भोपाल में पराली जलाने पर रोक, गुरुवार देर रात कलेक्टर ने जारी किया आदेश


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स्टोरी हाइलाइट्स

2 महीने के लिए पराली यानी, नरवाई जलाने पर प्रतिबंध, उल्लंघन करने पर दर्ज होगी FIR..!!

खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरता कम तो होती ही है, साथ ही इससे पॉल्यूशन पर भी लगाम लगती है। प्रशासन के आदेश के मुताबिक अगले दो महीने तक पराली जलाने पर रोक रहेगी। यह आदेश सभी एसडीएम, तहसीलदार और पुलिस स्टेशन कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर भी लगाया जाएगा।

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भोपाल जिले में फसल कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने पर अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत सीधी FIR दर्ज की जाएगी। कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के निर्देश पर अपर कलेक्टर भूपेन्द्र गोयल ने गुरुवार को यह आदेश जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक पराली जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।

आदेश में NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश का हवाला देते हुए प्रशासन ने सभी क्षेत्रों में किसानों द्वारा फसल कटाई के बाद पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब अगर कोई किसान खलिहान में आग लगाएगा तो उसके खिलाफ थाने में FIR दर्ज कराई जाएगी। उनके खिलाफ अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। सभी एसडीएम को पराली जलाने पर कार्रवाई करने के निर्देश बी जारी किए गए हैं।

यह आदेश 21 नवंबर से लागू हो गया है और अगले दो महीने तक प्रभावी रहेगा। सभी एसडीएम, तहसीलदार और थानेदार इसे अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगाएंगे। संबंधित क्षेत्र के कार्यपालक दंडाधिकारी एवं थाना प्रभारी अपने-अपने क्षेत्र का भ्रमण कर उपरोक्त व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।

खेत का कचरा, भूसा और ठूंठ सड़ने के बाद प्राकृतिक रूप से मिट्टी को उर्वर बनाता है, इसे जलाने से ऊर्जा बर्बाद होती है। जलाने से हानिकारक गैसें निकलती हैं। जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

जब खेतों में पराली जलाई जाती है, तो कभी-कभी आग नियंत्रण से बाहर हो जाती है, जिससे सार्वजनिक संपत्ति और प्राकृतिक वनस्पति, सूक्ष्म जीवी नष्ट हो जाते हैं। जिससे व्यापक क्षति होती है। खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे खेत की उर्वरता कम हो जाती है और उत्पादन प्रभावित होता है।

एनसीएपी के तहत चिन्हित राज्य के  नॉन अटेनमेंट शहरों की सूची तैयार की गई है। कलेक्टर और कमिश्नर को अगली बैठक में प्लान पेश करने को कहा गया है।  नॉन अटेनमेंट में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, देवास और सागर शामिल हैं।