भोपाल में 'जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक प्रयास, भारत की प्रतिबद्धता में राज्यों का योगदान' विषय पर सम्मेलन, CM


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स्टोरी हाइलाइट्स

पर्यावरण संरक्षण एवं संतुलन हमारी संस्कृति एवं परंपरा में दिखता है, लेकिन आज जिस तरह से पर्यावरण बदल रहा है उससे हम सभी चिंतित हैं और इसकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं..!!

सीएम डॉ. मोहन यादव ने सोमवार 28 अक्टूबर को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में "जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक प्रयास: भारत की प्रतिबद्धता में राज्यों का योगदान" विषय पर एक सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने और समाधान के लिए नए रास्ते तलाशने के लिए 200 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु नेताओं, पर्यावरण विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों को एक साथ लाया गया।

सम्मेलन जलवायु संकट से निपटने के वैश्विक प्रयासों में भारतीय राज्यों की भूमिका को रेखांकित करता है। देश के पहले राज्य स्तरीय प्री-कॉप जलवायु परामर्श में 200 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्लाइमेट लीडर्स, पर्यावरण विशेषज्ञ और प्रतिनिधि जलवायु परिवर्तन से संबंधित विषयों पर बहस कर रहे हैं। विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों के पैनल का लक्ष्य नवीनतम तकनीकी नवाचारों, नीति सुधारों और सामुदायिक प्रयासों के माध्यम से राज्य स्तर पर जलवायु लचीलापन कार्यों को बढ़ावा देना है।

‘जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक प्रयास: राज्य भारत की प्रतिबद्धता में योगदान दें’

यह देश का पहला राज्य-स्तरीय प्री-कॉप जलवायु परामर्श है, जो जलवायु संकट से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति पर केंद्रित है। इस आयोजन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम करने वाले प्रमुख नेताओं और विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने विचार और अनुभव साझा कर सकें। 

यह परामर्श मध्य प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एमपीसीओएसटी), नर्मदा सम्राट, पब्लिक एडवोकेसी इनिशिएटिव फॉर राइट्स एंड वैल्यूज की भागीदारी के साथ अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ गुड गवर्नेंस एंड पॉलिसी एनालिसिस (एआईजीजीपीए) के नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है। भारत (PAIRVI), और सोसाइटी ऑफ इकोनॉमिक्स एंड डेवलपमेंट कंसल्टेंट्स (CECEODECON) के साथ सामुदायिक सहयोग।

सीएम डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि भारत की पर्यावरण प्रतिबद्धता में मध्य प्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सीएम ने कहा, ''पर्यावरण संतुलन और संरक्षण की शिक्षा हमारी संस्कृति और परंपराओं में समाहित है। भारतीय सनातन परंपराएँ हमें प्रकृति और जलवायु को संजोने की प्रेरणा देती हैं। यह हमारी जीवनशैली, खान-पान और आचरण में भी झलकता है।” उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक युग में भी मध्य प्रदेश इस संदेश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

मध्य प्रदेश की समृद्ध प्राकृतिक विरासत का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि राज्य का लक्ष्य "प्रकृति के साथ प्रगति" को संतुलित करना है। उदाहरण देते हुए उन्होंने भोपाल के पास रातापानी के वन क्षेत्र का जिक्र किया, जहां दिन में इंसान और रात में बाघ एक ही जगह घूमते हैं। उन्होंने कहा, ''हम 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। हमारे प्रयास प्रकृति और जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं।

सीएम ने मध्य प्रदेश को नदियों की मातृभूमि बताते हुए कहा कि प्रदेश में नर्मदा जैसी पवित्र और जीवनदायिनी नदियाँ बहती हैं। उन्होंने नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की। सीएम ने नर्मदा और अन्य नदियों के संरक्षण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित पहल की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “हम नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और संरक्षण के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं।”