Breaking News: मध्य प्रदेश CM के पिता का निधन, 100 साल की उम्र में ली अंतिम सांस


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

Breaking News: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का निधन हो गया है, बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से बीमार थे..

मध्य प्रदेश से एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का मंगलवार को निधन हो गया। वे करीब 100 वर्ष के थे और एक हफ्ते से बीमार चल रहे थे। जिसके चलते उन्हें उज्जैन के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार को ही उज्जैन आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके बेटे महा आर्यमन सिंधिया ने अस्पताल जाकर उनका हाल-चाल जाना था। रविवार को सीएम भी अपने पिता के पास पहुंचे थे।

यादव समाज से जुड़े लोग बताते हैं कि, पूनमचंद यादव ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। उन्होंने बेटे नंदू यादव, नारायण यादव, मोहन यादव और बेटी कलावती, शांति देवी को पढ़ाया-लिखाया। संघर्ष के दिनों में उनके पिता रतलाम से उज्जैन आ गए और सबसे पहले हीरा मिल में नौकरी की।

इसके बाद शहर के मालीपुरा में भजिया और फ्रीगंज में दाल-बाफले की दुकान लगाई। 100 वर्ष की उम्र होने के बाद भी वे उपज बेचने खुद मंडी जाते थे।

सीएम डॉ. मोहन यादव CM हाउस से स्टेट हेंगर के लिए निकल गए हैं। कुछ देर में उज्जैन रवाना होंगे। मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने शोक जताया है। उन्होंने X पर लिखा, ‘बाबा महाकाल से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।’

सीएम डॉ. मोहन यादव ने फादर्स डे (15 जून) पर पिता पूनमचंद यादव से मुलाकात की थी। सीएम ने पैसे मांगे तो उन्होंने 500 रुपए के नोटों की गड्डी निकालकर थमा दी। सीएम ने एक नोट रखा और बाकी लौटा दिए थे। इसी दौरान पिता ने सीएम बेटे को ट्रैक्टर सुधरवाने का बिल भी थमा दिया था।

सीएम ने उनसे पूछा- बैंक में कितने पैसे हैं? इस बात पर दोनों हंस दिए। मुख्यमंत्री ने पिता के पैर छकर आशीर्वाद लिया था। 

सीएम ने उनसे पूछा- बैंक में कितने पैसे हैं? इस बात पर दोनों हंस दिए। मुख्यमंत्री ने पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। उनसे कहा था कि ट्रैक्टर सुधारने में जो खर्च हुआ है, वे दे देंगे। उन्हें पिता ने बताया कि 4 लाख 86 हजार रुपए गिर गए थे, वापस भी मिल गए।

सोमवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके बेटे महा आर्यमन ने अस्पताल जाकर उनका हाल-चाल जाना था।