसकी कुर्सी चली जाती है। नतीजतन राज्य के सीएम यहां नहीं आते और हमारी परेशानियां दूर नहीं होतीं।
मूडरा कलां गांव अशोकनगर जिले के पिपरई तालुका के अंतर्गत आता है। यह गांव जिला मुख्यालय से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गांव की आबादी करीब 100 है। यह गांव दो नदियों से घिरा हुआ है। गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को दूसरे छोर तक जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती है।
हैरानी की बात ये है, कि नदी पर कोई पुल नहीं है, इसी के चलते नदी पार करने के लिए ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है।
ग्रामीणों ने नदी के दोनों किनारों पर बांस लगा दिया है, जबकि नदी के दोनों किनारों पर रस्सियां बांध दी गई हैं। जी हां ग्रामीणों को जरूरी काम से दूसरी ओर जाना हो तो रस्सी पर लटककर पार करना पड़ता है। ऐसे में ग्रामीणों की जान पर खतरा मंडराता रहता है।
ग्रामीणों के नदी पार करने का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार विधानसभा व लोकसभा चुनाव के दौरान जन प्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर गया था। साथ ही चुनाव में वोट न देने की चेतावनी भी दी। इसके बाद अधिकारी पहुंचे और पुष्टि भी की, लेकिन सड़क नहीं बन सकी। ग्रामीणों के मुताबिक राजपुर से बामोरा तक तो पक्की सड़क है, लेकिन उसके बाद रामपहाड़ी गांव तक पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है। ग्रामीणों ने बताया कि अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो उसे खाट पर ले जाना पड़ता है। हर वक्त जान जोखिम में रहती है।
गांव से जुड़ा एक मिथक भी है, जो गांव के विकास में बाधक बनता है। ग्रामीणों का कहना है, कि यहां जो भी मुख्यमंत्री आता है उनकी कुर्सी छिन जाती है। यही कारण है कि शिवराज सिंह चौहान करीब साढ़े 16 साल तक प्रदेश के सीएम रहे, लेकिन मूड़रा कलां नहीं आये। इसी तरह मौजूदा मुख्यमंत्री ने भी अशोकनगर से दूरी बना रखी है। सीएम यहां नहीं आते हैं, जिसके कारण जिला क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं देता।