छिपीखापा सागौन कटाई: CCF अशोक कुमार के निरीक्षण न करने पर उठे गंभीर सवाल


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स्टोरी हाइलाइट्स

सेवानिवृत्त अधिकारी ने PCCF को लिखा पत्र..!!

भोपाल: नर्मदापुरम जिले के छिपीखापा RF-112 में सागौन के पेड़ों की बड़े पैमाने पर अवैध कटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब इस प्रकरण में वरिष्ठ अधिकारियों की जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी ने इस मामले में सीधे प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (PCCF) एवं वन बल प्रमुख को पत्र लिखकर वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर आपत्ति जताई है।

चतुर्वेदी ने अपने पत्र में मुख्य रूप से CCF (मुख्य वन संरक्षक) नर्मदापुरम अशोक कुमार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाया है। उन्होंने पूछा है कि करोड़ों रुपये की लकड़ी कट जाने के बाद भी CCF ने खुद मौके पर जाकर RF-112 का निरीक्षण करना जरूरी क्यों नहीं समझा? चतुर्वेदी द्वारा भेजे गए पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि CCF अशोक कुमार को अवैध कटाई की जानकारी पहले से थी। पत्र के अनुसार, CCF ने स्वयं 18 फरवरी 2025 और 5 मई 2025 को DFO नर्मदापुरम (सामान्य) मयंक गुर्जर को पत्र भेजकर अवैध कटाई के बारे में सूचित किया था। 

बावजूद इसके, CCF नर्मदापुरम अशोक कुमार आज दिनांक तक RF-112 का निरीक्षण करने खुद क्यों नहीं पहुंचे?"  चतुर्वेदी का आरोप है कि अगर CCF ने एक बार भी मौके का दौरा किया होता तो इस अवैध कटाई को रोका जा सकता था। लेकिन कथित तौर पर सिर्फ मौखिक सूचनाओं पर निर्भर रहने और सुरक्षा के लिए तत्काल ठोस कदम न उठाने के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।

निष्क्रियता पर मिला अतिरिक्त प्रभार का पुरस्कार

नर्मदा पुरम सर्किल के सीसीएफ अशोक कुमार के अधीन वनमंडल के इटारसी रेंज के अकेले छिपीखापा में ढाई करोड़ से अधिक कीमत के सागौन जंगल कट गए और एक दिन भी सीसीएफ दौरे पर नहीं गए। जबकि नियमानुसार सीसीएफ को अनिवार्य रूप से जाना था किन्तु वे लक्ज़री ऑफिस से बाहर नहीं निकले। इतनी बड़ी कटाई में छोटे-छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही हुई पर एसीएस अशोक वर्णवाल के ब्लूआई अफसर होने की वजह से सीसीएफ पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

यही नहीं, वन मंत्रालय कुमार पर इतना ज्यादा ही मेहरबान है कि उन्हें भोपाल सर्किल का भी प्रभार दे दिया गया। यहां भी वे ऑफिस में बैठकर सर्किल चला रहें हैं। विभाग में चर्चा है कि शारीरिक अस्वस्थता के कारण वे दौरे पर नहीं जा सकते हैं। इसी को दृष्टिगत रखते हुए वन विकास निगम के प्रबंध संचालक एच यू खान ने उनकी सेवाएं निगम मुख्यालय के लिए मांगी है।