Bhopal News: जेपी अस्पताल पर निगम ने लगाया जुर्माना, खुले में पड़ा मिला मेडिकल वेस्ट


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स्टोरी हाइलाइट्स

खुले में कचरा फेंकने और गंदगी पर कार्रवाई, जेपी हॉस्पिटल पर जुर्माना, नगर निगम ने ठोंका 10 हजार रुपए का जुर्माना, डे केयर हॉस्पिटल पर भी गिरी गाज..!

नगर निगम ने बुधवार को भोपाल के जयप्रकाश अस्पताल में खुले में पड़े मेडिकल कचरे पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और डे केयर अस्पताल पर भी कार्रवाई की गई है। निगम के जोन-7 स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने सफाई व्यवस्था की निगरानी के दौरान पाया कि जयप्रकाश अस्पताल (1250) से मेडिकल कचरा और अन्य कचरा मिश्रित रूप में खुले में फेंका जा रहा है। 

इसके आधार पर कर्मचारियों ने मौके पर ही अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। प्रबंधन को यह भी चेतावनी दी गयी कि अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल कचरे को इंसीनरेटर में भेजा जाये। इसे अन्य प्रकार के कूड़े के साथ न मिलाया जाये तथा गीला एवं सूखा कूड़ा भी अलग-अलग वाहनों में दिया जाये।

निगम के जोन-8 अमले ने वार्ड-29 के राहुल नगर में एक डे केयर सेंटर पर कूड़ा-कचरा फैलाने पर 3 हजार रुपए का स्पॉट फाइन लगाया। जोन क्रमांक 8 के प्रभारी सहायक स्वास्थ्य अधिकारी ने दुकान के सामने अतिक्रमण करने, गंदगी फैलाने, कूड़ादान नहीं रखने और दुकान पर लाइसेंस नहीं होने पर चालान काटा। स्क्रैप कारोबारी शहादत अली और टेंट हाउस कारोबारी शुभम को भी नोटिस जारी किया गया है।

बायो मेडिकल वेस्ट को 4 श्रेणियों में बांटा गया है..

रेड श्रेणी: इसमें दूषित कचरा, ट्यूबिंग, सीरिंज, मूत्र बैग, दस्ताने आदि जैसी डिस्पोजेबल वस्तुओं से उत्पन्न कचरा शामिल है।

येलो श्रेणी: इसमें पशु अपशिष्ट, मिट्टी अपशिष्ट, समाप्त हो चुकी दवाएं, रासायनिक अपशिष्ट, रासायनिक तरल अपशिष्ट, सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य नैदानिक प्रयोगशाला अपशिष्ट आदि शामिल हैं।

व्हाइट श्रेणी: सफेद श्रेणी में कांच के बने पदार्थ का कचरा शामिल है।

ब्लू श्रेणी: इस श्रेणी में तेज धातु युक्त अपशिष्ट शामिल हैं।

जानिए क्या है एक्ट..

बायो मेडिकल वेस्ट एक्ट-2016 एवं बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट (संशोधन) नियम 2018 के तहत सभी गैर सरकारी एवं सरकारी चिकित्सा इकाइयों को बायो मेडिकल वेस्ट का प्रबंधन प्रभावी ढंग से करना होगा। ऐसा न करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की गाइडलाइन के मुताबिक आर्थिक दंड का प्रावधान है। 

सभी अस्पतालों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति, सीबीडब्ल्यूटीएफ के साथ समझौता, जैव-चिकित्सा कचरे का उचित पृथक्करण, अलग-अलग रंग के कूड़ेदान जैसे लाल, पीले, नीले, गैर-क्लोरीनयुक्त पॉलिथीन का उपयोग, जैव-अपशिष्ट की बार कोडिंग, हब कटर, का उपयोग करना आदि आवश्यक है। मानदंडों के अनुसार जैव चिकित्सा अपशिष्ट घर का निर्माण करना और जैव चिकित्सा अपशिष्ट संग्रह बिंदु पर आईईसी सामग्री प्रदर्शित करना।

जेपी अस्पताल के पूरे परिसर में गंदगी फैली हुई देखी गई। आसपास की नालियां भी गंदगी से भरी हुई पाई गईं। जिससे मरीजों और तीमारदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले माह महापौर मालती राय और एमआईसी सदस्य आरके सिंह बघेल ने अस्पताल प्रबंधन को फटकार लगाई थी।