भोपाल समाचार: वन विहार राष्ट्रीय उद्यान : यहाँ लगती है साँपों की पाठशाला

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स्टोरी हाइलाइट्स

​​​​​​​भोपाल का वन विहार नेशनल पार्क लोगों को जागरूक कर सांपों को बचाने में जुटा है|

इसके लिए पार्क प्रबंधन ने पार्क में आने वाले पर्यटकों को सांपों से परिचित कराना शुरू कर दिया है। हर शनिवार और रविवार को पर्यटकों को सांपों के बारे में जानकारी दी जा रही है। कहा जा रहा है कि सांप प्रकृति और पर्यावरण का अहम हिस्सा हैं, जो खाद्य श्रृंखला को बनाए रखते हैं। एमपी में पाए जाने वालों में  कोबरा, रसेल वाइपर, रसेल कुकरी, क्रेट, सा-स्केल्ड वाइपर, पेटेड कोरिला, पायथन, क्रेट, वुल्फ स्नेक, सैंड बोआ, अर्थ बोआ जैसी प्रजातियां शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रजातियां वन्यजीव सांपों से घिरी हुई हैं। स्नेक एक्सपर्ट का मानना ​​है कि सांपों को लेकर कई भ्रांतियां हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है। भोपाल शहर में हर साल जुलाई से दिसंबर के बीच 300 से ज्यादा सांप निकलते हैं। इनमें से कुछ को पकड़कर जंगल में छोड़ दिया जाता है। घायल सांपों को जंगल में रखकर उनकी देखभाल की जाती है।

सांप पारिस्थितिकी तंत्र की खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कोबरा, रैट स्नेक जैसे सांप चूहों को खाते हैं। ये चूहे ज्यादातर अनाज खाते हैं। अगर सांप नहीं होंगे तो चूहों की आबादी बढ़ेगी जो खतरनाक होगा।

जब आप सांप को देखें तो चुप रहें, शोर न करें। स्नेक कैचर एक्सपर्ट की मदद लें। सांपों को मारने के बारे में मत सोचो।

शाम से रात तक झाड़ियों और घने जंगल में जाने से बचें। जरूरत पड़ने पर टॉर्च का इस्तेमाल करें। जूते का प्रयोग करें।

सांप के काटने पर ये करें

जहां सांप ने काटा हो वहां मालिश न करें। प्रभावित क्षेत्र को साबुन और साफ पानी से धोएं।

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- तुरंत नजदीकी अस्पताल में दिखाएं। एंटी-टॉक्सिन दवाएं लें।