केमिकल फ्री इको फ्रेंडली गणेशा, नीम, मानव संग्रहालय में आंवला, जामुन, चंदन के बीज डालकर बनाई जी रहीं विशेष गणेश प्रतिमाएं


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स्टोरी हाइलाइट्स

बाजारों में मिलने वाली पीओपी यानी कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां न तो पानी में घुल पाती है अलावा इसके इन पर रंग रोगन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल युक्त कलर भी पानी में धुल कर लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर विपरीत असर डालते हैं..!!

प्रथम पूज्य गणपति बप्पा जल्दी ही हमारे घर आने वाले हैं। इसके लिए जोर-शोर से तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। तैयारियों में घरों की साफ-सफाई के साथ ही गणपति के लिए विशेष, मंडप बनाया जाता है। इसके बाद ही गणपति बप्पा को अपने-अपने घर लाया जाता है। बाजारों में यूं तो गणपति की छोटी-बड़ी कई सारी और मूर्तियां उपलब्ध हैं। लेकिन इन दिनों इको फ्रेंडली गणेशा, यानी कि गणपति की मिट्टी की मूर्तियों की सबसे ज्यादा डिमांड है।

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कारण बाजारों में मिलने वाली पीओपी यानी कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां न तो पानी में घुल पाती है अलावा इसके इन पर रंग रोगन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल युक्त कलर भी पानी में धुल कर लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर विपरीत असर डालते हैं। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए राजधानी भोपाल के मानव संग्रहालय में मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। मानव संग्रहालय के कला विभाग में गणपति की ये मिट्टी की मूर्तियां बनाई जा रही हैं।

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खास बात ये है, कि इन मूर्तियों में पेड़-पौधों के बीज भी डाले जा रहे हैं। इनमें नीम, आंवला, जामुन, चंदन के बीज भी डाले जा रहे हैं, ताकि जब ये मिट्टी की मूर्ति किसी नदी या तालाब में विसर्जित की जाए तो पूरी तरह से घुलने के बाद इसमें डाले गए बीजों से पौधे भी उग सके।

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गणपति की इन मूर्तियों पर केमिकल युक्त कलर की बजाए एक्रेलिक कलर और इको फ्रेंडली प्राइमर का इस्तेमाल किया जा रहा है। संजय सप्रे ने बताया कि हर साल गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस खास मौके पर लोग इको फ्रेंडली गणपति को काफी पसंद कर रहें हैं। पर्यावरण के लिहाज से इको फ्रेंडली गणपति काफी अच्छे माने जाते हैं। 

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इको फ्रेंडली प्रतिमाएं पानी में जल्दी घुल जाती हैं। वहीं इको फ्रेंडली गणपति को सुंदर बनाने के लिए इसमें कच्चे और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है जो कि नुकसान नहीं पहुंचाते। ऐसे में न पानी दूषित होता है और न ही कोई बीमारियां फैलने का डर रहता है। इन मूर्तियों में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए नीम, आंवला जामुन, चंदन के बीज डाले गए है ।

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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा गणेश चतुर्थी के अवसर पर संग्रहालय के प्रतिरूपण अनुभाग द्वारा इको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियां बनाकर आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इन मूर्तियों को संग्रहालय के प्रवेश द्वार नंबर 01 के पास स्थित इंटरप्रिटेशन सेंटर से खरीदा जा सकता है। 

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अगर आप भी पर्यावरण को स्वच्छ रखने के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं, तो मानव संग्रहालय की शॉप से ये इको फ्रेंडली गणेशा की मूर्तियां खरीद सकते हैं।